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नीतिवचन 16:4 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

4 प्रभु ने हर एक वस्‍तु को विशेष उद्देश्‍य के लिए रचा है; अत: दुर्जन निस्‍सन्‍देह दु:ख भोगेगा!

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पवित्र बाइबल

4 यहोवा ने अपने उद्देश्य से हर किसी वस्तु को रचा है यहाँ तक कि दुष्ट को भी नाश के दिन के लिये।

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Hindi Holy Bible

4 यहोवा ने सब वस्तुएं विशेष उद्देश्य के लिये बनाईं हैं, वरन दुष्ट को भी विपत्ति भोगने के लिये बनाया है।

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

4 यहोवा ने सब वस्तुएँ विशेष उद्देश्य के लिये बनाई हैं, वरन् दुष्‍ट को भी विपत्ति भोगने के लिये बनाया है।

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नवीन हिंदी बाइबल

4 यहोवा ने हर वस्तु को एक उद्देश्य के लिए रचा है, यहाँ तक कि दुष्‍ट को विपत्ति के दिन के लिए।

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सरल हिन्दी बाइबल

4 याहवेह ने हर एक वस्तु को एक विशेष उद्देश्य से सृजा— यहां तक कि दुष्ट को घोर विपत्ति के दिन के लिए.

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नीतिवचन 16:4
14 क्रॉस रेफरेंस  

परमेश्‍वर ने अपनी सृष्‍टि को देखा, और देखो, वह बहुत अच्‍छी थी। सन्‍ध्‍या हुई, फिर सबेरा हुआ। इस प्रकार छठा दिन बीत गया।


वे भोजन के लिए इधर-उधर भटकता है, और पूछता है, “रोटी कहाँ मिलेगी?” उसे अनुभव होता है, कि विनाश का दिन समीप आ गया है।


सुनो, उनकी साक्षी यह है कि दुर्जन विपत्ति के दिनों में भी बच जाता है, प्रकोप-दिवस पर भी वह सुरक्षित रहता है।


किन्‍तु मैंने तुझे इस उद्देश्‍य से जीवित रखा कि तुझे अपना सामर्थ्य दिखाऊं, जिससे समस्‍त पृथ्‍वी पर मेरे नाम का गुणगान किया जाए।


प्रत्‍येक अहंकारी व्यक्‍ति से प्रभु घृणा करता है; मैं निश्‍चय के साथ कहता हूं: प्रभु उसको अवश्‍य दण्‍ड देगा।


वस्‍तुत: परमेश्‍वर ने हर एक काम का समय निश्‍चित किया है, और प्रत्‍येक काम अथवा प्रत्‍येक वस्‍तु अपने नियत समय पर ही सुन्‍दर लगती है। उसने मनुष्‍य के हृदय में अनादि-अनन्‍त काल का ज्ञान भरा है, फिर भी मनुष्‍य यह भेद जान नहीं पाता है कि परमेश्‍वर ने आदि से अन्‍त तक क्‍या कार्य किया है।


जिनको मैंने अपने लिए रचा है, ताकि वे मेरी स्‍तुति सर्वत्र घोषित करें।’


ये सब मेरे नाम से आराधना करते हैं, इनको मैंने अपनी महिमा के लिए रचा है, इनको मैंने गढ़ा है, इनको मैंने बनाया है।”


सब कुछ परमेश्‍वर से, परमेश्‍वर के द्वारा तथा परमेश्‍वर के लिए है। उसी की युगयुगों तक महिमा हो! आमेन!


यदि परमेश्‍वर ने अपना क्रोध प्रदर्शित करने तथा अपना सामर्थ्य प्रकट करने के उद्देश्‍य से बहुत धैर्य से कोप के उन पात्रों को सहन किया, जो विनाश के लिए तैयार थे, तो कौन आपत्ति कर सकता है?


और यह भी लिखा है, “वह ऐसा पत्‍थर है जिससे लोगों को ठेस लगती है, ऐसी चट्टान है जिससे वे ठोकर खाते हैं।” वे वचन पर विश्‍वास करना नहीं चाहते, इसलिए वे ठोकर खा कर गिर जाते हैं। यही उनकी नियति है।


वे लोभ के कारण अपनी मनगढ़न्‍त बातों द्वारा आप से अनुचित लाभ उठायेंगे। उनकी दण्‍डाज्ञा का निर्णय बहुत पहले हो चुका है और वह उनका पीछा कर रहा है। उनका विनाश सोया हुआ नहीं है!


इस प्रकार हम देखते हैं कि प्रभु धर्मात्‍माओं को संकटों से छुड़ाने और विधर्मियों को दण्‍ड देने के लिए उन्‍हें न्‍याय के दिन तक रख छोड़ने में समर्थ है,


“हमारे प्रभु परमेश्‍वर! तू महिमा, सम्‍मान और सामर्थ्य का अधिकारी है; क्‍योंकि तूने समस्‍त विश्‍व की सृष्‍टि की। तेरी ही इच्‍छा से वह अस्‍तित्‍व में आया और उसकी सृष्‍टि हुई है।”


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