7 “कोई भी व्यक्ति अपनी पुत्री को दासी के रूप में बेचने का निश्चय कर सकता है। यदि ऐसा हो तो उसे स्वतन्त्र करने के लिए वे ही नियम नहीं हैं जो पुरुष दासों को स्वतन्त्र करने के लिए हैं।
हम तो उन धनी यहूदी-भाइयों के ही रक्त-मांस हैं और हमारे बाल-बच्चे उनके ही बाल-बच्चों के समान हैं। फिर भी हम विवश किए जा रहे हैं कि अपने बाल-बच्चों को उनके पास गुलाम बनाकर रखें। सच पूछो तो हमारी अनेक कन्याएँ उनकी गुलाम बन भी चुकी हैं। हम यह शोषण रोकने में असमर्थ हैं; क्योंकि हमारे खेत और अंगूर-उद्यान उनके हाथों में जा चुके हैं।’
तो उसका स्वामी उसे परमेश्वर के निकट लाएगा। उसका स्वामी उसे द्वार अथवा चौखट के निकट लाकर सूजे से उसका कान छेदेगा। तत्पश्चात् वह अपने स्वामी की सदा गुलामी करेगा।
यदि वह अपने स्वामी को, जिसने उसे अपने लिए खरीदा है, प्रसन्न न रख सके तो स्वामी उसका मूल्य लेकर उसे स्वतन्त्र कर दे। उसको विदेशी के हाथ में बेचने का अधिकार न होगा। अन्यथा यह उसके साथ विश्वासघात होगा।