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भजन संहिता 1:3 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

3 वह उस वृक्ष के समान है जो नहर के तट पर रोपा गया, जो अपनी ऋतु में फलता है, और जिसके पत्ते मुरझाते नहीं। जो कुछ धार्मिक मनुष्‍य करता है, वह सफल होता है।

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पवित्र बाइबल

3 इससे वह मनुष्य उस वृक्ष जैसा सुदृढ़ बनता है जिसको जलधार के किनारे रोपा गया है। वह उस वृक्ष समान है, जो उचित समय में फलता और जिसके पत्ते कभी मुरझाते नहीं। वह जो भी करता है सफल ही होता है।

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Hindi Holy Bible

3 वह उस वृक्ष के समान है, जो बहती नालियों के किनारे लगाया गया है। और अपनी ऋतु में फलता है, और जिसके पत्ते कभी मुरझाते नहीं। इसलिये जो कुछ वह पुरूष करे वह सफल होता है॥

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

3 वह उस वृक्ष के समान है, जो बहती नालियों के किनारे लगाया गया है, और अपनी ऋतु में फलता है, और जिसके पत्ते कभी मुरझाते नहीं। इसलिये जो कुछ वह पुरुष करे वह सफल होता है।

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नवीन हिंदी बाइबल

3 वह जल-धाराओं के किनारे लगाए गए उस वृक्ष के समान है, जो अपनी ऋतु में फलता है, और जिसके पत्ते कभी मुरझाते नहीं। इसलिए जो कुछ वह करता है, उसमें वह सफल होता है।

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सरल हिन्दी बाइबल

3 वह बहती जलधाराओं के तट पर लगाए गए उस वृक्ष के समान है, जो उपयुक्त ऋतु में फल देता है जिसकी पत्तियां कभी मुरझाती नहीं. ऐसा पुरुष जो कुछ करता है उसमें सफल होता है.

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भजन संहिता 1:3
32 क्रॉस रेफरेंस  

कारागार का मुख्‍याधिकारी यूसुफ के हाथ में सौंपी गई किसी भी वस्‍तु को देखता तक न था; क्‍योंकि प्रभु यूसुफ के साथ था। जो कुछ भी यूसुफ करता था, प्रभु उसे सफल बनाता था।


यूसुफ के स्‍वामी ने देखा कि प्रभु उसके साथ है। जो कुछ वह करता है, उसे उसके हाथ से प्रभु सफल बनाता है।


प्रभु उसके साथ था। जब-जब वह युद्ध पर निकलता, प्रभु उसे सफलता प्रदान करता था। उसने असीरिया के राजा के विरुद्ध विद्रोह कर दिया था। वह उसके अधीन नहीं रहा।


‘अब, मेरे पुत्र, प्रभु तेरे साथ हो! जैसा उसने तेरे विषय में कहा है, वैसा ही तू अपने प्रभु परमेश्‍वर के लिए भवन बनाने में सफल हो!


जो संविधियां और न्‍याय-सिद्धान्‍त प्रभु ने इस्राएली राष्‍ट्र के लिए मूसा को दिए थे, यदि तू उनका पालन करने में तत्‍पर रहेगा तो तू फूलेगा-फलेगा। शक्‍तिशाली और साहसी बन! भयभीत मत हो! निराश मत हो!


उसने जो भी कार्य अपने हाथ में लिया, उसको पूर्ण हृदय से किया। उसने मन लगाकर परमेश्‍वर के भवन में आराधना का प्रबन्‍ध किया, परमेश्‍वर की व्‍यवस्‍था और उसकी आज्ञाओं के अनुरूप परमेश्‍वर की खोज की और वह उसमें सफल भी हुआ।


अनेक देशों के राजा यरूशलेम में प्रभु के सम्‍मुख भेंट लाए और यहूदा प्रदेश के राजा हिजकियाह के लिए बहुमूल्‍य उपहार। उस समय से हिजकियाह सब राष्‍ट्रों की दृष्‍टि में महान माना जाने लगा।


फिर भी पानी के छींटे पाते ही वह पनप उठेगा; जवान पौधे के समान उसमें अंकुर फूटने लगेंगे।


जिस बात का तुम निश्‍चय करोगे, वह तुम्‍हारे द्वारा सफलतापूर्वक पूरी होगी। तुम्‍हारा मार्ग प्रकाश से आलोकित होगा।


तू अपने हाथ के परिश्रम का फल खाएगा; तू सुखी होगा, तेरा भला होगा।


राह से गुजरनेवाले भी यह नहीं कहते, ‘प्रभु की आशिष तुम पर हो! हम तुम्‍हें प्रभु-नाम से आशिष देते हैं।’


वे वृद्धावस्‍था में भी फलते हैं; वे सदा रसमय और हरे-भरे रहते हैं,


जिससे वे यह घोषित कर सकें कि प्रभु सच्‍चा है; वह हमारी चट्टान है; उसमें लेशमात्र भी अधार्मिकता नहीं है।


वृक्ष की डालियाँ सूख गईं; वे टूट गईं स्‍त्रियाँ आती हैं, और उनसे आग जलाती हैं। यह एक विवेकहीन कौम है; अत: उसका सृजक उस पर दया नहीं करेगा; उनको रचनेवाला उन पर कृपा नहीं करेगा।


धार्मिक व्यक्‍तियों से यह कहो, ‘चिन्‍ता मत करो, तुम्‍हारा भला होगा, तुम अपने परिश्रम का फल खाओगे।’


तब वे जलाशयों के तट की घास के सदृश लहलहा उठेंगे; वे बहते झरनों के किनारे उगे मजनूं के समान बढ़ने लगेंगे।


प्रभु निरन्‍तर तेरा मार्गदर्शन करता रहेगा, और वह अभाव के दिनों में भी तुझे तृप्‍त करेगा। वह तेरी हड्डियों को मजबूत बनाएगा, और तू सिंचे हुए उद्यान के सदृश हरा-भरा होगा; तू उस झरने के समान होगा, जिसका जल कभी नहीं सूखता।


वह मानो कल-कल करते झरने के तट पर रोपा गया वृक्ष है; जिसकी जड़ें गहरे पानी में होती हैं। जब दोपहर के सूरज की प्रखर किरणें उस पर पड़ती हैं, तब वह उनकी गर्मी से नहीं मुरझाता; उसके पत्ते सदा हरे बने रहते हैं। वर्षा न होने पर भी उनको चिन्‍ता नहीं होती, क्‍योंकि वह सूखा पड़ने पर भी फलता है।


बाज ने उसको उपजाऊ भूमि पर लगाया था, उसने उसको उमड़ते जलाशय के तट पर बोया था, कि उसके अंकुर फूटें, बेल बने, और बेल में शाखाएं निकलें, और वह अंगूर के गुच्‍छों से भर जाए और फलवंत अंगूर-बेल बने।


‘ओ इस्राएली कौम, तेरी मां मानो अंगूर-उद्यान की एक अंगूर लता थी। वह जलाशय के तट पर लगी थी। भरपूर पानी मिलने के कारण वह शाखाओं और फलों से लदी थी।


यों देवदार बढ़ता जाता है, और जंगल के सब वृक्षों में सबसे ऊंचा हो जाता है। उसकी टहनियां खूब बढ़ती हैं; शाखाएं लम्‍बी-लम्‍बी हो जाती हैं; क्‍योंकि उसकी जड़ों को भरपूर पानी मिलता है।


नदी के दोनों किनारों पर अनेक प्रकार के पेड़ होंगे, जो आहार के लिए फल देंगे। उनके पत्ते कभी नहीं मुरझाएंगे, और न ही उनमें फल लगना बन्‍द होगा। किन्‍तु ये पेड़ हर महीने नए फल दिया करेंगे, क्‍योंकि उनको सींचनेवाला जल पवित्र-स्‍थान से निकला है! उनके फल आहार के, और पत्ते औषधि के काम आएंगे।’


वे दूर-दूर फैली हुई घाटियों के समान, या नदी के तट के उद्यानों के सदृश, अथवा प्रभु के द्वारा रोपे गए अगर-वृक्ष के समान, या जलाशय के निकट के देवदार के सदृश हैं।


सूरज चढ़ने पर वे झुलस गये और जड़ न पकड़ने के कारण सूख गये।


उन्‍होंने मार्ग के किनारे अंजीर का एक पेड़ देखा। वह उसके पास आए। परन्‍तु उन्‍होंने उस में पत्तों को छोड़कर और कुछ नहीं पाया। येशु ने पेड़ से कहा, “अब से तुझ में फिर कभी फल न लगे।” और उसी क्षण अंजीर का वह पेड़ सूख गया।


फसल का समय आने पर उसने अपनी फसल का हिस्‍सा वसूल करने के लिए किसानों के पास अपने सेवकों को भेजा।


उन्‍होंने येशु से कहा, “वह उन दुष्‍टों का सर्वनाश करेगा और अपने अंगूर-उद्यान का पट्टा दूसरे किसानों को देगा, जो समय पर फसल का हिस्‍सा देते रहेंगे”।


यदि कोई मुझ में नहीं रहता, तो वह डाली की तरह फेंक दिया जाता है और सूख जाता है। लोग ऐसी सूखी डालियाँ बटोर लेते हैं और आग में झोंककर जला देते हैं।


प्रभु आशिष को आदेश देगा कि वह तेरे खत्तों और सब उद्यमों में तेरे साथ जाए। जो देश तेरा प्रभु परमेश्‍वर तुझे दे रहा है, उसमें वह तुझे आशिष देगा।


ये आपके प्रीति-भोजों के लिए कलंक-जैसे हैं, जहाँ वे बिना किसी श्रद्धा के खाते-पीते हैं। ये अपने ही भरण-पोषण को ध्‍यान में रखते हैं। ये पवन द्वारा उड़ाये हुए जलहीन बादल हैं। ये ऐसे वृक्ष हैं, जो फसल के समय पर फल नहीं देते, जो दो बार मर चुके हैं और जड़ से उखाड़े गये हैं।


नगर चौक के बीचों-बीच बहती हुई नदी के तट पर, दोनों ओर एक जीवन-वृक्ष था, जो बारह प्रकार के फल, हर महीने एक बार फल, देता था। उस पेड़ के पत्तों से राष्‍ट्रों की चिकित्‍सा होती है।


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