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भजन संहिता 100:2 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

2 आनन्‍द से प्रभु की सेवा करो, जयजयकार करते हुए उसके सम्‍मुख आओ!

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पवित्र बाइबल

2 आनन्दित रहो जब तुम यहोवा की सेवा करो। प्रसन्न गीतों के साथ यहोवा के सामने आओ।

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Hindi Holy Bible

2 आनन्द से यहोवा की आराधना करो! जयजयकार के साथ उसके सम्मुख आओ!

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

2 आनन्द से यहोवा की आराधना करो! जयजयकार के साथ उसके सम्मुख आओ!

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नवीन हिंदी बाइबल

2 आनंद के साथ यहोवा की आराधना करो। जय जयकार करते हुए उसके सम्मुख आओ।

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सरल हिन्दी बाइबल

2 याहवेह की आराधना आनंदपूर्वक की जाए; हर्ष गीत गाते हुए उनकी उपस्थिति में प्रवेश किया जाए.

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भजन संहिता 100:2
15 क्रॉस रेफरेंस  

उसने आठवें दिन लोगों को विदा किया। लोगों ने राजा के लिए शुभ कामना प्रकट की और अपने-अपने घर को लौट गए। उनके हृदय आनन्‍द और हर्ष से भरे हुए थे कि प्रभु ने अपने सेवक दाऊद और अपने निज लोग इस्राएलियों के लिए कितने भले कार्य किये हैं।


इसके पश्‍चात् राजा हिजकियाह और उसके उच्‍चाधिकारियों ने उप-पुरोहितों को आदेश दिया कि वे राजा दाऊद तथा द्रष्‍टा आसाफ के रचे हुए गीतों से प्रभु का स्‍तुति-गान करें। अत: उप-पुरोहितों ने हर्ष और उल्‍लास से स्‍तुति-गान गाए, और राजा तथा उसके साथ उपस्‍थित आराधकों ने प्रभु के सम्‍मुख सिर झुकाकर आराधना की।


राजा हिजकियाह ने पुरोहितों और उप-पुरोहितों को उनके सेवा-कार्य के अनुसार विभिन्न दलों में विभक्‍त कर दिया। उसने प्रत्‍येक पुरोहित और उप-पुरोहित को उसके सेवा-कार्य के अनुसार अग्‍नि-बलि, सहभागिता-बलि और धन्‍यवाद-बलि चढ़ाने, स्‍तुति-गान गाने तथा प्रभु के शिविर के द्वारों पर पहरा देने के लिए नियुक्‍त किया।


जब मुझे ये बातें स्‍मरण आती हैं तब मेरे हृदय में तीव्र भाव उमड़ आते हैं: मैं लोगों के साथ गया था। मैंने उन्‍हें परमेश्‍वर के भवन तक पहुंचाया था। जनसमूह जयजयकार और स्‍तुति के साथ पर्व मना रहा था।


जब मैं तेरा स्‍तुतिगान करूंगा, तब मेरे ओंठ, मेरे प्राण जिनका तूने उद्धार किया है, जयजयकार करेंगे।


गुणगान करते हुए हम उसके सम्‍मुख आएं; स्‍तुतिगान गाते हुए उसका जयघोष करें।


तुम अपने प्रभु परमेश्‍वर के सम्‍मुख अपने पुत्र-पुत्रियों, सेवक-सेविकाओं तथा तुम्‍हारे नगर के भीतर रहनेवाले लेवी जन के साथ आनन्‍द मनाना, क्‍योंकि तुम्‍हारे साथ लेवी का कोई अंश अथवा पैतृक सम्‍पत्ति नहीं।


तू अपने पुत्र-पुत्रियों, सेवक-सेविकाओं, तथा तेरे नगर में रहने वाले लेवीय जन, तेरे मध्‍य में रहने वाले प्रवासियों, पितृहीनों, और विधवाओं के साथ, अपने प्रभु परमेश्‍वर के सम्‍मुख उस स्‍थान में आनन्‍द मनाना, जिसको तेरा प्रभु परमेश्‍वर स्‍वयं चुनेगा और अपने नाम को वहां प्रतिष्‍ठित करेगा।


तू अपने पुत्र-पुत्रियों, सेवक-सेविकाओं, तथा तेरे नगर में रहने वाले लेवीय जन, प्रवासियों, पितृहीनों और विधवाओं के साथ पर्व में आनन्‍द मनाना।


‘आशिषों की प्रचुरता होने पर भी तूने आनन्‍दपूर्वक और भले हृदय से अपने प्रभु परमेश्‍वर की सेवा नहीं की।


आप लोग प्रभु में हर समय आनन्‍दित रहें। मैं फिर कहता हूँ, आनन्‍दित रहें।


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