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नीतिवचन 21:1 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

1 राजा का हृदय नहर के सदृश है, जो प्रभु के हाथ में है; जहां वह चाहता है वहां वह उसको मोड़ देता है।

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पवित्र बाइबल

1 राजाओं का मन यहोवा के हाथ होता, जहाँ भी वह चाहता उसको मोड़ देता है वैसे ही जैसे कोई कृषक पानी खेत का।

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Hindi Holy Bible

1 राजा का मन नालियों के जल की नाईं यहोवा के हाथ में रहता है, जिधर वह चाहता उधर उस को फेर देता है।

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

1 राजा का मन नालियों के जल के समान यहोवा के हाथ में रहता है, जिधर वह चाहता उधर उसको मोड़ देता है।

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नवीन हिंदी बाइबल

1 राजा का मन यहोवा के हाथ में जल-धारा के समान है, वह उसे जहाँ चाहता है मोड़ देता है।

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सरल हिन्दी बाइबल

1 याहवेह के हाथों में राजा का हृदय जलप्रवाह-समान है; वही इसे ईच्छित दिशा में मोड़ देते हैं.

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नीतिवचन 21:1
26 क्रॉस रेफरेंस  

मनुष्‍य मन में अपना मार्ग तो निश्‍चित करता है पर उस पर चलना, यह प्रभु के हाथ में होता है।


मनुष्‍य के सब पग प्रभु ही निश्‍चित करता है, तब मनुष्‍य अपना मार्ग कैसे समझ सकता है?


उन्‍होंने सात दिन तक बेखमीर रोटी का पर्व आनन्‍द-उल्‍लास से मनाया; क्‍योंकि प्रभु ने उन्‍हें आनंदित किया था, और असीरिया के सम्राट का हृदय उनकी ओर उन्‍मुख किया था। असीरिया के सम्राट ने इस्राएली कौम के परमेश्‍वर के भवन के निर्माण में उनकी सहायता की थी।


उसने सब विपत्तियों से उसको छुड़ाया और उसे मिस्र देश के राजा फरओ की दृष्‍टि में प्रिय तथा बुद्धिमान् बना दिया। फरओ ने यूसुफ को मिस्र का तथा अपने समस्‍त राजभवन का अधिकारी नियुक्‍त किया।


मनुष्‍य मन में योजनाएं बनाता है, परन्‍तु उनको सफल करना− यह प्रभु की इच्‍छा पर निर्भर है।


पृथ्‍वी के समस्‍त निवासी उसके सम्‍मुख नगण्‍य हैं; वह स्‍वर्ग की सेना में, पृथ्‍वी के प्राणियों के मध्‍य, अपनी इच्‍छा के अनुसार कार्य करता है। कोई उसका हाथ रोक नहीं सकता, और न प्रश्‍न पूछने का साहस कर सकता है, कि “तूने यह क्‍या किया?’ ”


जिन्‍होंने उनको बन्‍दी बनाया था, उन सब की दृष्‍टि में उन्‍हें दया का पात्र बना दिया।


देखो, मैं एक नया कार्य कर रहा हूं : वह अब प्रकट हो रहा है। तुम स्‍वयं उसका अनुभव कर रहे हो। मैं निर्जन प्रदेश में एक मार्ग बनाऊंगा, मरुस्‍थल में नदियाँ बहा दूंगा।


तब प्रभु ने मिस्र-निवासियों का हृदय फेर दिया कि वे उसके निज लोगों से घृणा करें, उसके सेवकों से छल-कपट करें।


सम्राट ने मुझ से कहा, ‘तुम क्‍या चाहते हो?’ मैंने मन ही मन स्‍वर्गिक परमेश्‍वर से प्रार्थना की।


हे प्रभु, अपने इस सेवक की प्रार्थना पर, अपने इन सेवकों की विनती पर ध्‍यान दे; क्‍योंकि ये प्रसन्नतापूर्वक तेरे नाम की आराधना करते हैं। आज अपने सेवक को सफलता प्रदान कर, ताकि सम्राट अर्तक्षत्र मुझ पर कृपादृष्‍टि करे।’


तूने चट्टान फोड़ कर झरने और स्रोत बहाए थे, तूने सदा बहनेवाली जलधाराओं को भी सुखाया था।


मैं गहरे सागर से यह कहता हूं, ‘सूख जा। मैं तेरी नदियों को सुखा डालूंगा।’


महासागर की प्रचण्‍ड लहरों से अधिक प्रचण्‍ड, ऊंचे पर विराजमान प्रभु शक्‍तिशाली है।


छठे स्‍वर्गदूत ने महानदी फरात पर अपना प्‍याला उँडेला। फरात नदी का पानी सूख गया, जिससे पूर्व दिशा के राजाओं का प्रवेश मार्ग तैयार हो जाये।


तीसरे स्‍वर्गदूत ने नदियों और जलस्रोतों पर अपना प्‍याला उँडेला। वे रक्‍त बन गये।


ओ सागर, तुझे क्‍या हुआ कि तू भागा? ओ यर्दन नदी, तू क्‍यों उल्‍टी बहने लगी?


सागर यह देखकर भागा, यर्दन नदी उल्‍टी बहने लगी।


‘यिर्मयाह को ले जाओ। उनकी अच्‍छे से देखभाल करो, और उनका अहित मत करना। जैसा वह तुम्‍हें कहें वैसा ही करना।’


किन्‍तु मैं फरओ के हृदय को हठी बना दूंगा। यद्यपि मैं मिस्र देश में अपने अनेक चिह्‍न और आश्‍चर्यपूर्ण कार्य दिखाऊंगा


जिस मार्ग से वह आया है, उसी मार्ग से वह लौट जाएगा। मैं, प्रभु, कहता हूँ : वह इस नगर में प्रवेश नहीं करेगा।


फारस देश के सम्राट कुस्रू के राज्‍यकाल का प्रथम वर्ष था। उस वर्ष प्रभु ने नबी यिर्मयाह के मुंह से कहे गए अपने वचन को पूरा करने के लिए सम्राट कुस्रू के हृदय को उत्‍प्रेरित किया कि वह अपने समस्‍त साम्राज्‍य में यह घोषणा करे, और उसको लिपिबद्ध कर ले :


‘फारस देश के सम्राट कुस्रू का यह आदेश है : स्‍वर्ग के परमेश्‍वर, प्रभु ने पृथ्‍वी के समस्‍त देश मुझे प्रदान किए और मुझे यह आज्ञा दी कि मैं यहूदा प्रदेश के यरूशलेम नगर में उसके लिए एक भवन बनाऊं।


इनके अतिरिक्‍त मुझे राजकीय वन के अधीक्षक आसाफ के नाम भी एक पत्र दिया जाए। इसमें मेरे लिए इमारती लकड़ी की व्‍यवस्‍था करने का आदेश लिखा हो, जिससे मैं यरूशलेम में मंदिर के निकटवर्ती गढ़ के प्रवेश-द्वार, शहरपनाह और अपने रहने के लिए मकान बनवा सकूँ।’ सम्राट ने मेरे निवेदन को स्‍वीकार कर लिया; क्‍योंकि परमेश्‍वर की कृपा-दृष्‍टि मुझ पर थी।


सम्राट ने अन्‍य स्‍त्रियों से अधिक एस्‍तर को प्‍यार किया; और एस्‍तर ने सब कन्‍याओं से अधिक सम्राट की कृपा-दृष्‍टि प्राप्‍त की। सम्राट उससे यहाँ तक प्रसन्न हो गया कि उसने उसके सिर पर राजमुकुट पहिना दिया, और उसको वशती के स्‍थान पर रानी बना दिया।


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