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यशायाह 44:14 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

14 मनुष्‍य देवदार के वृक्ष को काटता है। अथवा पहले वह तिर्जा या बांज वृक्ष को चुनता है। तत्‍पश्‍चात् वह उसको जंगल के अन्‍य वृक्षों के मध्‍य बढ़ने और मजबूत होने देता है। वह देवदार का पौधा भी लगाता है, और वर्षा उसको बढ़ाती है।

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पवित्र बाइबल

14 कोई व्यक्ति देवदार, सनोवर, अथवा बांज के वृक्ष को काट गिराता है। (किन्तु वह व्यक्ति उन पेड़ों को उगाता नहीं। ये पेड़ वन में स्वयं अपने आप उगते हैं। यदि कोई व्यक्ति चीड़ का पेड़ उगाये तो उसकी बढ़वार वर्षा करती है।)

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Hindi Holy Bible

14 वह देवदार को काटता वा वन के वृक्षों में से जाति जाति के बांजवृक्ष चुनकर सेवता है, वह एक तूस का वृक्ष लगाता है जो वर्षा का जल पाकर बढ़ता है।

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

14 वह देवदार को काटता या वन के वृक्षों में से जाति जाति के बांजवृक्ष चुनकर देख–भाल करता है, वह देवदार का एक वृक्ष लगाता है जो वर्षा का जल पाकर बढ़ता है।

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सरल हिन्दी बाइबल

14 वह देवदार वृक्षों को अपने लिए काटता है, वह जंगलों से सनौवर तथा बांज को भी बढ़ाता है. वह देवदार पौधा उगाता है, और बारिश उसे बढ़ाती है.

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इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019

14 वह देवदार को काटता या वन के वृक्षों में से जाति-जाति के बांज वृक्ष चुनकर देख-भाल करता है, वह देवदार का एक वृक्ष लगाता है जो वर्षा का जल पाकर बढ़ता है।

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यशायाह 44:14
6 क्रॉस रेफरेंस  

जो आराधक सोने-चांदी की मूर्ति चढ़ाने में असमर्थ है, वह घुन न लगनेवाले वृक्ष को चुनता है, वह कुशल कारीगर को ढूंढ़ता है, और उससे लकड़ी पर मूर्ति खुदवाता है, जो हिलती-डुलती नहीं है!


बढ़ई डोरी से नापता है। वह पेन्‍सिल से उस पर निशान लगाता है। वह रन्‍दे से उसको आकार देता है। वह परकार से रेखा खींचता है। तत्‍पश्‍चात् वह उसको मनुष्‍य की आकृति में बदलता है। सुन्‍दर मनुष्‍य के सदृश वह उसको बनाता है कि आराधक उसे गृहदेवता के रूप में घर में प्रतिष्‍ठित कर सकें।


फिर वह मनुष्‍य के लिए इंधन की लकड़ी बन जाता है। मनुष्‍य उसकी कुछ लकड़ी जलाकर आग तापता है। वह उसको चूल्‍हे में जलाकर उस पर रोटी सेंकता है। वह उससे देवता बनाता है, और झुककर उसकी वंदना करता है। वह उस पर मूर्ति खोदता और भूमि पर लेटकर उसको प्रणाम करता है।


मेरे निज लोग काठ के पुतले से सलाह लेते हैं, वे पूजा के डण्‍डों से शकुन पूछते हैं! वेश्‍यावृत्ति की आत्‍मा ने उन्‍हें पथभ्रष्‍ट कर दिया है। उन्‍होंने मुझ-परमेश्‍वर को त्‍याग कर अन्‍य देवताओं पर विश्‍वास किया है।


धिक्‍कार है तुझे! तू लकड़ी की प्रतिमा से कहता है “जाग!” तू गूंगे पत्‍थर से कहता है : “उठ!” क्‍या यह तुझे सिखा सकता है? यद्यपि उस पर सोना-चांदी मढ़ा है, तथापि उसमें प्राण कहाँ है?’


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