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प्रकाशितवाक्य 17:17 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

17 क्‍योंकि परमेश्‍वर ने उन्‍हें प्रेरित किया कि वे उसका अभिप्राय पूरा करें और वे एकमत हो कर पशु को तब तक अपना राज्‍य सौंप दें, जब तक परमेश्‍वर का वचन पूरा न हो जाये।

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पवित्र बाइबल

17 अपने प्रयोजन को पूरा कराने के लिए परमेश्वर ने उन सब को एक मत करके, उनके मन में यही बैठा दिया है कि वे, जब तक परमेश्वर के वचन पूरे नहीं हो जाते, तब तक शासन करने का अपना अधिकार उस पशु को सौंप दें।

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Hindi Holy Bible

17 क्योंकि परमेश्वर उन के मन में यह डालेगा, कि वे उस की मनसा पूरी करें; और जब तक परमेश्वर के वचन पूरे न हो लें, तब तक एक मन हो कर अपना अपना राज्य पशु को दे दें।

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

17 क्योंकि परमेश्‍वर उनके मन में यह डालेगा कि वे उसकी मनसा पूरी करें, और जब तक परमेश्‍वर के वचन पूरे न हो लें तब तक एक मन होकर अपना अपना राज्य पशु को दे दें।

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नवीन हिंदी बाइबल

17 परमेश्‍वर ने अपने उद्देश्य को पूरा करने के लिए उनके मनों में यह बात डाली है कि जब तक परमेश्‍वर का वचन पूरा न हो जाए, वे एकमत रहें और अपना-अपना राज्य उस पशु को दे दें।

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सरल हिन्दी बाइबल

17 परमेश्वर ने अपने उद्देश्य की पूर्ति के लिए उन राजाओं के मनों को एक कर दिया है कि वे उस पशु को अपना राज्य तब तक के लिए सौंप दें, जब तक परमेश्वर के वचन की पूर्ति न हो जाए.

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प्रकाशितवाक्य 17:17
28 क्रॉस रेफरेंस  

हे हमारे पूर्वजों के प्रभु परमेश्‍वर, तू धन्‍य है! तूने यरूशलेम में स्‍थित अपने इस भवन की साज-सज्‍जा के लिए सम्राट के हृदय में इच्‍छा उत्‍पन्न की।


तब प्रभु ने मिस्र-निवासियों का हृदय फेर दिया कि वे उसके निज लोगों से घृणा करें, उसके सेवकों से छल-कपट करें।


मनुष्‍य अपने मन में अनेक योजनाएं बनाता है; परन्‍तु प्रभु का अभिप्राय स्‍थिर रहता है।


राजा का हृदय नहर के सदृश है, जो प्रभु के हाथ में है; जहां वह चाहता है वहां वह उसको मोड़ देता है।


किन्‍तु प्रभु ने अपने शाश्‍वत उद्धार से इस्राएली राष्‍ट्र को बचा लिया; अब वह अनन्‍तकाल तक लज्‍जित और आतंकित नहीं होगा।


‘मैं उन के साथ शाश्‍वत विधान स्‍थापित करूंगा ताकि मैं उनकी भलाई निरन्‍तर करता रहूं। मैं उनके हृदय में अपने लिए भक्‍ति की भावना डालूंगा जिससे वे मेरी ओर से मुंह न मोड़ लें।


उसने अपना दाहिना और बायाँ हाथ आकाश की ओर उठाया, और मैंने उसको शाश्‍वत और जीवित परमेश्‍वर की शपथ लेते हुए सुना : “साढ़े तीन वर्ष तक यह दशा रहेगी। जब पवित्र लोगों का बल टूटते-टूटते समाप्‍त हो जाएगा, तब ये बातें पूरी होंगी।”


मानव-पुत्र तो, जैसा उसके लिए निश्‍चित किया गया है, चला जा रहा है; किन्‍तु धिक्‍कार है उस मनुष्‍य को, जो उसे पकड़वा रहा है!”


उस समय शैतान ने यूदस [यहूदा] में प्रवेश किया। यूदस ‘इस्‍करियोती’ कहलाता था और उसकी गणना बारह प्रेरितों में होती थी।


क्‍योंकि मैं तुम से कहता हूँ, यह अनिवार्य है कि धर्मग्रन्‍थ का यह लेख मुझ में पूर्ण हो : ‘वह कुकर्मियों में गिना गया।’ और जो कुछ मेरे विषय में लिखा है, वह अवश्‍य पूरा होगा।”


जिन को परमेश्‍वर का सन्‍देश दिया गया था, यदि व्‍यवस्‍था ने उन को ईश्‍वर कहा − और धर्मग्रन्‍थ की बात टल नहीं सकती −


“मैं तुम सब के विषय में यह नहीं कह रहा हूँ। मैं जानता हूँ कि मैंने किन-किन लोगों को चुना है; परन्‍तु यह इसलिए हो रहा है कि धर्मग्रन्‍ध का यह कथन पूरा हो जाए : ‘जो मेरी रोटी खाता है, उसने ही मुझ पर लात उठाई है।’


येशु अपने शिष्‍यों के साथ भोजन कर रहे थे। शैतान शिमोन इस्‍करियोती के पुत्र यूदस के मन में येशु को पकड़वाने का विचार उत्‍पन्न कर चुका था।


उन्‍होंने आपस में कहा, “हम इसे नहीं फाड़ें, बल्‍कि इस पर चिट्ठी डालें कि यह किस को मिले।” यह इसलिए हुआ कि धर्मग्रन्‍थ का यह कथन पूरा हो जाए : “उन्‍होंने मेरे कपड़े आपस में बाँट लिये और मेरे वस्‍त्र पर चिट्ठी डाली।” सैनिकों ने ऐसा ही किया।


तब येशु ने यह जान कर कि अब सब कुछ पूरा हो चुका है, धर्मग्रन्‍थ का लेख पूरा करने के उद्देश्‍य से कहा, “मैं प्‍यासा हूँ।”


परमेश्‍वर को धन्‍यवाद, जिसने तीतुस के हृदय में आप लोगों के प्रति मेरे जैसा उत्‍साह उत्‍पन्न किया है।


जिस दिन सातवें स्‍वर्गदूत की तुरही सुनाई पड़ेगी, उस दिन परमेश्‍वर का गुप्‍त रहस्‍य पूरा हो जायेगा, जैसा कि उसने अपने सेवकों, अर्थात् नबियों को सूचित किया था।”


मैंने स्‍वर्ग में से एक और महान एवं आश्‍चर्यजनक चिह्‍न देखा। सात स्‍वर्गदूत सात विपत्तियाँ लिये थे। ये अन्‍तिम विपत्तियाँ हैं, क्‍योंकि इनके द्वारा परमेश्‍वर का क्रोध पूरा हो जाता है।


उनका एक ही अभिप्राय है-वे अपना सामर्थ्य और अधिकार पशु को अर्पित करेंगे।


स्‍वर्गदूत ने मुझ से कहा, “यह लिखो : धन्‍य हैं वे, जो मेमने के विवाह-भोज में निमन्‍त्रित हैं!” और उसने मुझ से यह भी कहा, “ये परमेश्‍वर के सत्‍य वचन हैं।”


उन में प्रत्‍येक को एक उजला वस्‍त्र दिया गया और उन से थोड़ा समय और धैर्य रखने को कहा गया, जब तक उनके साथी-सेवकों एवं भाई-बहिनों की संख्‍या पूरी न हो जाए, जो उनके समान मारे जानेवाले थे।


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