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दानिय्येल 4:21 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

21 जिसकी पत्तियां दिखने में सुन्‍दर थीं, और जो फलों से लदा था; जिसमें इतने फल लगे थे कि उनको खाकर सब प्राणी तृप्‍त हो सकते थे; जिसकी छांव में सब वन-पशु बसेरा कर रहे थे; और जिसकी शाखाओं पर आकाश के पक्षियों ने घोंसले बनाए थे,

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Hindi Holy Bible

21 जिसके पत्ते सुन्दर और फल बहुत थे, और जिस में सभों के लिये भोजन था; जिसके नीचे मैदान के सब पशु रहते थे, और जिसकी डालियों में आकाश की चिडिय़ां बसेरा करती थीं,

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

21 जिसके पत्ते सुन्दर और फल बहुत थे, और जिसमें सभों के लिये भोजन था; जिसके नीचे मैदान के सब पशु रहते थे, और जिसकी डालियों में आकाश की चिड़ियाँ बसेरा करती थीं,

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सरल हिन्दी बाइबल

21 जिसकी पत्तियां सुंदर और जिसमें बहुत सारे फल थे, जिससे सबको भोजन मिलता था, जो जंगली जानवरों को आश्रय देता था, और चिड़ियां जिसकी शाखाओं पर घोंसला बनाती थीं—

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इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019

21 जिसके पत्ते सुन्दर और फल बहुत थे, और जिसमें सभी के लिये भोजन था; जिसके नीचे मैदान के सब पशु रहते थे, और जिसकी डालियों में आकाश की चिड़ियाँ बसेरा करती थीं,

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दानिय्येल 4:21
8 क्रॉस रेफरेंस  

उनमें पक्षी अपने घोंसले बनाते हैं; सनोवर के वृक्षों पर लगलग का बसेरा है।


सुनो, मैं उसको इस्राएल प्रदेश के उच्‍चतम पर्वत पर रोपूंगा; तब उसमें डालियां फूटेंगी, और उसमें फल लगेंगे। वह एक शानदार देवदार वृक्ष बन जाएगी। उसके नीचे सब जाति के पशु आश्रय लेंगे; उसकी घनी शाखाओं में सब प्रकार के पक्षी अपना घोंसला बनाएंगे।


आकाश के पक्षी, उसकी टहनियों पर घोंसले बनाते हैं। उसकी छाया में जंगल के पशु अपने बच्‍चों के साथ बसेरा करते हैं। संसार की जातियां भी उसकी छाया में निवास करती हैं। ओ फरओ, तू और तेरी प्रजा ऐसा ही विशाल देवदार वृक्ष हैं।


परमेश्‍वर ने आपके हाथों में पृथ्‍वी के समस्‍त मनुष्‍य, वन के पशु और आकाश के पक्षी सौंपे हैं। महाराज, परमेश्‍वर ने ही आपको इन पर शासन करने की सामर्थ्य दी है। महाराज, आप ही मूर्ति के सोने का सिर हैं।


वह पेड़ बढ़ता ही गया और मजबूत होता गया। वह इतना बढ़ा कि उसका शिखर आकाश को छूने लगा। वह इतना ऊंचा हो गया कि पृथ्‍वी के छोर से दिखाई देने लगा।


“महाराज, जो वृक्ष आपने देखा, और जो बढ़कर मजबूत हो गया, और जो इतना बढ़ा कि उसका शिखर आकाश को छूने लगा, और इतना ऊंचा हो गया कि आकाश के छोर से दिखाई देने लगा;


वह वृक्ष आप हैं, महाराज! आप ही बढ़कर शक्‍तिशाली हो गए हैं। आपकी महानता बढ़कर आकाश को छूने लगी है। आपका राज्‍य पृथ्‍वी के छोरों तक पहुंच गया है।


वह उस राई के दाने के समान है, जिसे ले कर किसी मनुष्‍य ने अपने उद्यान में बोया। वह बढ़ते-बढ़ते पेड़ हो गया और आकाश के पक्षी उसकी डालियों में बसेरा करने आए।”


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