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यशायाह 44:18 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

18 ऐसे लोग न जानते हैं और न समझते हैं। उनकी आंखें बन्‍द हैं, अत: वे देख नहीं सकते। उनकी बुद्धि पर परदा पड़ा है, इसलिए वे समझ नहीं सकते।

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पवित्र बाइबल

18 ये लोग यह नहीं जानते कि यें क्या कर रहे हैं ये लोग समझते ही नहीं। ऐसा है जैसे इनकी आँखें बंद हो और ये कुछ देख ही न पाते हों। इनका मन समझने का जतन ही नहीं करता।

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Hindi Holy Bible

18 क्योंकि उनकी आंखें ऐसी मून्दी गई हैं कि वे देख नहीं सकते; और उनकी बुद्धि ऐसी कि वे बूझ नहीं सकते।

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

18 वे कुछ नहीं जानते, न कुछ समझ रखते हैं; क्योंकि उनकी आँखें ऐसी बन्द की गई हैं कि वे देख नहीं सकते; और उनकी बुद्धि ऐसी कि वे बूझ नहीं सकते।

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सरल हिन्दी बाइबल

18 वे न तो कुछ जानते हैं और न ही कुछ समझते हैं; क्योंकि परमेश्वर ने उनकी आंखों को अंधा कर दिया है, तथा उनके हृदय से समझने की शक्ति छीन ली है.

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इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019

18 वे कुछ नहीं जानते, न कुछ समझ रखते हैं; क्योंकि उनकी आँखें ऐसी बन्द की गई हैं कि वे देख नहीं सकते; और उनकी बुद्धि ऐसी कि वे बूझ नहीं सकते।

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यशायाह 44:18
34 क्रॉस रेफरेंस  

अत: मैंने उनके हृदय के हठ पर उन्‍हें छोड़ दिया कि वे अपनी सम्‍मति के अनुसार चलें।


नासमझ यह नहीं जानता और न मूर्ख यह समझता है


दुष्‍कर्म करनेवाला मनुष्‍य न्‍याय को नहीं समझता; परन्‍तु प्रभु के भक्‍त ही उसको भली-भांति समझते हैं।


बैल अपने मालिक को जानता है, गधा अपने स्‍वामी की नांद को पहचानता है; पर इस्राएल मुझे नहीं जानता, मेरे निज लोगों में समझ नहीं!’


प्रभु, न्‍याय करने के लिए तेरा हाथ उठा हुआ है; पर वे उसे नहीं देख रहे हैं। वे तेरे निज लोगों के प्रति तेरा उत्‍साह देखें, और तब वे लज्‍जित हों। शत्रुओं के प्रति तेरी क्रोधाग्‍नि उन्‍हें भस्‍म कर दे।


वृक्ष की डालियाँ सूख गईं; वे टूट गईं स्‍त्रियाँ आती हैं, और उनसे आग जलाती हैं। यह एक विवेकहीन कौम है; अत: उसका सृजक उस पर दया नहीं करेगा; उनको रचनेवाला उन पर कृपा नहीं करेगा।


प्रभु ने तुम पर घोर आलस्‍य की आत्‍मा प्रेषित की है! उसने नबियों को, जो तुम्‍हारे नेत्र थे, बन्‍द कर दिया; तुम्‍हारे द्रष्‍टाओं पर, जो तुम्‍हारे मस्‍तिष्‍क थे, परदा डाल दिया!


वे विचार नहीं करते; न उनमें ज्ञान है और न समझ। वे यह नहीं सोचते कि उन्‍होंने देवदार की लकड़ी का आधा भाग आग में जलाया। उसके अंगारों पर रोटी सेंकी, मांस भूंजकर खाया। तब क्‍या बची हुई लकड़ी से मूर्ति बनाना चाहिए जो प्रभु परमेश्‍वर की दृष्‍टि में घृणित कार्य है? क्‍या उन्‍हें एक लकड़ी के खंभे के सम्‍मुख भूमि पर लेटकर वंदना करना चाहिए?


ऐसे मनुष्‍य राख खानेवाले हैं। भ्रमपूर्ण मन ने उन्‍हें पथभ्रष्‍ट कर दिया है। वे अपने को बचा नहीं सकते और न यह कह सकते हैं, ‘हम मिथ्‍याचार में फंसे हुए हैं।’


मूर्ति गढ़नेवालों का अस्‍तित्‍व निस्‍सार है, उनकी प्रिय मूर्तियों से कोई लाभ नहीं! मूर्तियों के समर्थक जो उनको अपना ईश्‍वर मानते हैं, न देखते हैं और न जानते हैं। वे लज्‍जित होंगे।


विजित कौमों में से बचे हुए लोगो, एकत्र हो। तुम-सब पास आओ। लकड़ी की मूर्ति ढोनेवालो, तुम मुझे नहीं जानते। तुम ऐसे देवता से प्रार्थना करते हो, जो तुम्‍हें नहीं बचा सकता।


कुत्तों की भूख शान्‍त नहीं होती, उनका पेट कभी नहीं भरता। चरवाहों में भी समझ नहीं है, वे अपने-अपने मार्ग पर चल रहे हैं, उन सबको केवल अपने लाभ की चिन्‍ता है।


इस जाति के सब मनुष्‍य मूर्ख हैं, वे परमेश्‍वर के ज्ञान से रहित हैं। सुनार अपनी बनाई हुई मूर्ति के कारण अपमानित होगा; क्‍योंकि उसकी मूर्ति झूठी है; उनमें जीवन का श्‍वास है ही नहीं।


मूर्तियों की आशा करनेवाले मूर्ख और अज्ञानी हैं; मूर्तियाँ क्‍या शिक्षा दे सकती हैं? उनकी शिक्षा लकड़ी के समान बेजान है।


ओ मूर्ख और नासमझ लोगो, यह सुनो। तुम्‍हारी आंखें हैं, पर तुम नहीं देखते। तुम्‍हारे कान हैं, पर तुम नहीं सुनते।


इस जाति के सब मनुष्‍य मूर्ख और परमेश्‍वर के ज्ञान से अनजान हैं। सुनार अपनी बनाई हुई मूर्ति के कारण अपमानित होगा; क्‍योंकि उसकी मूर्तियां झूठी हैं; उनमें जीवन का श्‍वास नहीं है।


‘ओ मानव, तू विद्रोही कौम, इस्राएली कुल के मध्‍य रहता है। उनके पास आंखें तो हैं, पर उन्‍हें दिखाई नहीं देता। उनके पास कान हैं, पर वे सुनते नहीं। इस्राएली कुल विद्रोही है।


इस अवधि में अनेक विश्‍वासी जन स्‍वयं को शुद्ध, निर्मल और उज्‍ज्‍वल कर लेंगे, किन्‍तु दुर्जन दुष्‍कर्म ही करते रहेंगे, और कोई भी दुष्‍कर्मी इन बातों को नहीं समझ पाएगा। पर जो समझदार हैं, वे ही इसको समझेंगे।


जो मनुष्‍य बुद्धिमान है, वह इन बातों को समझे। जो व्यक्‍ति समझदार है, वह इन बातों को जाने : कि प्रभु का मार्ग सीधा है, और धार्मिक जन उस पर चलते हैं। पर अपराधी लड़खड़ाकर गिरते हैं।


साँप के बच्‍चो! तुम बुरे हो कर अच्‍छी बातें कैसे कह सकते हो? जो हृदय में भरा है, वही तो मुँह से बाहर आता है।


तुम लोग एक-दूसरे से सम्‍मान चाहते हो और उस सम्‍मान की खोज नहीं करते, जो एकमात्र परमेश्‍वर से प्राप्‍त होता है। तब तुम कैसे विश्‍वास कर सकते हो?


तुम मेरी बातें क्‍यों नहीं समझते? कारण यह है कि तुम वचन सहन नहीं कर सकते।


उसने बीते युगों में सब जातियों को अपने-अपने मार्ग पर चलने दिया।


उन्‍होंने परमेश्‍वर का सच्‍चा ज्ञान प्राप्‍त करना उचित नहीं समझा, इसलिए परमेश्‍वर ने उन्‍हें उनकी भ्रष्‍ट बुद्धि पर छोड़ दिया, जिससे वे अनुचित आचरण करने लगे।


उनकी आँखें व्‍यभिचार से भरी हैं और उन में कभी तृप्‍त न होनेवाली पाप की भूख बनी हुई है। वे दुर्बल आत्‍माओं को लुभाते हैं। उनका मन लोभ में प्रशििक्षत हो चुका है। यह अभिशप्‍त सन्‍तति


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