सादोक-वंशीय महापुरोहित अजर्याह ने उसको बताया, ‘महाराज, जबसे लोग प्रभु के भवन में भेंट लाने लगे हैं, तबसे हमें पर्याप्त भोजन प्राप्त होने लगा है। सच तो यह है कि वे इतनी अधिक भेंट चढ़ाते हैं, कि भरपेट खाने के बाद भी अत्यधिक बच जाता है। प्रभु ने अपने निज लोग इस्राएलियों पर आशिष की वर्षा की है। उसके कारण ही हमारे पास यह ढेर बच गया है।’
झूठी शानवाला व्यक्ति धन-सम्पत्ति न होने पर भी धनी होने का ढोंग करता है; प्रदर्शन को पसन्द न करनेवाला मनुष्य धनी होने पर भी निर्धन होने का बहाना करता है।
प्रात: काल से अपना बीज बोना आरम्भ करो, और सन्धया समय भी अपना हाथ मत रोको, और काम करते रहो, क्योंकि तुम नहीं जानते हो कि तुम्हें किस काम में सफलता मिलेगी− इस काम में अथवा उस काम में, या दोनों में।
तुमने बहुत बोया, पर काटा थोड़ा। तुम खाते हो, पर तृप्त नहीं होते। पानी पीते हो, पर प्यास नहीं बुझती। तुम कपड़े पहिनते हो, पर उससे तुम्हारी ठण्ड दूर नहीं होती। मजदूर कमाता है, पर अपनी कमाई को ऐसी थैली में रखता है, जिसमें छेद है।’
क्या मनुष्य मुझ-परमेश्वर को धोखा दे सकता है? पर तुम मुझे धोखा दे रहे हो। तुम पूछते हो, “हम तुझे किस प्रकार धोखा दे रहे हैं?” तुम अपने दशमांश और विधिवत् भेंटों में मुझे धोखा दे रहे हो।
दो तो तुम्हें भी दिया जाएगा। दबा-दबा कर, हिला-हिला कर भरी हुई, ऊपर उठी हुई, पूरी-की-पूरी नाप तुम्हारी गोद में डाली जाएगी; क्योंकि जिस नाप से तुम नापते हो, उसी नाप से तुम्हारे लिए भी नापा जाएगा।”
तू उसे अवश्य उधार देना। जब तू उसे उधार देगा तब तेरे हृदय को बुरा न लगे, क्योंकि इसी बात के कारण तेरा प्रभु परमेश्वर तेरे सब कार्यों पर, तेरे सब उद्यम पर आशिष देगा।