2 इसका कारण था वे लोग, जो यह कह रहे थे “हम, हमारे पुत्र और हमारी पुत्रियां गिनती में बहुत हैं; इसलिये हमें अनाज दिया जाए कि हम उसे खाकर ज़िंदा रह सकें.”
यदि तुम मेरी यह बात नहीं सुनोगे, मेरे नाम की महिमा करने पर ध्यान नहीं दोगे, तो मैं, स्वर्गिक सेनाओं का प्रभु, यह कहता हूं: मैं तुम पर शाप प्रेषित करूंगा। मैं तुम्हारे वरदानों को शापों में बदल दूंगा। निस्सन्देह मैंने उन्हें शाप में बदल दिया है, क्योंकि तुमने मेरे नाम की महिमा करने पर ध्यान नहीं दिया।
यहूदा ने अपने पिता याकूब से कहा, ‘लड़के को मेरे साथ भेजिए। हम मिस्र देश जाएँगे जिससे हम और आप एवं हमारे छोटे-छोटे बच्चे भूख से मरें नहीं, वरन् जीवित रहें।
एक बार नबी-संघ के किसी नबी की विधवा ने एलीशा की दुहाई दी। विधवा ने कहा, ‘आपके सेवक, मेरे पति की मृत्यु हो गई है। आप जानते हैं कि मेरे पति प्रभु की कितनी भक्ति करते थे। अब, सूदखोर मेरे दो पुत्रों को लेने और उनको गुलाम बनाने के लिए आया है।’
तुमने बहुत बोया, पर काटा थोड़ा। तुम खाते हो, पर तृप्त नहीं होते। पानी पीते हो, पर प्यास नहीं बुझती। तुम कपड़े पहिनते हो, पर उससे तुम्हारी ठण्ड दूर नहीं होती। मजदूर कमाता है, पर अपनी कमाई को ऐसी थैली में रखता है, जिसमें छेद है।’
हम और हमारे खेत आपके रहते क्यों नष्ट हों? आप अनाज देकर हमें और हमारे खेतों को खरीद लीजिए। तब हम और हमारे खेत फरओ के गुलाम हो जाएँगे। हमें बीज दीजिए जिससे हम नष्ट न हों वरन् जीवित रहें। हमारे खेत न उजड़ें।’