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नीतिवचन 11:24 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

24 मुक्‍त हृदय से लुटानेवाला मनुष्‍य धनवान होता जाता है; पर जो मनुष्‍य जितना देना चाहिए उतना नहीं देता; वह अभावग्रस्‍त हो जाता है।

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पवित्र बाइबल

24 जो उदार मुक्त भाव से दान देता है, उसका लाभ तो सतत बढ़ता ही जाता है, किन्तु जो अनुचित रूप से सहेज रखते, उनका तो अंत बस दरिद्रता होता।

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Hindi Holy Bible

24 ऐसे हैं, जो छितरा देते हैं, तौभी उनकी बढ़ती ही होती है; और ऐसे भी हैं जो यथार्थ से कम देते हैं, और इस से उनकी घटती ही होती है।

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

24 ऐसे हैं, जो छितरा देते हैं, तौभी उनकी बढ़ती ही होती है; और ऐसे भी हैं जो यथार्थ से कम देते हैं, और इस से उनकी घटती ही होती है।

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नवीन हिंदी बाइबल

24 कोई तो उदारता से देता है, फिर भी उसकी बढ़ती होती है; और कोई तो जितना देना चाहिए उससे कम देता है, फिर भी उसे घटी ही रहती है।

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सरल हिन्दी बाइबल

24 कोई तो उदारतापूर्वक दान करते है, फिर भी अधिकाधिक धनाढ्य होता जाता है; किंतु अन्य है जो उसे दबाकर रखता है, और फिर भी वह तंगी में ही रहता है.

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नीतिवचन 11:24
19 क्रॉस रेफरेंस  

सादोक-वंशीय महापुरोहित अजर्याह ने उसको बताया, ‘महाराज, जबसे लोग प्रभु के भवन में भेंट लाने लगे हैं, तबसे हमें पर्याप्‍त भोजन प्राप्‍त होने लगा है। सच तो यह है कि वे इतनी अधिक भेंट चढ़ाते हैं, कि भरपेट खाने के बाद भी अत्‍यधिक बच जाता है। प्रभु ने अपने निज लोग इस्राएलियों पर आशिष की वर्षा की है। उसके कारण ही हमारे पास यह ढेर बच गया है।’


उसने उदारता से दरिद्रों को दान दिया है, उसकी धार्मिकता सदा बनी रहेगी; सम्‍मान से उसका सिर ऊंचा रहता है।


दुर्जन की कमाई मिथ्‍या है; पर धार्मिकता का बीज बोनेवाला मनुष्‍य निश्‍चय ही सच्‍चा फल प्राप्‍त करता है।


धार्मिक मनुष्‍य की अभिलाषा केवल भलाई होती है; पर दुर्जन की आशा का परिणाम प्रभु का क्रोध होता है!


उदारता से देनेवाला मनुष्‍य सम्‍पन्न होता है; दूसरे के खेत को सींचनेवाले किसान की भूमि भी सींची जाती है।


झूठी शानवाला व्यक्‍ति धन-सम्‍पत्ति न होने पर भी धनी होने का ढोंग करता है; प्रदर्शन को पसन्‍द न करनेवाला मनुष्‍य धनी होने पर भी निर्धन होने का बहाना करता है।


जो गरीब को दान करता है वह मानो प्रभु को उधार देता है; प्रभु उसको इस कार्य का प्रतिफल देगा।


जो मनुष्‍य गरीब को उदारता से देता है, उसे किसी प्रकार का अभाव न होगा; किन्‍तु गरीब को देखकर मुंह फेरनेवाले आदमी पर शाप पड़ता है।


जो धनवान अपना धन ब्‍याज और मुनाफाखोरी से बढ़ाता है, उसे अपना धन उस मनुष्‍य के लिए छोड़ना पड़ता है जो गरीबों पर दया करता है।


प्रात: काल से अपना बीज बोना आरम्‍भ करो, और सन्‍धया समय भी अपना हाथ मत रोको, और काम करते रहो, क्‍योंकि तुम नहीं जानते हो कि तुम्‍हें किस काम में सफलता मिलेगी− इस काम में अथवा उस काम में, या दोनों में।


तुमने बहुत बोया, पर काटा थोड़ा। तुम खाते हो, पर तृप्‍त नहीं होते। पानी पीते हो, पर प्‍यास नहीं बुझती। तुम कपड़े पहिनते हो, पर उससे तुम्‍हारी ठण्‍ड दूर नहीं होती। मजदूर कमाता है, पर अपनी कमाई को ऐसी थैली में रखता है, जिसमें छेद है।’


क्‍या मनुष्‍य मुझ-परमेश्‍वर को धोखा दे सकता है? पर तुम मुझे धोखा दे रहे हो। तुम पूछते हो, “हम तुझे किस प्रकार धोखा दे रहे हैं?” तुम अपने दशमांश और विधिवत् भेंटों में मुझे धोखा दे रहे हो।


दो तो तुम्‍हें भी दिया जाएगा। दबा-दबा कर, हिला-हिला कर भरी हुई, ऊपर उठी हुई, पूरी-की-पूरी नाप तुम्‍हारी गोद में डाली जाएगी; क्‍योंकि जिस नाप से तुम नापते हो, उसी नाप से तुम्‍हारे लिए भी नापा जाएगा।”


तू उसे अवश्‍य उधार देना। जब तू उसे उधार देगा तब तेरे हृदय को बुरा न लगे, क्‍योंकि इसी बात के कारण तेरा प्रभु परमेश्‍वर तेरे सब कार्यों पर, तेरे सब उद्यम पर आशिष देगा।


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