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नीतिवचन 22:6 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

6 बच्‍चे को उस मार्ग की शिक्षा दो जिस पर उसको चलना चाहिए; और वह बुढ़ापे में भी उससे नहीं हटेगा।

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पवित्र बाइबल

6 बच्चे को यहोवा की राह पर चलाओ वह बुढ़ापे में भी उस से भटकेगा नहीं।

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Hindi Holy Bible

6 लड़के को शिक्षा उसी मार्ग की दे जिस में उस को चलना चाहिये, और वह बुढ़ापे में भी उस से न हटेगा।

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

6 लड़के को उसी मार्ग की शिक्षा दे जिसमें उसको चलना चाहिए, और वह बुढ़ापे में भी उससे न हटेगा।

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नवीन हिंदी बाइबल

6 बच्‍‍चे को उसी मार्ग की शिक्षा दे जिस पर उसे चलना चाहिए, और वह बुढ़ापे में भी उससे न हटेगा।

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सरल हिन्दी बाइबल

6 अपनी संतान को उसी जीवनशैली के लिए तैयार कर लो, जो सुसंगत है, वृद्ध होने पर भी वह इससे भटकेगा नहीं.

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नीतिवचन 22:6
11 क्रॉस रेफरेंस  

मैंने उसे चुना है कि वह अपने पुत्रों और परिवार को, जो उसके पश्‍चात् रहेंगे, शिक्षा दे कि वे धार्मिकता और न्‍याय के कार्य करें और मुझ-प्रभु के मार्ग पर चलते रहें। तब मैं उस वचन को पूर्ण करूँगा जो मैंने अब्राहम को दिया है।’


आप, जो पिता हैं, अपने बच्‍चों का क्रोध नहीं भड़काएं; बल्‍कि प्रभु के अनुरूप शिक्षा और उपदेश द्वारा उनका पालन-पोषण करें।


तुम उन्‍हें अपने बच्‍चों को सिखाना। जब तुम अपने घर में बैठते हो, अथवा मार्ग पर चलते हो, जब तुम लेटते हो अथवा उठते हो, तब तुम, इन्‍हीं आज्ञाओं की चर्चा करना।


‘तुम सावधान रहना! अपने प्रति सतर्क रहना! ऐसा न हो कि जो बातें तुम्‍हारी आंखों ने देखी हैं, उनको तुम भूल जाओ। ऐसा न हो कि वे जीवन भर के लिए तुम्‍हारे हृदय से दूर हो जाएं। वरन् तुम उन्‍हें अपने पुत्र-पुत्रियों और पौत्र-पौत्रियों को बताना।


तू इन्‍हें अपने बच्‍चों के हृदय में बैठा देना। जब तू अपने घर में बैठता है, अथवा मार्ग पर चलता है, जब तू लेटता है अथवा उठता है, तब तू इन्‍हीं की चर्चा करना।


और यह कि तुम बचपन से पवित्र आलेखों से परिचित हो। ये पवित्र आलेख तुम्‍हें उस मुक्‍ति का ज्ञान दे सकते हैं, जो येशु मसीह में विश्‍वास करने से प्राप्‍त होती है।


मानोह ने पूछा, ‘जब आपकी बात सच सिद्ध होगी तब बालक की जीवन-चर्या कैसी होगी? वह कैसा कार्य करेगा?’


इसलिए मैं इसे प्रभु को अर्पित करती हूँ कि जब तक यह जीवित रहेगा, तब तक प्रभु को समर्पित रहेगा।’ तब हन्नाह ने वहाँ प्रभु की वंदना की।


बालक शमूएल बड़ा होता जा रहा था; न केवल कद में, वरन् प्रभु और लोगों की कृपा-दृष्‍टि में भी।


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