8 उनकी दशा वैसी होगी जैसी भूखे व्यक्ति की होती है: जब वह रात में स्वप्न देखता है कि वह भोजन कर रहा है, किन्तु जागने पर उसकी भूख शान्त नहीं होती! अथवा जैसी प्यासे व्यक्ति की होती है: जब वह रात में स्वप्न देखता है कि वह पानी पी रहा है, किन्तु जागने पर वह मूर्छित हो जाता है, क्योंकि उसकी प्यास बुझी नहीं होती! यही दशा उन सब राष्ट्रों के समुदाय की होगी जो सियोन पर्वत के विरुद्ध युद्ध करते हैं।
8 किन्तु उन सेनाओं को भी यह एक स्वप्न जैसा होगा। वे सेनाएँ वे वस्तु न पायेंगी जिनको वे चाहते हैं। यह वैसा ही होगा जैसे भूखा व्यक्ति भोजन का स्वप्न देखे औऱ जागने पर वह अपने को वैसा ही भूखा पाये। यह वैसा ही होगा जैसे कोई प्यासा पानी का स्वप्न देखे और जब जागे तो वह अपने को प्यासा का प्यासा ही पाये। सिय्योन के विरोध में लड़ते हुए सभी देश सचमुच ऐसे ही होंगे। यह बात उन पर खरी उतरेगी। देशों को वे वस्तु नहीं मिलेगी जिनकी उन्हें चाह है।
8 और जैसा कोई भूखा स्वपन में तो देखता है कि वह खा रहा है, परन्तु जाग कर देखता है कि उसका पेट भूखा ही है, वा कोई प्यासा स्वपन में देखें की वह पी रहा है, परन्तु जाग कर देखता है कि उसका गला सूखा जाता है और वह प्यासा मर रहा है; वैसी ही उन सब जातियों की भीड़ की दशा होगी जो सिय्योन पर्वत से युद्ध करेंगी॥
8 और जैसा कोई भूखा स्वप्न में तो देखता है कि वह खा रहा है, परन्तु जागकर देखता है कि उसका पेट भूखा ही है, या कोई प्यासा स्वप्न में देखे कि वह पी रहा है, परन्तु जागकर देखता है कि उसका गला सूखा जाता है और वह प्यासा मर रहा है; वैसी ही उन सब जातियों की भीड़ की दशा होगी जो सिय्योन पर्वत से युद्ध करेंगी।
8 यह ऐसा होगा जैसे एक भूखा व्यक्ति स्वप्न देखता है कि वह भोजन कर रहा है, किंतु जब वह नींद से जागता है तब वह पाता है कि उसकी भूख मिटी नहीं; उसी प्रकार जब एक प्यासा व्यक्ति स्वप्न देखता है कि वह पानी पी रहा है, किंतु जब वह नींद से जागता है वह पाता है कि उसका गला सूखा है और उसकी प्यास बुझी नहीं हुई है. उसी प्रकार उन सब देशों के साथ होगा जो ज़ियोन पर्वत पर हमला करते हैं.
8 और जैसा कोई भूखा स्वप्न में तो देखता है कि वह खा रहा है, परन्तु जागकर देखता है कि उसका पेट भूखा ही है, या कोई प्यासा स्वप्न में देखें की वह पी रहा है, परन्तु जागकर देखता है कि उसका गला सूखा जाता है और वह प्यासा मर रहा है; वैसी ही उन सब जातियों की भीड़ की दशा होगी जो सिय्योन पर्वत से युद्ध करेंगी।
प्रभु ने उनकी प्रार्थना सुनी, और अपने दूत को भेजा। दूत ने असीरिया के राजा के शिविर में उसके शक्तिशाली योद्धाओं, सेनापतियों और उच्चाधिकारियों का वध कर दिया। अत: वह पराजय की लज्जा में डूबा हुआ अपने देश को लौट गया। एक दिन जब वह अपने इष्ट देवता के मन्दिर में पूजा कर रहा था, तब उसके पुत्रों ने ही तलवार से उसकी हत्या कर दी।
देख, जो राष्ट्र तुझसे क्रोधित हैं, वे पराजय के कारण लज्जित होंगे, उनका मुंह काला होगा। जो राष्ट्र तुझसे लड़ते हैं, उनका नामो-निशान मिट जाएगा, वे नष्ट हो जाएंगे।
लोहार मूर्ति को बनाता है। वह उसको अंगारों पर रखता है। वह हथौड़ों से उसको पीटता है। वह अपने मजबूत हाथों से उसको आकार देता है। यह सब कार्य करते-करते उसे भूख लगती है। वह निर्बल हो जाता है। जब वह पानी नहीं पीता तब मूर्छित हो जाता है।
तेरे विरुद्ध बनाया गया कोई भी शस्त्र सफल न होगा; जो साक्षी न्यायालय में तेरे विरुद्ध प्रस्तुत होगी, तू उसको निरस्त करने में सफल होगी। यह प्रभु के सेवकों की नियति है, मैं उनको विजय प्रदान करता हूं।’ प्रभु यह कहता है।
देखो, पहाड़ों से शुभ-सन्देश सुनानेवाला, शान्ति की घोषणा करनेवाला आ रहा है। ओ यहूदा वंशियो! अब अपने यात्रा-पर्व मनाओ, अपनी मन्नतों को पूरा करो। अब अधम व्यक्ति तुम्हारे प्रदेश से कभी नहीं गुजरेगा। वह पूर्णत: नष्ट कर दिया गया।
ओ नीनवे महानगर! विध्वंसक ने तुझ पर आक्रमण कर दिया। अत: परकोटों पर पहरेदार नियुक्त कर। मार्ग की चौकसी कर युद्ध के लिए तैयार हो। अपनी समस्त सैनिक शक्ति को एकत्र कर।