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यशायाह 44:12 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

12 लोहार मूर्ति को बनाता है। वह उसको अंगारों पर रखता है। वह हथौड़ों से उसको पीटता है। वह अपने मजबूत हाथों से उसको आकार देता है। यह सब कार्य करते-करते उसे भूख लगती है। वह निर्बल हो जाता है। जब वह पानी नहीं पीता तब मूर्छित हो जाता है।

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पवित्र बाइबल

12 कोई एक कारीगर कोयलों पर लोहे को तपाने के लिए अपने औजारों का उपयोग करता है। यह व्यक्ति धातु को पीटने के लिए अपना हथौड़ा काम में लाता है। इसके लिए वह अपनी भुजाओं की शक्ति का प्रयोग करता है। किन्तु उसी व्यक्ति को जब भूख लगती है, उसकी शक्ति जाती रहती है। वही व्यक्ति यदि पानी न पिये तो कमज़ोर हो जाता है।

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Hindi Holy Bible

12 लोहार एक बसूला अंगारों में बनाता और हथौड़ों से गढ़कर तैयार करता है, अपने भुजबल से वह उसको बनाता है; फिर वह भूखा हो जाता है और उसका बल घटता है, वह पानी नहीं पीता और थक जाता है।

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

12 लोहार एक बसूला अंगारों में बनाता और हथौड़ों से गढ़कर तैयार करता है, अपने भुजबल से वह उसको बनाता है; फिर वह भूखा हो जाता है और उसका बल घटता है, वह पानी नहीं पीता और थक जाता है।

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सरल हिन्दी बाइबल

12 लोहार लोहे को अंगारों से गर्म करके हथौड़ों से मारकर कोई रूप देता है; अपने हाथों के बल से उस मूर्ति को बनाता है, फिर वह भूखा हो जाता है, उसकी ताकत कम हो जाती है; वह थक जाता है, वह पानी नहीं पीता और कमजोर होने लगता है.

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इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019

12 लोहार एक बसूला अंगारों में बनाता और हथौड़ों से गढ़कर तैयार करता है, अपने भुजबल से वह उसको बनाता है; फिर वह भूखा हो जाता है और उसका बल घटता है, वह पानी नहीं पीता और थक जाता है।

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यशायाह 44:12
11 क्रॉस रेफरेंस  

उसने उनके हाथ से सोना लिया। तत्‍पश्‍चात् उसने उसे सांचे में ढाला, और उससे बछड़े की एक मूर्ति बनाई। लोगों ने कहा, ‘ओ इस्राएली समाज! यह है तेरा ईश्‍वर जो तुझे मिस्र देश से निकाल लाया है।’


जिस मार्ग पर चलने के लिए मैंने उनको आज्ञा दी थी, उससे वे इतने शीघ्र भटक गए। उन्‍होंने अपने लिए बछड़े की मूर्ति बनाई है। उन्‍होंने उसकी पूजा की, उसको बलि चढ़ाई और कहा, “ओ इस्राएली समाज! यह है तेरा ईश्‍वर, जो तुझे मिस्र देश से निकाल लाया है।” ’


क्‍या मूर्ति से जिसको कारीगर ढालता है, सुनार सोने से मढ़ता है, और जिसके लिए वह चांदी की जंजीरें ढालता है?


जो आराधक सोने-चांदी की मूर्ति चढ़ाने में असमर्थ है, वह घुन न लगनेवाले वृक्ष को चुनता है, वह कुशल कारीगर को ढूंढ़ता है, और उससे लकड़ी पर मूर्ति खुदवाता है, जो हिलती-डुलती नहीं है!


स्‍वर्गिक सेनाओं के प्रभु की ओर से यह निर्धारित है : ये कौमें अग्‍नि में स्‍वाहा होने के लिए परिश्रम करती हैं, राष्‍ट्र व्‍यर्थ कष्‍ट झेलते हैं; क्‍योंकि उनका परिश्रम निष्‍फल होगा।


‘जब मूर्तिकार मूर्ति को ढालता है, अथवा पत्‍थर पर खोदकर मूर्ति बनाता है, तब मूर्तिकार को क्‍या मिलता है? मूर्ति केवल मूर्ति है, असत्‍य का स्रोत है। जब मूर्तिकार अपनी बनाई हुई गूंगी मूर्ति पर विश्‍वास करता है, तब उसे क्‍या मिलता है?


उसके बाद प्रभु ने मुझे चार लोहार दिखाए।


वहां तुम मनुष्‍य के हाथ से बनाए गए लकड़ी और पत्‍थर के ऐसे देवताओं की सेवा करोगे, जो न देख सकते, न सुन सकते, न खा सकते और न सूंघ सकते हैं।


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