9 पर यदि तुम मेरी ओर लौटोगे, मेरी आज्ञाओं का पालन करोगे, उनके अनुरूप आचरण करोगे तो मैं आकाश के कोने-कोने से तुम्हारे बिखरे हुए लोगों को उस स्थान पर एकत्र करूंगा, जिसे मैं अपने नाम को प्रतिष्ठित करने के लिए चुनूंगा।”
9 किन्तु यदि इस्राएल के लोग मेरी ओर लौटे और मेरे आदेशों पर चले तो मैं ऐसा करूँगा: मैं तुम्हारे उन लोगों को, जिन्हें अपने घरों को छोड़कर धरती के दूसरे छोरों तक भागने को विवश कर दिया गया था, वहाँ से मैं उन्हें इकट्ठा करके उस स्थान पर वापस ले आऊँगा जिस स्थान को अपनी प्रजा के लिये मैंने चुना है।’
9 परन्तु यदि तुम मेरी ओर फिरो, और मेरी आज्ञाएं मानो, और उन पर चलो, तो चाहे तुम में से निकाले हुए लोग आकाश की छोर में भी हों, तौभी मैं उन को वहां से इकट्ठा कर के उस स्थान में पहुंचाऊंगा, जिसे मैं ने अपने नाम के निवास के लिये चुन लिया है।
9 परन्तु यदि तुम मेरी ओर फिरो, और मेरी आज्ञाएँ मानो, और उन पर चलो, तो चाहे तुम में से निकाले हुए लोग आकाश की छोर में भी हों, तौभी मैं उनको वहाँ से इकट्ठा करके उस स्थान में पहुँचाऊँगा, जिसे मैं ने अपने नाम के निवास के लिये चुन लिया है।’
9 मगर यदि तुम मेरी ओर फिरकर मेरे आदेशों का पालन करके उनका अनुसरण करोगे, तो तुममें से बिखरे हुए लोगों को यदि दूर आकाश के नीचे तक कर दिया गया है, मैं वहां से भी उस जगह पर ले आऊंगा, जिस जगह को मैंने अपनी प्रतिष्ठा की स्थापना के लिए सही समझा है.’
9 परन्तु यदि तुम मेरी ओर फिरो, और मेरी आज्ञाएँ मानो, और उन पर चलो, तो चाहे तुम में से निकाले हुए लोग आकाश की छोर में भी हों, तो भी मैं उनको वहाँ से इकट्ठा करके उस स्थान में पहुँचाऊँगा, जिसे मैंने अपने नाम के निवास के लिये चुन लिया है।’
यदि वे अपने शत्रुओं के देश में, जो उन्हें बन्दी बनाकर ले गए थे, सम्पूर्ण हृदय और सम्पूर्ण प्राण से पश्चात्ताप करेंगे, और इस देश की ओर जो तूने उनके पूर्वजों को दिया है, इस नगर की ओर, जिसको तूने चुना है, और इस भवन की ओर जो मैंने तेरे नाम की महिमा के लिए निर्मित किया है, मुख करके तुझसे प्रार्थना करेंगे;
प्रभु ने उससे कहा, ‘जो प्रार्थना तूने मुझसे की है, जो विनती तूने मेरे सम्मुख प्रस्तुत की है, उसको मैंने सुना। मैंने उस भवन को, जिसको तूने बनाया है, पवित्र कर दिया। मैंने सदा-सर्वदा के लिए वहां अपना नाम प्रतिष्ठित किया है। मेरी आंखें और मेरा हृदय सब समय उस भवन पर लगे रहेंगे।
‘यह भी कहो: “हे हमारे उद्धारकर्ता परमेश्वर, हमारा उद्धार कर! हम विभिन्न राष्ट्रों में तितर-बितर हैं; वहाँ से हमें एक स्थान पर एकत्र कर, हमारी रक्षा कर, ताकि हम तेरे पवित्र नाम का गुणगान करें, तेरी स्तुति से आनन्दित हों।
परमेश्वर, जिसने अपने नाम को वहां प्रतिष्ठित किया है, उस राजा को, उस कौम को तहस-नहस कर दे जो मेरी आज्ञा को बदलेगा, अथवा यरूशलेम में स्थित परमेश्वर के भवन को नष्ट करने के लिए उसकी ओर हाथ बढ़ाएगा। मैं-दारा यह राजाज्ञा प्रसारित करता हूं। इसका पूरी तरह पालन किया जाए!’
हे प्रभु, हमारे परमेश्वर, हमारी रक्षा कर! विभिन्न राष्ट्रों से हमें एक स्थान पर एकत्र कर, ताकि हम तेरे पवित्र नाम का गुणगान करें, तेरी स्तुति से आनन्दित हों।
वह इन राष्ट्रों को चेतावनी देने के लिए झण्डा फहराएगा, वह इस्राएली राष्ट्र से निष्कासित लोगों को एकत्र करेगा। वह पृथ्वी की चारों दिशाओं से यहूदा के बिखरे हुए निवासियों को बटोरेगा।
स्वामी-प्रभु जो इस्राएल के निष्कासित लोगों को एकत्र करता है, यह कहता है : ‘जो एकत्र हो चुके हैं उनके अतिरिक्त अन्य लोगों को भी मैं उनके पास एकत्र करूंगा।’
प्रभु यों कहता है: ‘ओ विश्वासघातिनी जनता, लौट आ! क्योंकि मैं तेरा स्वामी हूं। मैं प्रत्येक नगर से एक व्यक्ति और हरएक गोत्र से दो जन लूंगा, ओर यों तुझको सियोन में पहुंचा दूंगा।
ओ राष्ट्रों, प्रभु का सन्देश सुनो; और उसके दूर-दूर के, समुद्र तट के द्वीपों में घोषित करो: ‘जिस प्रभु ने इस्राएली कौम को बिखराया था, वही अब उस को एकत्र करेगा। और जैसे चरवाहा अपने रेवड़ की देखभाल करता है वैसे ही प्रभु इस्राएलियों को संभालेगा।’
किन्तु देखो, मैं-प्रभु इस्राएली लोगों को उन सब देशों से वापस लाऊंगा, जहां मैंने क्रोध, रोष और महा कोप में आ कर उन को हांक दिया था। निस्सन्देह मैं उनको वापस लाऊंगा, और वे मेरे कारण यहां निश्चिन्त निवास करेंगे।
‘इसलिए, तू इस्राएली कुल से यह बोल : स्वामी-प्रभु यों कहता है, ओ इस्राएली कुल! पश्चात्ताप करो। अपनी घृणित मूर्तियों से मुंह मोड़ो और अपने घृणित कार्यों को छोड़ो। ओ इस्राएल के वंशजो, मेरी ओर लौटो।
यदि वह स्थान तुझसे दूर होगा, जिसको तेरा प्रभु परमेश्वर अपना नाम वहाँ प्रतिष्ठित करने के लिए चुनेगा, तो प्रभु द्वारा दिए गए गाय-बैल, भेड़-बकरी में से किसी भी पशु को मार सकता है, जैसा आदेश मैंने तुझे दिया है। तू अपने नगर के भीतर अपनी इच्छानुसार उसको खा सकता है।
किन्तु तुम अपने प्रभु परमेश्वर को उस स्थान में ढूंढ़ना जिसको वह स्वयं तुम्हारे सब कुलों की भूमि-भाग में से चुनेगा और वहाँ अपने नाम को प्रतिष्ठित करेगा तथा अपना निवास-स्थान बनाएगा।
‘ओ इस्राएल! जब तेरे साथ ये सब बातें घटेंगी, तुझ पर ये आशिषें और अभिशाप पड़ेंगे, जिनको मैंने तेरे सम्मुख प्रस्तुत किया है, और जब उन राष्ट्रों में तेरे लोग अपने हृदय में विचार करेंगे, जहाँ तेरे प्रभु परमेश्वर ने उन्हें जाने को बाध्य किया है,