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निर्गमन 24:18 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

18 मूसा ने मेघ के भीतर प्रवेश किया, और वह पहाड़ पर चढ़े। वह चालीस दिन और चालीस रात पहाड़ पर रहे।

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पवित्र बाइबल

18 तब मूसा बादलों में और ऊपर पर्वत पर चढ़ा। मूसा पर्वत पर चालीस दिन और चालीस रात रहा।

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Hindi Holy Bible

18 तब मूसा बादल के बीच में प्रवेश करके पर्वत पर चढ़ गया। और मूसा पर्वत पर चालीस दिन और चालीस रात रहा॥

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

18 तब मूसा बादल के बीच में प्रवेश करके पर्वत पर चढ़ गया। और मूसा पर्वत पर चालीस दिन और चालीस रात रहा।

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नवीन हिंदी बाइबल

18 तब मूसा बादल में प्रवेश करके पर्वत के ऊपर तक चढ़ गया। मूसा चालीस दिन और चालीस रात पर्वत पर रहा।

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सरल हिन्दी बाइबल

18 मोशेह पर्वत पर बादलों के बीच से होते हुए चढ़ गए और चालीस दिन और चालीस रात वहां रहे.

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निर्गमन 24:18
18 क्रॉस रेफरेंस  

प्रभु ने कहा, ‘गुफा से बाहर निकल, और मुझ-प्रभु के सम्‍मुख पहाड़ पर खड़ा हो।’ तब प्रभु वहां से गुजरा। एक महाशक्‍तिशाली पवन बहा। उसने पहाड़ को फाड़ दिया। प्रभु के सम्‍मुख की चट्टानों के टुकड़े-टुकड़े कर दिये। पर प्रभु पवन में नहीं था। पवन के पश्‍चात् भूडोल हुआ। पर प्रभु भूडोल में नहीं था।


अत: एलियाह उठे। उन्‍होंने खाया-पिया। वह इस भोजन से बल प्राप्‍त कर चालीस दिन और चालीस रात चलते रहे, और परमेश्‍वर के पर्वत होरेब पर पहुंचे।


प्रभु सीनय पर्वत के शिखर पर उतरा। उसने मूसा को पहाड़ के शिखर पर बुलाया। वह गए।


पहाड़ के शिखर पर प्रभु की महिमा का दर्शन इस्राएली समाज की दृष्‍टि में प्रचण्‍ड अग्‍नि के सदृश प्रतीत हुआ।


प्रभु ने मूसा से कहा,


जब लोगों ने देखा कि मूसा पहाड़ से उतरने में विलम्‍ब कर रहे हैं तब वे हारून के पास एकत्र हुए। उन्‍होंने कहा, ‘उठिए! हमारे लिए ऐसा देवता बनाइए, जो हमारे आगे-आगे चले; क्‍योंकि हम नहीं जानते हैं कि इस पुरुष मूसा को, जो हमें मिस्र देश से निकाल लाया है, क्‍या हुआ?’


मूसा वहाँ प्रभु के साथ चालीस दिन और चालीस रात रहे। न तो उन्‍होंने रोटी खाई और न पानी पिया। उन्‍होंने विधान की बातें, अर्थात् दस आज्ञाएँ पट्टियों पर लिख लीं।


मूसा ने उससे कहा, ‘जैसे ही मैं नगर के बाहर जाऊंगा, प्रभु की ओर अपने हाथ फैलाऊंगा। तब मेघों की गरज बन्‍द हो जाएगी और ओले फिर न बरसेंगे, जिससे आपको ज्ञात हो जाएगा कि पृथ्‍वी प्रभु की है।


मूसा फरओ के पास से नगर के बाहर गए, और प्रभु की ओर अपने हाथ फैलाए। अत: मेघों की गरज एवं ओलों की वर्षा रुक गई। पृथ्‍वी पर वर्षा भी बन्‍द हो गई।


जब कोई पीछा भी नहीं करता तब भी दुर्जन डर से भागता है; पर धार्मिक मनुष्‍य सिंह के समान साहसी होता है, और वह निर्भयता से शत्रु का सामना करता है।


येशु चालीस दिन और चालीस रात उपवास करते रहे। इसके बाद उन्‍हें भूख लगी।


वह चालीस दिन निर्जन प्रदेश में रहे और शैतान ने उनकी परीक्षा ली। वह वन-पशुओं के साथ रहते थे और स्‍वर्गदूत उनकी सेवा-परिचर्या करते थे।


जहाँ शैतान चालीस दिन तक उनकी परीक्षा लेता रहा। येशु ने उन दिनों कुछ भी नहीं खाया। जब चालीस दिन बीत गए तब उन्‍हें बहुत भूख लगी।


‘मैं पहले के समान पहाड़ पर चालीस दिन और चालीस रात रहा। उस समय भी प्रभु ने मेरी बात सुनी, और तुम्‍हें नष्‍ट करने की इच्‍छा त्‍याग दी।


परन्‍तु तू यहाँ मेरे पास खड़ा रह, और मैं तुझको सब आज्ञाएँ, संविधियाँ और न्‍याय-सिद्धान्‍त बताऊंगा, जो तू उन्‍हें सिखाएगा जिससे वे उस देश में, जो मैं उन्‍हें उस पर अधिकार करने के लिए प्रदान कर रहा हूँ, उनके अनुसार कार्य कर सकें।”


मैं पहले के समान चालीस दिन और चालीस रात प्रभु के सम्‍मुख पड़ा रहा। मैंने न रोटी खाई, और न पानी पिया, क्‍योंकि जो कार्य प्रभु की दृष्‍टि में बुरा था, उसको करके तुमने पाप किया था और इस प्रकार तुमने प्रभु को चिढ़ाया था।


‘अत: मैं प्रभु के सम्‍मुख चालीस दिन और चालीस रात पड़ा रहा, क्‍योंकि प्रभु ने कहा था कि वह तुम्‍हें नष्‍ट कर देगा।


जब मैं पत्‍थर की पट्टियाँ, उस विधान की पट्टियाँ, जो प्रभु ने तुम्‍हारे साथ स्‍थापित किया, ग्रहण करने के लिए पहाड़ पर चढ़ा था, तब मैं चालीस दिन और चालीस रात तक पहाड़ पर रहा। मैंने न रोटी खायी और न पानी पिया।


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