जब इस्राएल प्रदेश के राजा ने यह पत्र पढ़ा, तब उसने संकट और घृणा को प्रकट करने के लिए अपने वस्त्र फाड़े और यह कहा, ‘क्या मैं ईश्वर हूं, जो प्राण लेता और प्राण देता है! देखो, इस आदमी ने मेरे पास सन्देश भेजा है कि मैं इस मनुष्य को उसके कोढ़ से स्वस्थ करूं! इसकी बात सुनो, ध्यान दो, और देखो कि सीरिया देश का राजा किस प्रकार मुझसे युद्ध करने का बहाना ढूंढ़ रहा है।’
परमेश्वर ने कहा, ‘अब अपना हाथ फिर से वस्त्र के भीतर छाती पर रख।’ अत: मूसा ने पुन: अपना हाथ वस्त्र के भीतर छाती पर रखा। जब उन्होंने उसे छाती से बाहर निकाला तब वह उनके शेष शरीर के सदृश जैसा का तैसा हो गया।
यदि वे इन दोनों चिह्नों पर भी विश्वास न करें, और तेरी बात को न सुनें तो तू नील नदी का जल लेना और उसे सूखी भूमि पर उण्डेलना। जो जल तू नील नदी से लेगा, वह सूखी भूमि पर रक्त बन जाएगा।’
अब मुझे देखो! मैं, हाँ मैं, वही हूँ! मेरे अतिरिक्त कोई ईश्वर नहीं है। मैं ही प्राण लेता हूँ, मैं ही जीवन देता हूँ। मैं ही घायल करता हूँ, मैं ही स्वस्थ करता हूँ। मेरे हाथ से छुड़ानेवाला कोई नहीं है।