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नीतिवचन 11:11 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

11 निष्‍कपट व्यक्‍ति के आशिष-वचनों से नगर की उन्नति होती है, परन्‍तु दुर्जन के दुर्वचनों से वह ध्‍वस्‍त हो जाता है।

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पवित्र बाइबल

11 सच्चे जन की आशीष नगर को ऊँचा उठा देती किन्तु दुष्टों की बातें नीचे गिरा देती हैं।

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Hindi Holy Bible

11 सीधे लोगों के आशीर्वाद से नगर की बढ़ती होती है, परन्तु दुष्टों के मुंह की बात से वह ढाया जाता है।

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

11 सीधे लोगों के आशीर्वाद से नगर की बढ़ती होती है, परन्तु दुष्‍टों के मुँह की बात से वह ढाया जाता है।

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नवीन हिंदी बाइबल

11 सीधे लोगों के आशीर्वाद से नगर की उन्‍नति होती है, परंतु दुष्‍टों की बातों से वह ढाया जाता है।

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सरल हिन्दी बाइबल

11 ईमानदार के आशीर्वाद से नगर की प्रतिष्ठा बढ़ जाती है, किंतु दुर्जन का वक्तव्य ही उसे ध्वस्त कर देता है.

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नीतिवचन 11:11
14 क्रॉस रेफरेंस  

इसलिए तुमने नहीं, वरन् परमेश्‍वर ने मुझे यहाँ भेजा है। उसी ने मुझे फरओ का प्रधान मन्‍त्री, उसके महल का स्‍वामी और समस्‍त मिस्र देश का शासक नियुक्‍त किया है।


संयोग से वहाँ एक गुण्‍डा था। उसका नाम शेबा था। वह बिकरी नामक मनुष्‍य का पुत्र था। वह बिन्‍यामिन कुल का था। शेबा ने विद्रोह का नरसिंगा फूंका। उसने कहा : ‘दाऊद के राज्‍य में हमारा कोई भाग नहीं; यिशय के पुत्र की सत्ता में हमारा पैतृक अधिकार नहीं। ओ इस्राएल प्रदेश की जनता, अपने घर लौट चल!’


वह निर्दोष मनुष्‍य को बचाता है; तुम अपने निष्‍कलंक आचरण के कारण बचाए जाओगे।’


जब धार्मिक मनुष्‍य का कल्‍याण होता है, तब सम्‍पूर्ण नगर जय जयकार करता है किन्‍तु दुर्जन के विनाश पर सब नगरवासी हर्ष मनाते हैं।


जो मनुष्‍य अपने पड़ोसी को तुच्‍छ समझता है, वह नासमझ है; पर समझदार व्यक्‍ति अपनी वाणी पर संयम रखता है!


राष्‍ट्र की उन्नति का आधार है धार्मिकता; पर पाप कौम का कलंक होता है।


जब देश में अराजकता फैल जाती है तब अनेक लोग शासक बन जाते हैं; किन्‍तु समझदार और बुद्धिमान लोगों के कारण राष्‍ट्र दीर्घ काल तक सुदृढ़ बना रहता है।


हर बात की हंसी उड़ानेवाले लोग नगर में आग लगाते हैं; किन्‍तु बुद्धिमान मनुष्‍य क्रोधाग्‍नि पर शीतल जल के छींटे डालते हैं।


उस छोटे-से नगर में एक गरीब, पर बुद्धिमान मनुष्‍य था। उसने अपनी बुद्धि से उस नगर को बचाया। फिर भी उस गरीब को सब लोग भूल गए।


जीभ भी एक आग है। उसमें अधर्म का संसार भरा पड़ा है। हमारे अंगों में जीभ ही है जो हमारा समस्‍त शरीर दूषित करती और नरकाग्‍नि से प्रज्‍वलित हो कर हमारे भव-चक्र में आग लगा देती है।


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