वे राजा उज्जियाह के सम्मुख खड़े हो गए। उन्होंने कहा, ‘महाराज, यह आपका काम नहीं है कि आप प्रभु के लिए सुगन्धित धूप-बलि जलाएँ। धूप जलाने के लिए हारून-वंशीय पुरोहित प्रभु को अर्पित किए गए हैं। यह अधिकार उनका है। आप पवित्र-स्थान से बाहर चले जाइए। आपने अनुचित काम किया है; प्रभु परमेश्वर की ओर से आपको इस कार्य का अच्छा फल नहीं मिलेगा।’
हारून और उसके पुत्र मिलन-शिविर के अन्त:पट के बाहर, जो साक्षी-मंजूषा के सामने है, दीप को सन्ध्या से सबेरे तक प्रभु के सम्मुख सजा कर रखें। यह सदा के लिए संविधि होगी, जिसका पालन इस्राएली समाज पीढ़ी से पीढ़ी तक करता रहेगा।
उन्हें कौन दोषी ठहरायेगा? क्या येशु मसीह ऐसा करेंगे? वह तो मर गये, बल्कि जी उठे और परमेश्वर के दाहिने हाथ विराजमान हो कर हमारे लिए निवेदन करते रहते हैं।
यही कारण है कि जो लोग उनके द्वारा परमेश्वर की शरण लेते हैं, वह उन्हें पूर्णत: बचाने में समर्थ हैं; क्योंकि वह उनकी ओर से निवेदन करने के लिए सदा जीवित हैं।
मसीह ने हाथ के बने हुए उस पवित्र-स्थान में प्रवेश नहीं किया, जो वास्तविक “पवित्र-स्थान” का प्रतिरूप मात्र हैं। उन्होंने स्वर्ग में ही प्रवेश किया है, जिससे वह अब हमारी ओर से परमेश्वर के सामने उपस्थित हो सकें।
मैंने इस्राएल के सब कुलों में से तेरे पितृ-कुल को चुना था कि वह मेरा पुरोहित बने, मेरी वेदी के निकट आए, सुगंधित धूप-द्रव्य जलाए, और मेरे एपोद को वहन करे। जो अग्नि-बलि इस्राएली मुझे चढ़ाते थे, वह सब मैं तेरे पितृ-कुल को दे देता था।