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नीतिवचन 11:23 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

23 धार्मिक मनुष्‍य की अभिलाषा केवल भलाई होती है; पर दुर्जन की आशा का परिणाम प्रभु का क्रोध होता है!

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पवित्र बाइबल

23 नेक की इच्छा का भलाई में अंत होता है, किन्तु दुष्ट की आशा रोष में फैलती है।

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Hindi Holy Bible

23 धर्मियों की लालसा तो केवल भलाई की होती है; परन्तु दुष्टों की आशा का फल क्रोध ही होता है।

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

23 धर्मियों की लालसा तो केवल भलाई की होती है; परन्तु दुष्‍टों की आशा का फल क्रोध ही होता है।

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नवीन हिंदी बाइबल

23 धर्मियों की अभिलाषा का परिणाम तो भलाई, परंतु दुष्‍टों की आशा का परिणाम प्रकोप होता है।

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सरल हिन्दी बाइबल

23 धर्मी की आकांक्षा का परिणाम उत्तम ही होता है, किंतु दुष्ट की आशा कोप ले आती है.

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नीतिवचन 11:23
16 क्रॉस रेफरेंस  

अनाथ और दलित के न्‍याय के लिए, प्रभु तू पीड़ित मनुष्‍य की पुकार सुनता है; तू उनके हृदय को आश्‍वस्‍त करेगा, तू उनकी पुकार ध्‍यान से सुनेगा, जिससे मनुष्‍य, जो मिट्टी से रचा गया है, फिर कभी दूसरों को भयभीत न करे।


मैं अपने सम्‍पूर्ण हृदय से तुझको खोजता हूं; मुझे अपनी आज्ञाओं से विमुख न होने देना!


भला हो कि तेरी संविधियों का पालन करने के लिए मेरा आचरण दृढ़ हो जाए।


मैंने केवल एक वरदान प्रभु से मांगा है; मैं जीवन पर्यन्‍त प्रभु के घर में निवास करूँ, और प्रभु के सौन्‍दर्य को निहार सकूँ; उसके भवन में दर्शन करूँ। मैं इसी वरदान की खोज करूँगा।


तब तुम प्रभु में आनन्‍दित होगे; और वह तुम्‍हारी मनोकामना पूर्ण करेगा।


धार्मिक मनुष्‍य की आशाएं पूर्ण होती हैं, और वह आनन्‍दित होता है, पर दुर्जन की आशा निराशा में बदल जाती है।


मुक्‍त हृदय से लुटानेवाला मनुष्‍य धनवान होता जाता है; पर जो मनुष्‍य जितना देना चाहिए उतना नहीं देता; वह अभावग्रस्‍त हो जाता है।


दुर्जन की मृत्‍यु के साथ उसकी आशा भी मर जाती है; अधार्मिक मनुष्‍य की आशा अन्‍त में पूरी नहीं होती।


धार्मिक मनुष्‍य के विचार न्‍यायसंगत होते हैं पर दुर्जन सदा छल-कपट की बातें सोचता है।


सज्‍जन अपने मीठे वचनों से मीठा फल ही खाता है; किन्‍तु विश्‍वासघाती मनुष्‍य की इच्‍छा सदा हिंसा ही होती है।


मेरे प्राण रात में तेरे लिए तरसते हैं, मेरी आत्‍मा मेरे अन्‍त: में तुझे ढूंढ़ती है। जब तेरे न्‍याय-सिद्धान्‍त पृथ्‍वी पर प्रबल होते हैं, तब संसार के निवासी धर्म को सीखते हैं।


प्रभु, मैंने उन पर विपत्ति भेजने के लिए तुझ पर जोर नहीं डाला था; तू जानता है कि मैंने विनाश-दिवस की कामना नहीं की थी। जो कुछ मेरे ओंठों से निकला है, वह सब तू जानता है।


धन्‍य हैं वे, जो धार्मिकता के भूखे और प्‍यासे हैं; क्‍योंकि वे तृप्‍त किये जाएँगे।


एक भयानक आशंका ही शेष रह जाती है−न्‍याय की, और एक भीषण अग्‍नि की, जो विद्रोहियों को निगल जाना चाहती है।


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