प्रभु इस्राएल और यहूदा प्रदेशों को नबियों और द्रष्टाओं के द्वारा चेतावनी देता रहा। प्रभु ने उनसे कहा, ‘अपने कुमार्गों को छोड़ दो, और मेरी आज्ञाओं और संविधियों का पालन करो। जो व्यवस्था मैंने तुम्हारे पूर्वजों को प्रदान की थी, जो व्यवस्था मैंने अपने सेवक नबियों के हाथ से तुम्हें भेजी थी, उसके अनुसार कार्य करो।’
फिर भी उनके पूर्वजों का प्रभु परमेश्वर अपने निज लोगों तथा अपने निवास-स्थान पर दयापूर्ण दृष्टि करता रहा। इसलिए वह उनको समझाने के लिए निरन्तर अपने सन्देश-वाहक भेजता रहा।
मैंने बार-बार तुम्हारे पास अपने सेवक नबियों को भेजा, और उनके माध्यम से मैंने तुमसे कहा, “प्रत्येक व्यक्ति अपने बुरे आचरण को छोड़ दे, अपने व्यवहार को सुधारे, अन्य जाति के देवताओं का अनुसरण न करे, उनकी पूजा न करे। तब तुम इस देश में निश्चिन्त निवास करोगे, जो मैंने तुम्हारे पूर्वजों को, और तुम्हें दिया है।” लेकिन तुमने मेरी बातों पर ध्यान नहीं दिया, एक कान से सुन कर दूसरे कान से निकाल दिया।
फिर भी मैं अपने प्रेम के कारण बार-बार अपने सेवक नबियों को भेजता रहा, और उनके माध्यम से कहता रहा, ‘ओह, यह घृणित कार्य मत करो, मैं इस पूजा-पाठ से घृणा करता हूं।’
धिक्कार है मुझे, मैंने अवसर खो दिया! मैं ग्रीष्म काल के फल तब तोड़ने गया जब वे झड़ा लिए गए। मैं अंगूरों को चुनने तब गया जब वे तोड़ लिए गए। न अंगूर का एक गुच्छा और न अंजीर का एक फल मुझे मिला, जिन्हें खाने को मेरा दिल चाहता था।
येशु महापुरोहितों, शास्त्रियों और धर्मवृद्धों से दृष्टान्तों में कहने लगे : “किसी मनुष्य ने अंगूर का उद्यान लगाया। उसने उसके चारों ओर बाड़ा बाँधा; उस में रस का कुण्ड खुदवाया और पक्का मचान बनवाया। तब उसे किसानों को पट्टे पर देकर वह परदेश चला गया।
परन्तु जिसने अनजाने ही मार खाने का काम किया, वह थोड़ी मार खाएगा। जिसे बहुत दिया गया है, उस से बहुत माँगा जाएगा और जिसे बहुत सौंपा गया है, उस से और अधिक ले लिया जाएगा।