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दानिय्येल 7:19 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

19 “तब मेरी इच्‍छा हुई कि मैं चौथे पशु के सम्‍बन्‍ध में उससे वास्‍तविक बात पूछूं। यह पशु अन्‍य तीनों पशुओं से भिन्न था। वह देखने में बड़ा भयानक था। उसके दांत लोहे के और नख पीतल के थे। वह सब कुछ खाता और टुकड़े-टुकड़े कर देता था। जो उसके मुंह से बच जाता था, उसको वह अपने पंजों से रौंद डालता था।

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पवित्र बाइबल

19 “फिर मैंने यह जानना चाहा कि वह चौथा पशु क्या था और उसका क्या अभिप्राय था वह चौथा पशु सभी दूसरे पशुओं से भिन्न था। वह बहुत भयानक था। उसके दाँत लोहे के थे, और पंजे काँसे के थे। यह वह पशु था, जिसने अपने शिकार को चकनाचूर करके पूरी तरह खा लिया था, और अपने शिकार को खाने के बाद जो कुछ बचा था, उसे उसने अपने पैरों तले रौंद डाला था।

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Hindi Holy Bible

19 तब मेरे मन में यह इच्छा हुई की उस चौथे जन्तु का भेद भी जान लूं जो और तीनों से भिन्न और अति भयंकर था और जिसके दांत लोहे के और नख पीतल के थे; वह सब कुछ खा डालता, और चूर चूर करता, और बचे हुए को पैरों से रौंद डालता था।

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

19 “तब मेरे मन में यह इच्छा हुई कि उस चौथे जन्तु का भेद भी जान लूँ जो अन्य तीनों से भिन्न और अति भयंकर था और जिसके दाँत लोहे के और नख पीतल के थे; वह सब कुछ खा डालता, और चूर चूर करता, और बचे हुए को पैरों से रौंद डालता था।

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सरल हिन्दी बाइबल

19 “तब मेरे मन में उस चौथे पशु के अर्थ को जानने की इच्छा हुई, जो दूसरे सारे पशुओं से भिन्‍न था और जो अपने लोहे के दांतों और कांसे के पंजों के साथ बहुत डरावना था—वह पशु जो अपने शिकार को दबाकर खा जाता था और बचे हुए भाग को अपने पांवों से कुचल डालता था.

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इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019

19 “तब मेरे मन में यह इच्छा हुई कि उस चौथे जन्तु का भेद भी जान लूँ जो और तीनों से भिन्न और अति भयंकर था और जिसके दाँत लोहे के और नख पीतल के थे; वह सब कुछ खा डालता, और चूर-चूर करता, और बचे हुए को पैरों से रौंद डालता था।

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दानिय्येल 7:19
4 क्रॉस रेफरेंस  

मैंने उसके दस सींगों के विषय में भी पूछा, जो उसके सिर पर थे। मैंने उससे उस छोटे सींग के बारे में भी पूछा जो दस सींगों के मध्‍य निकला था, और जिसके कारण तीन सींग गिर गए थे, जिसकी आंखें थीं, और जिसमें बड़े बोल बोलनेवाला मुंह था, और अन्‍य साथी-सींगों में बहुत बड़ा प्रतीत हो रहा था।


“इसके बाद मैंने रात के दर्शनों में चौथा पशु देखा। वह देखने में भयानक, डरावना और अत्‍यन्‍त विशाल था। उसके मुंह में लोहे के बड़े-बड़े दांत थे। वह सब कुछ खाता और टुकड़े-टुकड़े कर देता था। जो उसके मुंह से बच जाता, उसको वह अपने पंजों से रौंद डालता था। वह पहलेवाले तीनों पशुओं से भिन्न था। उसके दस सींग थे।


मैंने उसके सींगों को ध्‍यान से देखा। उसी समय उन सींगों के मध्‍य से एक और सींग निकला, जिसके कारण तीन सींग जड़ से उखड़ गए। यह सींग छोटा था, और इसमें मनुष्‍य की आंखों के समान आंखें थीं। इसमें मुंह भी था, जो बड़े बोल बोल रहा था।


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