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निर्गमन 27:9 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

9 ‘तू निवास-स्‍थान का आंगन बनाना। आंगन के दक्षिणी भाग के परदे पतले बुने हुए सूती वस्‍त्र के होंगे। वे एक ओर पैंतालीस मीटर लम्‍बे होंगे।

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पवित्र बाइबल

9 “तम्बू के चारों ओर कनातों की एक दीवार बनाओ। यह तम्बू के लिए एक आँगन बनाएगी। दक्षिण की ओर कनातों की यह दीवार पचास गज लम्बी होनी चाहिए। ये कनातें सन के उत्तम रेशों से बनी होनी चाहिए।

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Hindi Holy Bible

9 फिर निवास के आंगन को बनवाना। उसकी दक्खिन अलंग के लिये तो बटी हुई सूक्ष्म सनी के कपड़े के सब पर्दों को मिलाए कि उसकी लम्बाई सौ हाथ की हो; एक अलंग पर तो इतना ही हो।

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

9 “फिर निवास के आँगन को बनवाना। उसके दक्षिण की ओर के लिये बटी हुई सूक्ष्म सनी के कपड़े के परदे हों, उसकी लम्बाई सौ हाथ की हो; एक किनारे पर इतना ही हो।

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नवीन हिंदी बाइबल

9 “फिर तू निवासस्थान का आँगन बनवाना। आँगन के दक्षिणी भाग के लिए बटे हुए महीन मलमल के परदे हों, जिनकी लंबाई एक ओर सौ हाथ की हो।

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सरल हिन्दी बाइबल

9 “फिर पवित्र स्थान के आंगन को बनवाना. आंगन के दक्षिण हिस्से में बंटी हुई बारिक सनी के कपड़े का पर्दा हो, जिनकी लंबाई पैंतालीस मीटर हो.

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निर्गमन 27:9
29 क्रॉस रेफरेंस  

उसने आन्‍तरिक आंगन की दीवार को गढ़े हुए पत्‍थरों के तीन रद्दों से तथा देवदार के शहतीरों की एक परत से बनाया।


उसी दिन राजा ने मध्‍यवर्ती आंगन को भी प्रभु की महिमा के लिए अर्पित किया। यह प्रभु-भवन के सामने था। प्रभु के सम्‍मुख की कांस्‍य वेदी छोटी थी। उस पर अग्‍नि-बलि, अन्न-बलि और सहभागिता-बलियों की चर्बी चढ़ाना सम्‍भव न था। इसलिए राजा ने मध्‍यवर्ती आंगन में अग्‍नि-बलि, अन्न-बलि और सहभागिता-बलियों की चर्बी चढ़ाई।


मनश्‍शे ने प्रभु के भवन के दो आंगनों में आकाश की सब प्राकृतिक शक्‍तियों की पूजा के लिए वेदियां बनाईं।


उसने पुरोहितों का आंगन, बड़ा आंगन, तथा आंगन के दरवाजे भी बनवाए, और उन दरवाजों को पीतल से मढ़ दिया।


उसके भवन के द्वारों से स्‍तुति-बलि के साथ प्रवेश करो; स्‍तुति गाते हुए उसके आंगनों में आओ। उसकी सराहना करो, उसके नाम को धन्‍य कहो!


तेरे आंगनों में एक दिन रहना अन्‍यत्र हजार दिन रहने से श्रेष्‍ठ है। दुष्‍टता के शिविर में निवास करने की अपेक्षा अपने परमेश्‍वर के भवन के द्वार पर खड़ा रहना ही मुझे प्रिय है।


वे प्रभु के गृह में रोपे गए हैं; वे हमारे परमेश्‍वर के आंगनों में फलते-फूलते हैं।


उनके लिए बीस खम्‍भे और पीतल की बीस आधार-पीठिकाएँ होनी चाहिए। किन्‍तु खम्‍भों के छल्‍ले तथा उनको जोड़ने वाली पट्टियाँ चांदी की होंगी।


आंगन के परदे, खम्‍भे, आधार-पीठिकाएँ, आंगन के प्रवेश द्वार के लिए परदा;


उसने पहले जुड़े परदे के छोर में पचास फन्‍दे डाले। ऐसे ही दूसरे जुड़े हुए परदे के छोर में पचास फन्‍दे डाले।


आंगन के परदे, उसके खम्‍भे, उसकी आधार-पीठिकाएँ, आंगन के प्रवेश-द्वार का परदा, उसकी रस्‍सियाँ, उसकी खूंटियाँ; और सब सामान जो मिलन-शिविर, निवास-स्‍थान की सेवा के लिए आवश्‍यक था;


मूसा ने निवास-स्‍थान और वेदी के चारों ओर कनात खड़ी करके आंगन बनाया और आंगन के प्रवेश-द्वार पर परदा लटकाया। इस प्रकार मूसा ने कार्य समाप्‍त किया।


तू चारों ओर कनात खड़ी करके आंगन बनाना और आंगन के द्वार पर परदा लटकाना।


उसने ओसारे को भी नापा। उसकी चौड़ाई दस मीटर थी। फाटक के ओसारे के चारों ओर आंगन था।


तत्‍पश्‍चात् वह मुझे बाहरी आंगन में ले गया। वहां मैंने यह देखा: आंगन के चारों ओर कमरे और एक फर्श है। फर्श पर तीस कमरे बने हुए हैं।


वहाँ एक फाटक था। उसका मुख उत्तर की ओर था। यह मन्‍दिर के बाहरी आंगन का फाटक था। उसने फाटक की लम्‍बाई और चौड़ाई नापी।


पूर्वमुखी फाटक की तरह ही उत्तरी फाटक के सामने एक फाटक था, जिस से भीतरी आंगन में प्रवेश करते थे। उसने दोनों फाटकों की दूरी नापी। वह पचास मीटर निकली।


वह मुझे दक्षिणी फाटक से मन्‍दिर के भीतरी आंगन में ले गया, और उसने दक्षिणी फाटक को नापा। उसकी भी वही नाप निकली जो अन्‍य फाटकों की थी।


फिर वह मुझे भीतरी आंगन के पूर्वी भाग में ले गया, और उसने फाटक को नापा। उसकी भी वही नाप निकली जो अन्‍य फाटकों की थी।


इसके पश्‍चात् वह मुझे बाहर से भीतरी आंगन में ले गया। वहाँ मैंने दो कमरे देखे। एक कमरा उत्तरी फाटक के दक्षिण में था, और दूसरा कमरा दक्षिणी फाटक के उत्तर में था।


मन्‍दिर के आसपास दस मीटर चौड़े आंगन के सामने तथा बाहरी आंगन के फर्श के सामने तीन मंजिलों के छज्‍जे थे।


आंगन के परदे, निवास-स्‍थान तथा वेदी के चारों ओर के आंगन के द्वार का परदा, और उनकी रस्‍सियों से सम्‍बन्‍धित समस्‍त सेवाकार्य करते थे।


आंगन के परदे, निवास-स्‍थान तथा वेदी के चारों ओर के आंगन के द्वार का परदा, उनकी रस्‍सियाँ, और इन सबसे सम्‍बन्‍धित सेवा-कार्य की अन्‍य वस्‍तुएँ वहन करेंगे। जो कार्य इनसे होते हैं, वे उन कार्यों को भी करेंगे।


आंगन के चारों ओर के खम्‍भों, उनकी आधार-पीठिकाओं, खूंटों और रस्‍सियों तथा इनसे सम्‍बन्‍धित सेवा-कार्य की अन्‍य वस्‍तुओं को ढोकर ले जाएंगे। जो वस्‍तुएँ उन्‍हें वहन करना है, उनको नाम के साथ निर्धारित करना।


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