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प्रेरितों के काम 4:19 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

19 इस पर पतरस और योहन ने उन्‍हें यह उत्तर दिया, “आप लोग स्‍वयं निर्णय करें : क्‍या परमेश्‍वर की दृष्‍टि में यह उचित होगा कि हम परमेश्‍वर की नहीं, बल्‍कि आप लोगों की बात मानें?

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पवित्र बाइबल

19 किन्तु पतरस और यूहन्ना ने उन्हें उत्तर दिया, “तुम ही बताओ, क्या परमेश्वर के सामने हमारे लिये यह उचित होगा कि परमेश्वर की न सुन कर हम तुम्हारी सुनें?

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Hindi Holy Bible

19 परन्तु पतरस और यूहन्ना ने उन को उत्तर दिया, कि तुम ही न्याय करो, कि क्या यह परमेश्वर के निकट भला है, कि हम परमेश्वर की बात से बढ़कर तुम्हारी बात मानें।

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

19 परन्तु पतरस और यूहन्ना ने उनको उत्तर दिया, “तुम ही न्याय करो; क्या यह परमेश्‍वर के निकट भला है कि हम परमेश्‍वर की बात से बढ़कर तुम्हारी बात मानें।

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नवीन हिंदी बाइबल

19 परंतु पतरस और यूहन्‍ना ने उनको उत्तर दिया, “तुम ही न्याय करो। परमेश्‍वर की बात से बढ़कर तुम्हारी बात मानना क्या परमेश्‍वर की दृष्‍टि में उचित है?

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सरल हिन्दी बाइबल

19 किंतु पेतरॉस और योहन ने उन्हें उत्तर दिया, “आप स्वयं निर्णय कीजिए कि परमेश्वर की दृष्टि में उचित क्या है: आपकी आज्ञा का पालन या परमेश्वर की आज्ञा का.

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प्रेरितों के काम 4:19
30 क्रॉस रेफरेंस  

यारोबआम का यह कार्य पाप था। इस्राएल प्रदेश के लोग प्रतिमा कि पूजा करने बेत-एल नगर गए। वे दूसरी प्रतिमा की पूजा करने के लिए दान नगर भी गए।


इस प्रकार परमेश्‍वर का जन उसके साथ लौटा, उसने उसके साथ रोटी खाई और पानी पिया।


यारोबआम के पापों के कारण, जो स्‍वयं यारोबआम ने किए, और इस्राएल प्रदेश की जनता से कराए, प्रभु इस्राएल प्रदेश को त्‍याग देगा।’


नाबोत के नगर में रहने वाले धर्मवृद्धों और अभिजात वर्ग के लोगों ने इजेबेल के आदेश के अनुसार किया। जैसा ईजेबेल द्वारा भेजे गए पत्रों में लिखा था,


किन्‍तु मीकायाह ने कहा, ‘जीवन्‍त प्रभु की सौगन्‍ध! जो वचन प्रभु मुझसे कहेगा, वही मैं बोलूंगा।’


राजा आहाज ने पुरोहित ऊरियाह को यह आदेश दिया, ‘आप इस महावेदी पर पहले के समान प्रात:कालीन अग्‍नि-बलि, सन्‍ध्‍याकालीन अन्न-बलि, राज अग्‍नि-बलि और राज अन्न-बलि तथा समस्‍त देशवासियों की अग्‍नि-बलि, अन्न-बलि और पेय-बलि चढ़ा सकते हैं। इसके अतिरिक्‍त आप इसी महावेदी पर अग्‍नि-बलि के पशु तथा अन्‍य बलि-पशुओं का रक्‍त छिड़केंगे। परन्‍तु मैं कांस्‍य वेदी का उपयोग प्रभु का उत्तर प्राप्‍त करने के लिए करूंगा।’


पुरोहित ऊरियाह ने राजा आहाज के आदेश के अनुसार सब कार्य किए।


ओ प्रभुत्‍व सम्‍पन्न मनुष्‍यों! क्‍या तुम निश्‍चय ही सच्‍चाई से निर्णय करते हो? ओ अधिकार से मंडित लोगो! क्‍या तुम सत्‍यनिष्‍ठा से न्‍याय करते हो?


परन्‍तु दाइयां परमेश्‍वर से डरती थीं। अत: उन्‍होंने मिस्र देश के राजा के आदेशानुसार नहीं किया। उन्‍होंने लड़कों को जीवित रहने दिया।


तब यिर्मयाह ने उच्‍चाधिकारियों और समस्‍त जनता से कहा, ‘प्रभु ने इस मन्‍दिर और इस नगर के विरुद्ध नबूवत करने के लिए मुझे भेजा है, और तुम-सब ने प्रभु के ये वचन सुने।


महाराज, यदि आप हमें धधकती हुई अग्‍नि की भट्ठी में नहीं डालेंगे, तो भी हम आपके देवताओं की सेवा-आराधना नहीं करेंगे, और न आपके द्वारा स्‍थापित स्‍वर्ण-मूर्ति के सम्‍मुख झुककर उसके प्रति सम्‍मान प्रकट करेंगे।’


जब दानिएल को यह मालूम हुआ कि निषेधाज्ञा के पत्र पर सम्राट दारा का हस्‍ताक्षर हो गया, तब वह अपने घर गए। उनके घर की ऊपरी मंजिल के कमरे की खिड़कियां यरूशलेम नगर की दिशा में खुलती थीं। वह दिन में तीन बार घुटने टेककर परमेश्‍वर से प्रार्थना करते और उसको धन्‍यवाद दिया करते थे। आज भी उन्‍होंने वैसा ही किया।


एफ्रइम अत्‍याचारी है, वह न्‍याय का गला घोंट रहा है। वह निस्‍सारता के पीछे हाथ धोकर पड़ा है।


‘अब तुम प्रभु का यह संदेश सुनो: तुमने मुझसे यह कहा कि मैं इस्राएलियों को नबूवत नहीं सुनाऊं, मैं इसहाक वंशियों के विरुद्ध प्रवचन नहीं सुनाऊं।


ओ यहूदा कुल! तूने राजा ओमरी की संविधियों को माना, तूने अहाब के राजवंश के कार्यों के अनुरूप कार्य किया। तूने उनके परामर्श के अनुसार आचरण किया। अत: मैं तुझे उजाड़ दूंगा। तेरे नागरिकों को उपहास का पात्र बना दूंगा। तू अन्‍य कौमों की निन्‍दा सहेगा।’


उन्‍होंने उत्तर दिया, “रोमन सम्राट का।” इस पर येशु ने उन से कहा, “तो, जो सम्राट का है, वह सम्राट को दो और जो परमेश्‍वर का है, वह परमेश्‍वर को दो।”


येशु ने पतरस और योहन को यह कहकर भेजा, “जाओ, और हमारे लिए पास्‍का-पर्व के भोज की तैयारी करो ताकि हम उसे खा सकें।”


मुँह देखा न्‍याय मत करो, वरन् निष्‍पक्ष न्‍याय करो।”


पतरस और योहन की निर्भीकता देख कर और यह जानकर कि वे अशििक्षत तथा साधारण मनुष्‍य हैं, धर्म-महासभा के सदस्‍य अचम्‍भे में पड़ गये। फिर, वे पहचान गये कि ये तो येशु के साथ रह चुके हैं;


“क्‍या हमने तुम लोगों को कड़ा आदेश नहीं दिया था कि इस नाम से शिक्षा मत देना; परन्‍तु तुम लोगों ने सारा यरूशलेम अपनी शिक्षा से भर दिया है और उस मनुष्‍य की हत्‍या का दोष हमारे सिर पर मढ़ना चाहते हो?”


इस पर पतरस और अन्‍य प्रेरितों ने यह उत्तर दिया, “हमें मनुष्‍यों की आज्ञा की अपेक्षा परमेश्‍वर की आज्ञा का पालन करना चाहिए।


मैं आप लोगों को समझदार जान कर यह कह रहा हूँ। आप स्‍वयं मेरी बातों पर विचार करें।


हम लोक-लज्‍जावश कुछ बातें छिपाना नहीं चाहते। हम न तो छल-कपट करते और न परमेश्‍वर का वचन विकृत करते हैं। हम प्रकट रूप से सत्‍य का प्रचार करते हैं। यही उन सब मनुष्‍यों के पास हमारी सिफारिश है, जो परमेश्‍वर के सामने हमारे विषय में निर्णय करना चाहते हैं।


बच्‍चो! प्रभु में अपने माता-पिता की आज्ञा मानो, क्‍योंकि यह उचित है।


यह उचित भी है और हमारे उद्धारकर्ता परमेश्‍वर को प्रिय भी है,


विश्‍वास के कारण मूसा के माता-पिता ने यह देख कर कि शिशु सुन्‍दर है, उसे जन्‍म के बाद तीन महीनों तक छिपाये रखा और वे राजा के आदेश से भयभीत नहीं हुए।


तो क्‍या आपने मन में भेदभाव नहीं आने दिया और गलत विचार के अनुसार निर्णय नहीं किया?


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