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प्रकाशितवाक्य 18:15 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

15 इन वस्‍तुओं के व्‍यापारी, जो बेबीलोन के वैभव से धनी हो गये, उसकी यन्‍त्रणा से भयभीत हो कर दूर ही खड़े रहेंगे। वे यह कहते हुए रोयेंगे और शोक मनायेंगे,

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पवित्र बाइबल

15 “वे व्यापारी जो इन वस्तुओं का व्यापार करते थे और उससे सम्पन्न बन गए थे, वे दूर-दूर ही खड़े रहेंगे क्योंकि वे उसके कष्टों से डर गये हैं। वे रोते-बिलखते

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Hindi Holy Bible

15 इन वस्तुओं के व्यापारी जो उसके द्वारा धनवान हो गए थे, उस की पीड़ा के डर के मारे दूर खड़े होंगे, और रोते और कलपते हुए कहेंगे।

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

15 इन वस्तुओं के व्यापारी जो उसके द्वारा धनवान हो गए थे, उसकी पीड़ा के डर के मारे दूर खड़े होंगे, और रोते और कलपते हुए कहेंगे,

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नवीन हिंदी बाइबल

15 इन वस्तुओं के व्यापारी जो उसके कारण धनवान हो गए थे, उसकी पीड़ा से भयभीत होकर दूर ही खड़े रहेंगे, तथा रोते और विलाप करते हुए कहेंगे :

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सरल हिन्दी बाइबल

15 इन वस्तुओं के व्यापारी, जो उस नगरी के कारण धनवान हो गए, अब उसकी यातना के कारण भयभीत हो दूर खड़े हो रोएंगे और विलाप करते हुए कहेंगे:

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प्रकाशितवाक्य 18:15
14 क्रॉस रेफरेंस  

उन्‍होंने तेरे विनाश के कारण अपना सिर मुंड़ा लिया है; और मृत्‍यु-शोक प्रकट करने के लिए कमर में टाट का वस्‍त्र पहिना है। वे शोक-संतप्‍त हृदय से तेरे लिए रो रहे हैं; वे छाती पीट-पीटकर शोक मना रहे हैं।


जो लोग इस रेवड़ की भेड़-बकरियां खरीदते हैं, वे उनका वध करते हैं; फिर भी वे स्‍वयं दण्‍ड से बचे रहते हैं। उनको बेचनेवाले यह कहते हैं, “प्रभु को धन्‍यवाद, मैं धनी बन गया।” उनके चरवाहे भी उन पर दया नहीं करते।


उन्‍होंने लोगों को शिक्षा देते हुए कहा, “क्‍या धर्मग्रन्‍थ में यह नहीं लिखा है : ‘मेरा घर सब जातियों के लिए प्रार्थना का घर कहलाएगा’? परन्‍तु तुम लोगों ने उसे लुटेरों का अड्डा बना दिया है।”


जब उसके मालिकों ने देखा कि उनकी आमदनी की आशा चली गयी, तो वे पौलुस तथा सीलास को पकड़ कर चौक में अधिकारियों के पास खींच ले गये।


सोना और चाँदी, रत्‍न और मोती; मलमल, बैंगनी, रेशमी और लाल वस्‍त्र; हर प्रकार की सुगन्‍धित लकड़ियाँ; हाथी-दाँत, बहुमूल्‍य लकड़ी, पीतल, लोहे और संगमरमर के हर प्रकार के पात्र;


दालचीनी, इलायची, धूप और लोबान; मदिरा, तेल, मैदा और गेहूँ; बैल और भेड़ें; घोड़े और रथ; दास और युद्धबन्‍दी भी।


इसलिए व्‍यापारी बोले, “ओ महानगरी! तू जिस फल की कामना करती थी, वह तुझ से दूर चला गया। तेरे सारे वैभव और तड़क-भड़क का सर्वनाश हो गया। तू यह सब फिर नहीं देखेगी।”


वे अपने सिर पर धूल डाल कर, रोते और विलाप करते हुए ऊंचे स्‍वर से कहते थे, “शोक! शोक इस महा नगरी पर! इस के वैभव से जहाज के सब मालिक धनी बन गये। यह घड़ी-भर में ही उजाड़ हो गयी।”


क्‍योंकि सभी राष्‍ट्रों ने उसके व्‍यभिचार की तीखी मदिरा पी ली है, पृथ्‍वी के राजाओं ने उसके साथ व्‍यभिचार किया है और पृथ्‍वी के व्‍यापारी उसके अपार वैभव से धनी हो गये हैं।”


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