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यशायाह 48:4 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

4 ओ इस्राएल! मैं तुझे जानता था कि तू जिद्दी है, तेरी गर्दन लोहे की तरह कठोर है; तेरा माथा पीतल का बना है।

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पवित्र बाइबल

4 मैंने इसलिए वह किया था क्योंकि मुझको ज्ञात था कि तुम बहुत जिद्दी हो। मैंने जो कुछ भी बताया था उस पर विश्वास करने से तुमने मना किया। तुम बहुत जिद्दी थे, जैसे लोहे की छड़ नहीं झुकती है। यह बात ऐसी थी जैसे तुम्हारा सिर काँसे का बना हुआ है।

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Hindi Holy Bible

4 मैं जानता था कि तू हठीला है और तेरी गर्दन लोहे की नस और तेरा माथा पीतल का है।

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

4 मैं जानता था कि तू हठीला है और तेरी गर्दन लोहे की नस और तेरा माथा पीतल का है।

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सरल हिन्दी बाइबल

4 इसलिये कि मुझे मालूम है कि तुम हठीले हो; तुम्हारी गर्दन लोहे की बनी हुई है, तथा तुम्हारा सिर कांस्य का बना है.

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इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019

4 मैं जानता था कि तू हठीला है और तेरी गर्दन लोहे की नस और तेरा माथा पीतल का है।

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यशायाह 48:4
27 क्रॉस रेफरेंस  

परन्‍तु उन्‍होंने नहीं सुना। जैसे उनके पूर्वज जिद्दी थे, जिन्‍होंने अपने प्रभु परमेश्‍वर पर विश्‍वास नहीं किया था, वैसे ही वे जिद्दी थे।


तुम्‍हारे पूर्वज ऐंठी गरदनवाले लोग थे। तुम उनके समान हठीले मत बनो; किन्‍तु अपने प्रभु परमेश्‍वर के सम्‍मुख विनम्र बनो; और उसके पवित्र स्‍थान में आओ, जिसको उसने सदा-सर्वदा के लिए पवित्र किया है। अपने प्रभु परमेश्‍वर की आराधना और सेवा करो, ताकि उसकी क्रोधाग्‍नि तुमसे दूर हो जाए।


राजा नबूकदनेस्‍सर ने उसको परमेश्‍वर की शपथ दी थी कि वह उससे विद्रोह नहीं करेगा। तो भी उसने परमेश्‍वर की शपथ की उपेक्षा की और राजा नबूकदनेस्‍सर से विद्रोह किया। उसने इस्राएली राष्‍ट्र के प्रभु परमेश्‍वर के प्रति अपने हृदय को कठोर बना लिया था। हठ से उसकी गर्दन ऐंठ गई थी, और वह प्रभु से विमुख हो गया था।


जब उनको बाहरी शत्रु से चैन मिलता था, वे तेरे प्रति फिर दुष्‍कर्म करते थे; इसलिए तू उनको उनके शत्रुओं के हाथ में छोड़ देता था कि उनके शत्रु उन पर शासन करें। पर जब वे तेरी ओर लौटते, और तेरी दुहाई देते थे तब तू स्‍वर्ग से उनकी दुहाई सुनता था; अनेक बार तूने अपने दयामय स्‍वभाव के कारण उनके शत्रुओं के हाथ से उन्‍हें मुक्‍त किया था।


अपने सींग ऊंचे मत उठाओ, और गर्दन टेढ़ी कर धृष्‍ट वचन मत बोलो।” ’


और अपने पूर्वजों जैसे, हठीली और विद्रोही पीढ़ी न बनें; ऐसी पीढ़ी जिसका हृदय स्‍थिर न था, जिसकी आत्‍मा परमेश्‍वर के प्रति सच्‍ची न थी।


प्रभु ने मूसा से आगे कहा, ‘मैंने इन लोगों को देखा है। ये ऐंठी गरदन के लोग हैं।


इसलिए, जाओ, दूध और शहद की नदियों के देश में जाओ। परन्‍तु मैं स्‍वयं तुम्‍हारे मध्‍य में आगे-आगे नहीं जाऊंगा। ऐसा न हो कि मैं तुम्‍हें मार्ग में भस्‍म कर दूँ; क्‍योंकि ये ऐंठी गरदन के लोग हैं।’


क्‍योंकि प्रभु ने मूसा से कहा था, ‘तू इस्राएली समाज से यह कहना, “तुम ऐंठी गरदन के लोग हो। यदि मैं एक क्षण भी तुम्‍हारे मध्‍य में आगे-आगे चलूँ तो तुम्‍हें भस्‍म कर दूँगा। अत: अब अपने ऊपर से आभूषण उतार लो, जिससे मैं जान सकूँ कि मुझे तुम्‍हारे साथ क्‍या करना चाहिए।” ’


फरओ ने दूत भेजकर देखा कि इस्राएलियों का एक भी पशु नहीं मरा है। फिर भी उसका हृदय कठोर बना रहा और उसने इस्राएलियों को नहीं जाने दिया।


जो मनुष्‍य बार-बार डांटे जाने पर भी अपना हठ नहीं छोड़ता, उसका अचानक सर्वनाश होगा, और वह फिर नहीं सुधर सकेगा।


क्‍योंकि यह विद्रोही कौम है, झूठी संतान है, ये प्रभु की शिक्षा न सुननेवाले पुत्र हैं।


ओ हठीले लोगो! मेरी बात सुनो। तुम उद्धार से बहुत दूर हो।


‘इस्राएल का परमेश्‍वर, स्‍वर्गिक सेनाओं का प्रभु यों कहता है: जिस विपत्ति की घोषणा मैंने तुम्‍हारे हठ और दुराचरण के कारण की है, वह मैं इस नगर और यहूदा प्रदेश के सब नगरों पर ला रहा हूं; क्‍योंकि तुमने अपना हृदय कठोर बना लिया है, और मेरे वचनों को सुनने से इन्‍कार कर दिया है।’


अत: मैंने वर्षा रोक दी, वसंत ऋतु में होनेवाली वर्षा इस वर्ष नहीं हुई। फिर भी तुझे पाप की ग्‍लानि नहीं हुई। तेरी आंखों में व्‍यभिचार झलकता रहा!


‘हे प्रभु, क्‍या तू सच्‍चाई को नहीं देखता? देख, तूने उनको मारा, किन्‍तु उन्‍हें पीड़ा का अनुभव ही नहीं हुआ! तूने उनका संहार किया, फिर भी उन्‍होंने इससे पाठ नहीं सीखा! उन्‍होंने अपना हृदय चट्टान से अधिक कठोर बना लिया, उन्‍होंने पश्‍चात्ताप करने से इन्‍कार कर दिया।’


फिर भी उन्‍होंने मेरी आज्ञा का पालन नहीं किया, और न ही उस पर कान दिया। उन्‍होंने अपना हृदय पत्‍थर-सा कठोर बना लिया, और अपने पूर्वजों से बढ़कर दुष्‍कर्म किए।


यह पीढ़ी धृष्‍ट और हठी है। मैं उन लोगों के पास तुझको भेज रहा हूं। तू उनसे यह कहना : “स्‍वामी-प्रभु यों कहता है।”


पर जब आपके पिता का हृदय अहंकार से भर गया, जब आपके पिता की आत्‍मा कठोर बन गई और वह घमण्‍ड में आकर अनुचित कार्य करने लगे, तब परमेश्‍वर ने उनको उनके राजसिंहासन से उतार दिया और उनसे उनका ऐश्‍वर्य छीन लिया।


“ओ हठधर्मियो! मन से विधर्मियो, और कान से बहरे लोगो! आप लोग सदा ही पवित्र आत्‍मा का विरोध करते हैं, जैसा कि आपके पूर्वज भी किया करते थे।


किन्‍तु तुम अपने इस हठ और अपने हृदय के अपश्‍चात्ताप के कारण कोप के दिन के लिए अपने विरुद्ध कोप का संचय कर रहे हो, जब परमेश्‍वर का निष्‍पक्ष न्‍याय प्रकट होगा।


अत: अपने हृदय को विनम्र बनाओ, और हठीले न बने रहो


मैं जानता हूँ कि तुम विद्रोही और ऐंठी गरदन वाले लोग हो! देखो, यदि मेरे जीवित रहते, तुम्‍हारे साथ रहते हुए भी तुम आज प्रभु के विरुद्ध विद्रोह करते हो, तो मेरी मृत्‍यु के पश्‍चात् विद्रोह क्‍यों न करोगे?


जब तक “आज” बना रहता है, आप लोग प्रतिदिन एक दूसरे को प्रोत्‍साहन देते जायें, जिससे कोई भी पाप के फन्‍दे में पड़ कर कठोर न बने।


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