29 तूने उन्हें चेतावनी दी थी कि वे तेरी धर्म-व्यवस्था की ओर उन्मुख हों। पर उन्होंने तेरी प्रति धृष्ट व्यवहार किया, और तेरी आज्ञाओं का पालन नहीं किया। जिन न्याय-सिद्धान्तों का पालन करने से मनुष्य को जीवन प्राप्त होता है, उनका उल्लंघन कर उन्होंने पाप किया। उन न्याय-सिद्धान्तों के विरुद्ध हठवादी रुख अपनाया : उनको मानने से इन्कार कर दिया।
29 तूने चेताया उन्हें। फिर से लौट आने को तेरे विधान में किन्तु वे थे बहुत अभिमानी। उन्होंने नकार दिया तेरे आदेश को। यदि चलता है कोई व्यक्ति नियमों पर तेरे तो सचमुच जीएगा वह किन्तु हमारे पूर्वजों ने तो तोड़ा था तेरे नियमों को। वे थे हठीले! मुख फेर, पीठ दी थी उन्होंने तुझे! तेरी सुनने से ही उन्होंने था मना किया।
29 और उन को चिताता था कि उन को फिर अपनी व्यवस्था के आधीन कर दे। परन्तु वे अभिमान करते रहे और तेरी आज्ञाएं नहीं मानते थे, और तेरे नियम, जिन को यदि मनुष्य माने, तो उनके कारण जीवित रहे, उनके विरुद्ध पाप करते, और हठ कर के अपना कन्धा हटाते और न सुनते थे।
29 और उनको चिताता था कि उनको फिर अपनी व्यवस्था के अधीन कर दे। परन्तु वे अभिमान करते रहे और तेरी आज्ञाएँ नहीं मानते थे, और तेरे नियम, जिनको यदि मनुष्य माने, तो उनके कारण जीवित रहे, उनके विरुद्ध पाप करते, और हठ करके अपना कन्धा हटाते और न सुनते थे।
29 “उन्हें अपनी व्यवस्था की ओर फेरने के उद्देश्य से आप उन्हें चेतावनी पर चेतावनी देते रहें. मगर वे अपने हठ में ही अड़े रहें, आपके आदेशों को न मानते थे और आपके नियमों के विरुद्ध पाप करते रहें, जिनका पालन करने में ही मानव का जीवन है. अपने हठ में वे आपकी आज्ञा को ठुकराते चले गए.
29 और उनको चिताता था कि उनको फिर अपनी व्यवस्था के अधीन कर दे। परन्तु वे अभिमान करते रहे और तेरी आज्ञाएँ नहीं मानते थे, और तेरे नियम, जिनको यदि मनुष्य माने, तो उनके कारण जीवित रहे, उनके विरुद्ध पाप करते, और हठ करके अपना कंधा हटाते और न सुनते थे।
प्रभु इस्राएल और यहूदा प्रदेशों को नबियों और द्रष्टाओं के द्वारा चेतावनी देता रहा। प्रभु ने उनसे कहा, ‘अपने कुमार्गों को छोड़ दो, और मेरी आज्ञाओं और संविधियों का पालन करो। जो व्यवस्था मैंने तुम्हारे पूर्वजों को प्रदान की थी, जो व्यवस्था मैंने अपने सेवक नबियों के हाथ से तुम्हें भेजी थी, उसके अनुसार कार्य करो।’
फिर भी वह उनको अपनी ओर उन्मुख करने के लिए उनके मध्य-नबियों को भेजता रहा। नबियों ने उनको समझाया; किन्तु उन्होंने नबियों की चेतावनी पर ध्यान नहीं दिया।
फिर भी उनके पूर्वजों का प्रभु परमेश्वर अपने निज लोगों तथा अपने निवास-स्थान पर दयापूर्ण दृष्टि करता रहा। इसलिए वह उनको समझाने के लिए निरन्तर अपने सन्देश-वाहक भेजता रहा।
उन्हीं दिनों में मैंने यहूदा प्रदेश में देखा कि किसान विश्राम-दिवस पर रस-कुण्डों में अंगूर को रौंद कर उसका रस निकालते हैं। वे विश्राम-दिवस पर खेतों से अनाज के पूले लाते और उनको गधों पर लादते हैं। इसी प्रकार वे अंगूर-रस, अंगूर के गुच्छे, अंजीर के फल आदि सब प्रकार के बोझ विश्राम-दिवस पर ढो-ढोकर यरूशलेम में लाते हैं। विश्राम-दिवस पर वे भोजन-सामग्री बेचते हैं। मैंने उनको चेतावनी दी।
और तब तूने फरओ, और उसके कर्मचारियों, तथा मिस्र देश के निवासियों के विरुद्ध आश्चर्यपूर्ण कार्य किए और चिह्न दिखाए थे; क्योंकि तू जानता था कि उन्होंने हमारे पूर्वजों से असभ्य व्यवहार किया था। यों तूने अपना नाम प्रतिष्ठित किया, जो आज तक प्रतिष्ठित है।
‘फिर भी उन्होंने तेरे धर्म-नियमों का उल्लंघन किया; और उन्होंने तेरे प्रति विद्रोह किया। उन्होंने तेरी व्यवस्था को कूड़े में डाल दिया, और उन नबियों को मार डाला जो उन्हें सावधान करते थे, और तेरे पास लौटने का सन्देश देते थे। यों उन्होंने तेरी घोर निन्दा की।
‘तू अनेक वर्षों तक उनकी हठधर्मिता को सहता रहा; तूने अपने आत्मा के द्वारा, अपने नबियों के माध्यम से उनको चेतावनी दी; फिर भी उन्होंने उन पर कान नहीं दिया। इसलिए तूने अनेक देशों की कौमों के हाथों में उनको सौंप दिया।
मूसा और हारून फरओ के पास गए। उन्होंने उससे कहा, ‘इब्रानियों का परमेश्वर, प्रभु यों कहता है, “तू कब तक मेरे सम्मुख नतमस्तक नहीं होगा? मेरे लोगों को जाने दे कि वे मेरी सेवा करें।
किन्तु तुम्हारे पूर्वजों ने मेरी आज्ञा नहीं मानी; उन्होंने अकड़ कर अपनी गर्दन टेढ़ी कर ली। उन्होंने अपने कान बन्द कर लिये, जिससे वे मेरे वचन न सुनें और न किसी प्रकार का उपदेश ग्रहण करें।
‘इस्राएल का परमेश्वर, स्वर्गिक सेनाओं का प्रभु यों कहता है: जिस विपत्ति की घोषणा मैंने तुम्हारे हठ और दुराचरण के कारण की है, वह मैं इस नगर और यहूदा प्रदेश के सब नगरों पर ला रहा हूं; क्योंकि तुमने अपना हृदय कठोर बना लिया है, और मेरे वचनों को सुनने से इन्कार कर दिया है।’
तब अजर्याह बेन-होशाया, योहानान बेन-कारेह तथा अन्य ढीठ लोगों ने यिर्मयाह को उत्तर दिया, ‘आप झूठ बोल रहे हैं। हमारे प्रभु परमेश्वर ने आप को यह कहने के लिए नहीं भेजा है कि मिस्र देश में बसने के लिए मत जाओ।
आज भी उन्होंने अपने दुष्कर्मों से पश्चात्ताप कर अपने हृदय को विनम्र नहीं किया। वे मेरी भक्ति नहीं करते। जो धर्म-नियम और संविधियां मैंने तुम्हारे सामने और तुम्हारे पूर्वजों के सम्मुख रखी थीं, उन के अनुरूप वे आचरण नहीं करते।
फिर भी उन्होंने मेरी आज्ञा का पालन नहीं किया, और न ही उस पर कान दिया। उन्होंने अपना हृदय पत्थर-सा कठोर बना लिया, और अपने पूर्वजों से बढ़कर दुष्कर्म किए।
पर जब आपके पिता का हृदय अहंकार से भर गया, जब आपके पिता की आत्मा कठोर बन गई और वह घमण्ड में आकर अनुचित कार्य करने लगे, तब परमेश्वर ने उनको उनके राजसिंहासन से उतार दिया और उनसे उनका ऐश्वर्य छीन लिया।
जब उन पर विपत्तियों और कष्टों का पहाड़ टूट पड़ेगा, तब यह गीत उनके विरुद्ध साक्षी देगा! (क्योंकि उनके वंशज भी इस गीत को कभी विस्मृत नहीं कर सकेंगे) इस देश में, जिसको प्रदान करने की शपथ मैंने खाई थी, उनके प्रवेश करने के पूर्व से मैं उनकी योजनाओं को, जो ये बना रहे हैं, जानता हूँ।’
मैं जानता हूँ कि तुम विद्रोही और ऐंठी गरदन वाले लोग हो! देखो, यदि मेरे जीवित रहते, तुम्हारे साथ रहते हुए भी तुम आज प्रभु के विरुद्ध विद्रोह करते हो, तो मेरी मृत्यु के पश्चात् विद्रोह क्यों न करोगे?
तो मैं आज आकाश और पृथ्वी को तुम्हारे विरुद्ध साक्षी देने के लिए बुलाता हूं: तुम उस देश में अविलम्ब मिट जाओगे जहां तुम यर्दन नदी को पार कर अधिकार करने के लिए जा रहे हो। तुम उस पर अधिक दिन तक जीवित नहीं रह सकोगे, वरन् पूर्णत: मिट जाओगे।
तब मैंने तुमसे यह कहा था : मैं तुम्हारा प्रभु परमेश्वर हूँ। तुम एमोरी जाति के देवताओं की, जिनके देश में निवास करोगे, पूजा मत करना। पर तुमने मेरी वाणी नहीं सुनी।” ’