दाऊद यह सोचता था, ‘मेरा पुत्र सुलेमान अभी किशोर है। उसे अनुभव नहीं है। जो भवन प्रभु के लिए बनाया जाएगा, उसको अत्यन्त विशाल होना चाहिए ताकि समस्त देशों में उसका नाम और भव्यता की चर्चा हो। अत: मैं भवन-निर्माण की तैयारी करूंगा।’ यह सोचकर दाऊद ने अपनी मृत्यु के पूर्व अत्यधिक मात्रा में इमारती साज-सामान एकत्र कर लिया।