5 उनमें से एक कहेगा, ‘मैं प्रभु का हूं,’ तो दूसरा अपना नाम ‘याकूब’ रखेगा। अन्य व्यक्ति अपने हाथ पर यह खुदवाएगा : ‘यह प्रभु का है,’ और अपना कुल-नाम ‘इस्राएल’ बताएगा।
5 “लोगों में कोई कहेगा, ‘मैं यहोवा का हूँ।’ तो दूसरा व्यक्ति ‘याकूब’ का नाम लेगा। कोई व्यक्ति अपने हाथ पर लिखेगा, ‘मैं यहोवा का हूँ’ और दूसरा व्यक्ति ‘इस्राएल’ नाम का उपयोग करेगा।”
‘फारस देश के सम्राट कुस्रू का यह आदेश है: स्वर्ग के परमेश्वर, प्रभु ने पृथ्वी के समस्त राज्य मुझे प्रदान किए और मुझे यह आज्ञा दी कि मैं यहूदा प्रदेश के यरूशलेम नगर में उसके लिए एक भवन बनाऊं। उसके निज लोगों में से जो कोई भी तुम्हारे मध्य निवास कर रहे हैं, वे यरूशलेम नगर को जाएं। उनके साथ प्रभु परमेश्वर हो।’
‘इन सब बातों के कारण हम तेरे साथ सुदृढ़ व्यवस्थान स्थापित करते हैं। हम उसको लिख देते हैं; और उस पर हमारे शासक, उपपुरोहित और पुरोहित हस्ताक्षर करेंगे।’
वह तेरे हाथ पर एक चिह्न और तेरी दोनों आंखों के मध्य स्मारक होगा, जिससे प्रभु की व्यवस्था तेरे मुंह में विराजती रहे; क्योंकि प्रभु ने सबल हाथों से तुझे मिस्र देश से बाहर निकाला है।
देश-देश के लोग वहाँ जाएंगे और यह कहेंगे : ‘आओ, हम प्रभु के पर्वत पर चढ़ें; आओ, हम याकूब के परमेश्वर के भवन की ओर चलें, ताकि प्रभु हमें अपना मार्ग सिखाए, और हम उसके सिखाए हुए मार्ग पर चलें।’ सियोन पर्वत से प्रभु की व्यवस्था प्रकट होगी, यरूशलेम नगर से ही प्रभु का शब्द सुनाई देगा।
वे सियोन की ओर उन्मुख हो, यह पूछेंगे, “सियोन का मार्ग कौन-सा है?” वे परस्पर यह कहेंगे, “आओ, हम प्रभु के साथ शाश्वत विधान स्थापित करें, जो कभी भुलाया न जा सकेगा। आओ, हम प्रभु से मेल-मिलाप कर लें।”
वे आकर यह कहेंगे, ‘आओ, हम प्रभु के पर्वत पर चढ़ें, याकूब के परमेश्वर के भवन में जाएं, ताकि वह हमें अपने मार्ग की शिक्षा दे; और हम उसके पथ पर चलें।’ सियोन पर्वत से व्यवस्था प्रकट होगी, यरूशलेम से ही प्रभु का शब्द सुनाई देगा।
जैसे भट्ठी में चांदी शुद्ध की जाती है, वैसे ही मैं इस एक तिहाई आबादी को आग में झोंक कर उसे शुद्ध करूंगा। जैसे सोना परखा जाता है वैसे ही मैं उनको परखूंगा। वे मेरे नाम की दुहाई देंगे, और मैं उनको उत्तर दूंगा। मैं यह कहूंगा, “ये मेरे निज लोग हैं” , और वे यह कहेंगे, “प्रभु ही हमारा परमेश्वर है।” ’
वे अपनी उदारता में हमारी आशा से बहुत अधिक आगे बढ़ गये। उन्होंने पहले परमेश्वर के प्रति और बाद में, परमेश्वर की इच्छा के अनुसार, हमारे प्रति अपने को अर्पित किया।
परन्तु आप लोग चुने हुए वंश, राजकीय पुरोहित-वर्ग, पवित्र राष्ट्र तथा परमेश्वर की अपनी निजी प्रजा हैं, जिससे आप उसी के महान् कार्यों की घोषणा करें, जो आप लोगों को अन्धकार में से निकाल कर अपनी अलौकिक ज्योति में बुला लाया है।