17 तब मैंने उनसे कहा, ‘तुम सब देख रहे हो कि हमारी कौम कैसी दुर्दशा में है। यरूशलेम नगर खण्डहर हो गया है, उसके प्रवेश-द्वार जला दिए गए हैं। आओ, हम-सब यरूशलेम की शहरपनाह को फिर से खड़ा करें ताकि हमारी कौम का और अधिक अपमान न हो।’
17 इसके बाद मैंने उन सभी लोगों से कहा, “यहाँ हम जिन विपत्तियों में पड़े हैं, तुम उन्हें देख सकते हो। यरूशलेम खण्डहरों का ढेर बना हुआ है तथा इसके द्वार आग से जल चुके हैं। आओ, हम यरूशलेम के परकोटे का फिर से निर्माण करें। इससे हमें भविष्य में फिर कभी लज्जित नहीं रहना पड़ेगा।”
17 तब मैं ने उन से कहा, तुम तो आप देखते हो कि हम कैसी दुर्दशा में हैं, कि यरूशलेम उजाड़ पड़ा है और उसके फाटक जले हुए हैं। तो आओ, हम यरूशलेम की शहरपनाह को बनाएं, कि भविष्य में हमारी नामधराई न रहे।
17 तब मैं ने उनसे कहा, “तुम आप देखते हो कि हम कैसी दुर्दशा में हैं, कि यरूशलेम उजाड़ पड़ा है और उसके फाटक जले हुए हैं। आओ, हम यरूशलेम की शहरपनाह को बनाएँ, कि भविष्य में हमारी नामधराई न रहे।”
17 तब मैंने उनसे कहा, “हमारी दुर्दशा आपके सामने साफ़ ही है; येरूशलेम उजाड़ पड़ा है और उसके फाटक गिरे पड़े हैं. आइए, हम येरूशलेम की शहरपनाह को दोबारा बनाएं, कि हम दोबारा हंसी का विषय न रह जाएं.”
17 तब मैंने उनसे कहा, “तुम तो आप देखते हो कि हम कैसी दुर्दशा में हैं, कि यरूशलेम उजाड़ पड़ा है और उसके फाटक जले हुए हैं। तो आओ, हम यरूशलेम की शहरपनाह को बनाएँ, कि भविष्य में हमारी नामधराई न रहे।”
हम गुलाम हैं, पर गुलामी में भी, हे परमेश्वर, तूने हमें नहीं छोड़ा, वरन् फारस के सम्राट के सम्मुख तूने हम पर करुणा की, और हमें गुलामी से कुछ समय के लिए मुक्त किया ताकि हम तेरे भवन को पुन: खड़ा कर सकें, उसके खण्डहरों की मरम्मत कर सकें। हे परमेश्वर, तूने हमें यहूदा प्रदेश और यरूशलेम में हमारे सिर के ऊपर एक छत प्रदान की।
उन्होंने मुझे यह बताया, ‘निष्कासन से लौटे हुए यहूदी जो जीवित हैं, यहूदा प्रदेश में बड़े संकट और शोचनीय स्थिति में हैं। यरूशलेम की शहरपनाह गिरी हुई है; उसके प्रवेश-द्वार जले हुए पड़े हैं।’
मैं उसी रात को घाटी-द्वार से निकला और ‘सियार-कूप’ से गुजरता हुआ ‘कूड़ा-फाटक’ पर पहुंचा। वहां मैंने यरूशलेम की शहरपनाह को देखा, जो गिरा दी गई थी। मैंने उसके प्रवेश-द्वारों का निरीक्षण किया जो आग में जला दिए गए थे।
अधिकारियों को पता नहीं चला कि मैं कहां गया था, और क्या कर रहा था। मैंने अब तक यहूदी जनता, पुरोहितों, प्रतिष्ठित नागरिकों, अधिकारियों तथा उन लोगों को अपने आगमन का अभिप्राय नहीं बताया था, जो यरूशलेम का पुनर्निर्माण-कार्य करने वाले थे।
शल्लूम बेन-कोल्होजे मिस्पाह जिले का प्रशासक था। उसने ‘झरना-द्वार’ की मरम्मत की। उसने उसको फिर बनाया और उसमें दरवाजे, अर्गलाएं और छड़ें लगाईं और उस पर छतरी डाली। उसने शहरपनाह के ‘शिलोह कुण्ड’ की दीवार भी बनाई। यह दीवार राज-उद्यान के पास थी, और दाऊदपुर के नीचे की ओर जाने वाली सीढ़ियों तक जाती थी।
मैं उनको पृथ्वी के समस्त राज्यों के लिए आतंक का कारण बना दूंगा। मैं उनको जिन-जिन देशों में हांक कर ले जाऊंगा वहां-वहां के लोग उनकी निंदा करेंगे, उनका उपहास करेंगे, उनको ताना मारेंगे और शाप देंगे।
स्वामी ने निर्दयतापूर्वक याकूब राष्ट्र की सब बस्तियों को नष्ट कर दिया; उसने अपने क्रोध से यहूदा की पुत्री के गढ़ों को ध्वस्त कर दिया। उसने राज्य और उसके शासकों को अपमानित कर धूल-धूसरित कर दिया।
‘इसके अतिरिक्त, ओ यरूशलेम, मैं तुझको उजाड़ दूंगा, और तेरे पड़ोसी राष्ट्रों की दृष्टि में तुझे निन्दा और घृणा का पात्र बना दूंगा। तेरे पास से गुजरनेवाले तेरी निन्दा करेंगे।
किन्तु अम्मोनी जाति के राजा नाहश ने उनसे कहा, ‘मैं इस शर्त पर तुमसे सन्धि करूँगा। मैं तुममें से प्रत्येक व्यक्ति की दाहिनी आँख निकालूँगा। इस प्रकार मैं समस्त इस्राएली जाति को अपमानित करूँगा।’