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यशायाह 44:9 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

9 मूर्ति गढ़नेवालों का अस्‍तित्‍व निस्‍सार है, उनकी प्रिय मूर्तियों से कोई लाभ नहीं! मूर्तियों के समर्थक जो उनको अपना ईश्‍वर मानते हैं, न देखते हैं और न जानते हैं। वे लज्‍जित होंगे।

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पवित्र बाइबल

9 कुछ लोग मूर्ति (झूठे देवता) बनाया करते हैं। किन्तु वे बेकार हैं। लोग उन बुतों से प्रेम करते हैं किन्तु वे बुत बेकार हैं। वे लोग उन बुतों के साक्षी हैं किन्तु वे देख नहीं पाते। वे कुछ नहीं जानते। वे लज्जित होंगे।

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Hindi Holy Bible

9 जो मूरत खोदकर बनाते हैं, वे सब के सब व्यर्थ हैं और जिन वस्तुओं में वे आनन्द ढूंढते उन से कुछ लाभ न होगा; उसके साक्षी, न तो आप कुछ देखते और न कुछ जानते हैं, इसलिये उन को लज्जित होना पड़ेगा।

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

9 जो मूरत खोदकर बनाते हैं, वे सब के सब व्यर्थ हैं और जिन वस्तुओं में वे आनन्द ढूँढ़ते उन से कुछ लाभ न होगा; उनके साक्षी, न तो आप कुछ देखते और न कुछ जानते हैं, इसलिये उनको लज्जित होना पड़ेगा।

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सरल हिन्दी बाइबल

9 वे सभी जो मूर्तियां बनाते हैं वे व्यर्थ हैं, उनसे कोई लाभ नहीं. उनके साक्षी न कुछ देखते न कुछ जानते हैं; उन्हें लज्जित होना पड़ेगा.

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इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019

9 जो मूरत खोदकर बनाते हैं, वे सब के सब व्यर्थ हैं और जिन वस्तुओं में वे आनन्द ढूँढ़ते उनसे कुछ लाभ न होगा; उनके साक्षी, न तो आप कुछ देखते और न कुछ जानते हैं, इसलिए उनको लज्जित होना पड़ेगा।

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यशायाह 44:9
43 क्रॉस रेफरेंस  

उनके इष्‍ट-देवताओं की मूर्तियां आग में झोंक दी हैं। प्रभु, ये मूर्तियां सच्‍चा ईश्‍वर नहीं थीं। वे केवल मनुष्‍य के हाथ की रचना, लकड़ी और पत्‍थर की मूर्तियां थीं। इसलिए वे नष्‍ट हो गईं।


राष्‍ट्रों की मूर्तियां सोना-चांदी हैं, वे मनुष्‍यों के हाथों का काम हैं!


जो उन्‍हें बनाते हैं; वे उन्‍हीं मूर्तियों के सदृश निर्जीव हैं। वे भी बेजान हैं, जो उन पर भरोसा करते हैं।


जो उन्‍हें बनाते हैं, वे उन्‍हीं मूर्तियों के सदृश निर्जीव हैं। वे भी बेजान हैं, जो उन पर भरोसा करते हैं।


समस्‍त मूर्तिपूजक, निस्‍सार मूर्तियों पर गर्व करनेवाले लज्‍जित होते हैं। देवतागण प्रभु को दण्‍डवत् करते हैं।


प्रभु, न्‍याय करने के लिए तेरा हाथ उठा हुआ है; पर वे उसे नहीं देख रहे हैं। वे तेरे निज लोगों के प्रति तेरा उत्‍साह देखें, और तब वे लज्‍जित हों। शत्रुओं के प्रति तेरी क्रोधाग्‍नि उन्‍हें भस्‍म कर दे।


सुनो, तुम कुछ भी नहीं हो, तुम कुछ नहीं कर सकते, जो तुम्‍हें आराधना के लिए चुनता है, वह स्‍वयं घृण्‍य है।


देखो, उनका अस्‍तित्‍व व्‍यर्थ है, उनके कार्य व्‍यर्थ हैं, उनकी ढली हुई मूर्तियाँ कोरी हवा हैं।


जो गढ़ी हुई मूर्तियों को ईश्‍वर मानते हैं, और उन पर भरोसा करते हैं; जो ढली हुई मूर्तियों से यह कहते हैं “तुम ही हमारे देवी-देवता हो” , वे पीठ दिखाएंगे, वे पूर्णत: लज्‍जित होंगे।’


प्रभु कहता है: ‘ओ बहरो, सुनो; ओ अंधो, आंखें खोलो, जिससे तुम देख सको!


‘उन लोगों को मेरे सम्‍मुख प्रस्‍तुत करो, जिनको आंखें हैं, पर वे देखते नहीं, जिनके कान हैं, पर वे सुनते नहीं।


विश्‍व के सब राष्‍ट्र एकत्र हों, समस्‍त कौमें इकट्ठी हों। उनमें से कौन ऐसा राष्‍ट्र है, जो यह बात बता सकता है? कौन ऐसी कौम है, जो बीती हुई घटनाएँ हमें दिखा सकती है? अपने को निर्दोष प्रमाणित करने के लिए वे अपने गवाह पेश करें। लोग उनकी गवाही सुनें और तब वे यह कह सकें, “यह सच है।” ’


मूर्तिकार के सहयोगी भी लज्‍जित होंगे, कारीगर तो मनुष्‍य ही हैं। सब कारीगर एकत्र हों। वे मेरे सम्‍मुख खड़े हों। मैं उनको आतंकित करूंगा, वे सबके सब लज्‍जित होंगे।


ऐसे लोग न जानते हैं और न समझते हैं। उनकी आंखें बन्‍द हैं, अत: वे देख नहीं सकते। उनकी बुद्धि पर परदा पड़ा है, इसलिए वे समझ नहीं सकते।


ऐसे मनुष्‍य राख खानेवाले हैं। भ्रमपूर्ण मन ने उन्‍हें पथभ्रष्‍ट कर दिया है। वे अपने को बचा नहीं सकते और न यह कह सकते हैं, ‘हम मिथ्‍याचार में फंसे हुए हैं।’


मूर्ति बनानेवाले सबके सब लज्‍जित, भ्रमित और आतंकित हो गए।


विजित कौमों में से बचे हुए लोगो, एकत्र हो। तुम-सब पास आओ। लकड़ी की मूर्ति ढोनेवालो, तुम मुझे नहीं जानते। तुम ऐसे देवता से प्रार्थना करते हो, जो तुम्‍हें नहीं बचा सकता।


मैं तेरी धार्मिकता को, तेरे कामों को प्रकट करूंगा; किन्‍तु उनसे तुझे कुछ लाभ न होगा।


अत: स्‍वामी-प्रभु यों कहता है : ‘मेरे सेवकों को भोजन प्राप्‍त होगा, पर तुम भूखे मरोगे; मेरे सेवक पेय पीएंगे; लेकिन तुम प्‍यासे रहोगे। मेरे सेवक आनन्‍द-मग्‍न होंगे; पर तुम विलाप करोगे।


अन्‍य जातियां निस्‍सार मूर्तियों की आशा करती हैं। क्‍या उन में सामर्थ्य है कि वे आकाश से वर्षा कर दें? क्‍या स्‍वयं आकाश वर्षा कर सकता है? हे हमारे प्रभु परमेश्‍वर, क्‍या तू पहले-जैसा ‘वह’ नहीं रहा? प्रभु, हम तेरी ही आस लगाए बैठे हैं; क्‍योंकि तू ही इन सब कामों को करता है।


क्‍या किसी राष्‍ट्र ने अपने देवता ही बदल दिए, फिर चाहे वे झूठे ही क्‍यों न हों? परन्‍तु मेरे निज लोगों ने अपने महिमामय परमेश्‍वर को निरर्थक मूर्तियों से बदल लिया!


‘जैसे चोर पकड़े जाने पर लज्‍जित होता है, वैसे ही इस्राएल वंश लज्‍जित होगा: जनता, उसके राजा, उसके उच्‍चाधिकारी, उसके पुरोहित और उसके नबी शर्म से सिर झुकाएंगे।


वह इन देवताओं के स्‍थान पर ‘गढ़ के देवता’ की पूजा करेगा। इस देवता को उसके पूर्वज भी नहीं जानते थे। वह सोना, चांदी, बहुमूल्‍य मणि तथा कीमती भेंट अपने इस गढ़ देवता को चढ़ाएगा।


तुमने स्‍वर्ग में विराजमान अधिपति के प्रति अहंकार में सिर उठाया और उसके मन्‍दिर के पवित्र पात्र तुम्‍हारे सम्‍मुख प्रस्‍तुत किए गए, और तुमने, तुम्‍हारे सामन्‍तों ने, तुम्‍हारी रानियों और रखेलों ने उन पात्रों में शराब डाल कर पी। तुमने शराब पीकर चांदी-सोना, पीतल, लोहे, लकड़ी और पाषाण के देवताओं की मूर्तियों की स्‍तुति की, जो न तो देख सकती हैं, न सुन सकती हैं, और न कुछ समझती ही हैं। ओ बेलशस्‍सर! जिस परमेश्‍वर के हाथ में तुम्‍हारे प्राण हैं, जो तुम्‍हारे जीवन को अपने नियंत्रण में रखता है, उसका सम्‍मान तुमने नहीं किया।


वे अपने को बुद्धिमान समझते हैं, किन्‍तु वे मूर्ख बन गये हैं।


मूर्तियों को अर्पित मांस खाने के विषय में हम जानते हैं कि संसार में मूर्ति की कोई वास्‍तविकता नहीं है-एकमात्र परमेश्‍वर के अतिरिक्‍त कोई और परमेश्‍वर नहीं है।


इस युग-संसार के देवता ने अविश्‍वासियों का मन इतना अन्‍धा कर दिया है कि वे परमेश्‍वर के प्रतिरूप, अर्थात् मसीह के तेजोमय शुभ समाचार की ज्‍योति को देखने में असमर्थ हैं।


उनकी बुद्धि पर अन्‍धकार छाया हुआ है। वे अपने अज्ञान और हृदय की कठोरता के कारण ईश्‍वरीय जीवन से विमुख हो गये हैं।


आप लोग पहले ‘अन्‍धकार’ थे, अब प्रभु के शिष्‍य होने के नाते ‘ज्‍योति’ बन गये हैं। इसलिए ज्‍योति की सन्‍तान की तरह आचरण करें।


“जो व्यक्‍ति खोदकर अथवा गढ़कर मूर्ति बनाता है, और गुप्‍त स्‍थान में उसको प्रतिष्‍ठित करता है, वह शापित है। ऐसे कारीगर का यह हस्‍तकार्य प्रभु की दृष्‍टि में घृणित है।” सब लोग प्रत्युत्तर में कहेंगे, “ऐसा ही हो!”


वहां तुम मनुष्‍य के हाथ से बनाए गए लकड़ी और पत्‍थर के ऐसे देवताओं की सेवा करोगे, जो न देख सकते, न सुन सकते, न खा सकते और न सूंघ सकते हैं।


जाओ, जिन देवताओं को तुमने चुना है, उनकी दुहाई दो। वे ही इस संकट के समय तुम्‍हें मुक्‍त करें।’


हमारे पर का पालन करें:

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