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प्रकाशितवाक्य 5:5 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

5 इस पर धर्मवृद्धों में से एक ने मुझ से कहा, “मत रोओ! देखो, वह, जो यहूदा कुल का सिंह है, जो दाऊद का श्रेष्‍ठ वंशज है, वह विजयी हुआ है। वह पुस्‍तक और उसकी सात मोहरें खोलने योग्‍य है।”

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पवित्र बाइबल

5 फिर उन प्राचीनों में से एक ने मुझसे कहा, “रोना बन्द कर। सुन, यहूदा के वंश का सिंह जो दाऊद का वंशज है विजयी हुआ है। वह इन सातों मुहरों को तोड़ने और इस लपेटे हुए पुस्तक को खोलने में समर्थ है।”

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Hindi Holy Bible

5 तब उन प्राचीनों में से एक ने मुझे से कहा, मत रो; देख, यहूदा के गोत्र का वह सिंह, जो दाऊद का मूल है, उस पुस्तक को खोलने और उसकी सातों मुहरें तोड़ने के लिये जयवन्त हुआ है।

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

5 इस पर उन प्राचीनों में से एक ने मुझ से कहा, “मत रो; देख, यहूदा के गोत्र का वह सिंह जो दाऊद का मूल है, उस पुस्तक को खोलने और उसकी सातों मुहरें तोड़ने के लिये जयवन्त हुआ है।”

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नवीन हिंदी बाइबल

5 तब उन प्रवरों में से एक ने मुझसे कहा, “रो मत! देख, यहूदा के गोत्र का वह सिंह, जो दाऊद का मूल है, विजयी हुआ है। वही इस पुस्तक को और इसकी सात मुहरों को खोलने के योग्य है।”

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सरल हिन्दी बाइबल

5 तब उन पुरनियों में से एक ने मुझसे कहा, “बंद करो यह रोना! देखो, यहूदाह गोत्र का वह सिंह, दावीद वंश का मूल विजयी हुआ है कि वही इन सात मोहरों को तोड़े. वही इस पुस्तक को खोलने में सामर्थ्यी है.”

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प्रकाशितवाक्य 5:5
25 क्रॉस रेफरेंस  

प्रत्‍येक सोपान के दोनों ओर खड़े हुए दो सिंह थे। इस प्रकार छ: सोपानों पर बारह सिंह थे। ऐसा सिंहासन किसी राज्‍य में कभी नहीं बना।


सिंहासन पर चढ़ने के लिए छ: सोपान और सोने की एक चौकी सिंहासन से जुड़ी थी। बैठने के स्‍थान के दोनों ओर दो हत्‍थे थे, और हत्‍थों के समीप खड़े हुए दो सिंहों की आकृति थी।


उसकी पीठ ढाल-समूहों की बनी है; मानो उनको मुहर से बन्‍द कर दिया गया है।


यिशय वंश के तने से एक शाखा निकलेगी; उसकी जड़ से एक टहनी फूटेगी, और फलवंत होगी।


उस दिन यिशय का वंश-मूल देश-देश के लोगों के लिए एक पताका बनेगा। राष्‍ट्र उसको ढूंढ़ेंगे। उसका निवास-स्‍थान तेजोमय होगा।


प्रभु राहेल से यों कहता है : ‘ओ राहेल, मुंह से रोने की आवाज मत निकाल, अपनी आंखों को आंसुओं से मत भिगो। तेरे परिश्रम का फल तुझे मिलेगा, तेरे पुत्र अपने शत्रुओं के देश से लौटेंगे; मुझ-प्रभु की यह वाणी है।


अत: मैं सेवा करने वालों में से किसी एक के समीप गया और उससे इन दर्शनों की वास्‍तविकता के विषय में पूछा। उसने मुझे बताया और मुझ पर इन दर्शनों का अर्थ प्रकट किया।


वह घात लगाकर बैठता है, वह सिंह के सदृश, अथवा सिंहनी के समान लेटता है। कौन उसको उठा सकता है? ओ याकूब, तुझे आशिष देने वाला स्‍वयं आशिष प्राप्‍त करे। किन्‍तु तुझे श्राप देनेवाला स्‍वयं श्रापित हो।’


येशु ने उनकी ओर मुड़ कर कहा, “यरूशलेम की पुत्रियो! मेरे लिए मत रोओ। किन्‍तु अपने लिए और अपने बच्‍चों के लिए रोओ,


माँ को देख कर प्रभु का हृदय दया से भर गया। उन्‍होंने उससे कहा, “मत रोओ”,


सब रो रहे थे और उसके लिए विलाप कर रहे थे। येशु ने कहा, “मत रोओ! वह मरी नहीं, बल्‍कि सो रही है।”


दूतों ने उस से कहा, “हे महिला! आप क्‍यों रो रही हैं?” उसने उत्तर दिया, “वे मेरे प्रभु को उठा ले गये हैं और मैं नहीं जानती कि उन्‍होंने उन को कहाँ रखा है।”


जो उसके पुत्र हमारे प्रभु येशु मसीह के विषय में है। वह शरीर की दृष्‍टि से दाऊद के वंश में उत्‍पन्न हुए, पर पवित्र आत्‍मा की दृष्‍टि से मृतकों में से जी उठने के कारण सामर्थ्य के साथ परमेश्‍वर के पुत्र प्रमाणित हुए।


और नबी यशायाह भी यह कहते हैं, “यिशय का वंश-मूल प्रकट होगा, राष्‍ट्रों पर शासन करने के लिए उसका उत्‍थान होगा और राष्‍ट्र उसी की आशा करेंगे।”


क्‍योंकि यह तो प्रत्‍यक्ष है कि हमारे प्रभु येशु यहूदा के कुल में उत्‍पन्न हुए हैं और मूसा ने पुरोहितों के विषय में लिखते समय उस कुल का उल्‍लेख नहीं किया।


यह येशु मसीह का प्रकाशन है। यह उन्‍हें परमेश्‍वर की ओर से प्राप्‍त हुआ जिससे वह अपने सेवकों को निकट भविष्‍य में होने वाली घटनाएँ दिखायें। उन्‍होंने अपने दूत को भेज कर इस प्रकाशन का ज्ञान अपने सेवक योहन को कराया।


“मैं − येशु − ने कलीसियाओं के विषय में ये बातें प्रकट करने के लिए अपना दूत तुम्‍हारे पास भेजा है। मैं दाऊद का श्रेष्‍ठ वंशज तथा सन्‍तान हूँ, प्रभात का उज्‍ज्‍वल तारा हूँ।”


“जो विजय प्राप्‍त करता है, उसको मैं उसी तरह अपने साथ अपने सिंहासन पर विराजमान होने का अधिकार दूँगा, जिस तरह मैं विजय प्राप्‍त कर अपने पिता के साथ उसके सिंहासन पर विराजमन हूँ।


तब-तब चौबीस धर्मवृद्ध सिंहासन पर विराजमान को दण्‍डवत करते हैं, युग-युगों तक जीवित रहने वाले की आराधना करते और यह कहते हुए सिंहासन के सामने अपने मुकुट डाल देते हैं :


सिंहासन के चारों ओर चौबीस धर्मवृद्ध विराजमान हैं। वे उजले वस्‍त्र पहने हैं और उनके सिर पर सोने के मुकुट हैं।


मैं फूट-फूट कर रोने लगा, क्‍योंकि पुस्‍तक खोलने या पढ़ने योग्‍य कोई नहीं मिला था।


मैंने देखा कि मेमने ने उन सात मोहरों में से पहली मोहर खोली। उस समय मैंने चार प्राणियों में से एक को मेघगर्जन जैसे स्‍वर में यह कहते सुना: “आओ!”


धर्मवृद्धों में से एक ने मुझ से पूछा, “ये उजले वस्‍त्र पहने कौन हैं और कहाँ से आये हैं?”


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