यशायाह 57:5 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)5 तुम हर एक हरे वृक्ष के नीचे, बांज वृक्ष के निकुंज में कामातुर पड़े रहते हो; घाटियों में, चट्टानों की दरारों में तुम अपने बच्चों की बलि चढ़ाते हो। अध्याय देखेंपवित्र बाइबल5 तुम सभी लोग हरे पेड़ों के तले झूठे देवताओं के कारण कामातुर होते हो। हर नदी के तीर पर तुम बाल वध करते हो और चट्टानी जगहों पर उनकी बलि देते हो। अध्याय देखेंHindi Holy Bible5 तुम, जो सब हरे वृक्षों के तले देवताओं के कारण कामातुर होते और नालों में और चट्टानों की दरारों के बीच बाल-बच्चों को वध करते हो? अध्याय देखेंपवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)5 तुम, जो सब हरे वृक्षों के तले देवताओं के कारण कामातुर होते और नालों में और चट्टानों की दरारों के बीच बाल–बच्चों का वध करते हो? अध्याय देखेंसरल हिन्दी बाइबल5 सब हरे वृक्ष के नीचे कामातुर होते हो और नालों में तथा चट्टानों की गुफाओं में अपने बालकों का वध करते रहते हो. अध्याय देखेंइंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 20195 तुम, जो सब हरे वृक्षों के तले देवताओं के कारण कामातुर होते और नालों में और चट्टानों ही दरारों के बीच बाल-बच्चों को वध करते हो? अध्याय देखें |
क्या उनके पुत्र-पुत्रियां पहाड़ों पर, खुले मैदानों में हरे-हरे वृक्षों के नीचे, ऊंची-ऊंची पहाड़ियों पर स्थापित अपनी वेदियों और अशेरा देवी की मूर्तियों को एक पल के लिए भी भूल सकते हैं? अत: ओ यहूदा प्रदेश! जो पाप तूने अपने प्रदेश में किए हैं, उनके दण्ड के लिए मैं तेरी सारी सम्पत्ति, तेरा बहुमूल्य खजाना लुटेरे शत्रु को दे दूंगा।
उन्होंने मोलेक देवता को अपने पुत्र-पुत्रियां बलि चढ़ाने के लिए बेन-हिन्नोम की घाटी में पहाड़ी टीलों पर बअल देवता के लिए वेदियां बनायी हैं। क्या मैंने उन को यह घृणास्पद कार्य करने की आज्ञा दी थी? क्या ऐसा विचार मेरे मस्तिष्क में आ सकता है कि वे ऐसा घृणास्पद कार्य करें, और यहूदा प्रदेश की जनता को पाप-कर्म के लिए फुसलाएं?
जब तुम इन मूर्तियों के सामने उपहार-भेंट चढ़ाते हो, जब तुम अपने पुत्रों की अग्नि-बलि चढ़ाते हो, तब इस मूर्ति-पूजा के कारण तुम आज तक स्वयं को अशुद्ध करते हो। ऐसे घृणित काम करने के पश्चात् भी तुम आशा करते हो कि मैं तुम्हारे प्रश्नों के उत्तर में तुम पर अपनी इच्छा प्रकट करूंगा? ओ इस्राएल के वंशजो, मुझे अपने जीवन की सौगन्ध है, तुम मेरी इच्छा नहीं जान सकोगे।’ स्वामी-प्रभु की यही वाणी है।