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मरकुस 12:33 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

33 उसे अपने सम्‍पूर्ण हृदय, सम्‍पूर्ण ज्ञान और सम्‍पूर्ण शक्‍ति से प्रेम करना और अपने पड़ोसी को अपने समान प्रेम करना, यह हर प्रकार की अग्‍नि-बलि और पशु-बलि चढ़ाने से अधिक महत्‍वपूर्ण है।”

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पवित्र बाइबल

33 अपने समूचे मन से, सारी समझ-बूझ से, सारी शक्ति से परमेश्वर को प्रेम करना और अपने समान अपने पड़ोसी से प्यार रखना, सारी बलियों और समर्पित भेटों से जिनका विधान किया गया है, अधिक महत्त्वपूर्ण है।”

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Hindi Holy Bible

33 और उस से सारे मन और सारी बुद्धि और सारे प्राण और सारी शक्ति के साथ प्रेम रखना और पड़ोसी से अपने समान प्रेम रखना, सारे होमों और बलिदानों से बढ़कर है।

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

33 और उससे सारे मन, और सारी बुद्धि, और सारे प्राण, और सारी शक्‍ति के साथ प्रेम रखना; और पड़ोसी से अपने समान प्रेम रखना, सारे होमबलियों और बलिदानों से बढ़कर है। ”

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नवीन हिंदी बाइबल

33 इसलिए उससे संपूर्ण मन, संपूर्ण समझ और संपूर्ण शक्‍ति से प्रेम रखना तथा अपने पड़ोसी से अपने समान प्रेम रखना, सारे होमबलियों और बलिदानों से बढ़कर है।”

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सरल हिन्दी बाइबल

33 तथा उनसे ही सारे हृदय, सारी समझ तथा सारी शक्ति से प्रेम करना, तथा अपने पड़ोसी से अपने समान प्रेम करना सभी होमबलियों तथा बलिदानों से बढ़कर है.”

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मरकुस 12:33
15 क्रॉस रेफरेंस  

जो मुझे ‘स्‍तुति-बलि’ चढ़ाता है, वह मेरी महिमा करता है; जो अपना आचारण निर्दोष रखता है, उसे मैं−परमेश्‍वर, अपने उद्धार के दर्शन कराऊंगा।”


पशु-बलि की अपेक्षा धर्म और न्‍याय के कार्य करना प्रभु को अधिक पसन्‍द है।


मुझे करुणा चाहिए, पशु-बलि नहीं। मैं अग्‍नि-बलि से प्रसन्न नहीं होता, वरन् इस बात से प्रसन्न होता हूं कि तुम मुझ-परमेश्‍वर का ज्ञान प्राप्‍त करो।


‘मैं बलिदान नहीं, बल्‍कि दया चाहता हूँ’ − यदि तुम लोगों ने इस कथन का अर्थ समझ लिया होता, तो निर्दोष को दोषी नहीं ठहराते;


जा कर सीखो कि इस कथन का क्‍या अर्थ है : ‘मैं बलिदान नहीं, बल्‍कि दया चाहता हूँ।’ मैं धार्मिकों को नहीं, पापियों को बुलाने आया हूँ।”


तू प्रभु, अपने परमेश्‍वर को अपने सम्‍पूर्ण हृदय, सम्‍पूर्ण प्राण और अपनी सम्‍पूर्ण शक्‍ति से प्रेम करना।


ऊपर के उद्धरण में मसीह का कथन है, “तूने यज्ञ, चढ़ावा, होम-बलि अथवा पाप-बलि नहीं चाही। तू उन से प्रसन्न नहीं हुआ” यद्यपि ये सब बलि व्‍यवस्‍था के अनुसार ही चढ़ायी जाती हैं।


किन्‍तु शमूएल ने यह कहा : ‘जैसे प्रभु अपनी आज्ञा का पालन किये जाने पर प्रसन्न होता है, क्‍या वैसे वह अग्‍नि-बलि और पशुओं की बलि से प्रसन्न होता है? देख, प्रभु की आज्ञा मानना पशु की बलि चढ़ाने से श्रेष्‍ठ है! उसकी बात पर ध्‍यान देना मेढ़े की चर्बी चढ़ाने से उत्तम है।


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