यदि महाराज को यह उचित प्रतीत हो तो वह एक राजाज्ञा प्रसारित करें, और यह राजाज्ञा फारस और मादय देशों के विधि-शास्त्र में लिख ली जाए ताकि यह रद्द न की जा सके : “वशती महाराज क्षयर्ष के सम्मुख आज से फिर कभी उपस्थित नहीं हो सकेगी।” महाराज पटरानी का पद किसी अन्य स्त्री को, जो उससे अच्छी हो, प्रदान करें।