दानिय्येल 2:9 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)9 कि यदि तुम मेरा स्वप्न मुझे नहीं बताओगे, तो तुम्हारे लिए प्राणदण्ड निश्चित् है। तुम परस्पर इस बात में एकमत हो गए हो कि उस समय तक तुम मुझसे झूठ बोलो, मुझे झूठे उत्तर दो जब तक मेरा ध्यान न बंट जाए। इसलिए अब तुरन्त मुझे मेरा स्वप्न बताओ जिससे मुझे मालूम हो जाए कि तुम मुझे उसका अर्थ भी बता सकोगे।’ अध्याय देखेंपवित्र बाइबल9 तुम यह जानते हो कि यदि तुमने मुझे मेरे सपने के बारे में नहीं बताया तो तुम्हें दण्ड दिया जायेगा। सो तुम सब एक मत हो कर मुझसे बातें बना रहे हो। तुम और अधिक समय लेना चाहते हो। तुम्हें यह आशा है कि मैं जो कुछ करना चाहता हूँ उसे तुम्हारी बातों में आकर भूल जाऊँगा। अच्छा अब तुम मुझे मेरा सपना बताओ। यदि तुम मुझे मेरा सपना बता पाओगे तभी मैं यह जान पाऊँगा कि वास्तव में उस सपने का अर्थ क्या है। यह तुम मुझे बता पाओगे!” अध्याय देखेंHindi Holy Bible9 इसलिये यदि तुम मुझे स्वप्न न बताओ तो तुम्हारे लिये एक ही आज्ञा है। क्योंकि तुम ने गोष्ठी की होगी कि जब तक समय न बदले, तब तक हम राजा के साम्हने झूठी और गपशप की बातें कहा करेंगे। इसलिये तुम मुझे स्वप्न को बताओ, तब मैं जानूंगा कि तुम उसका फल भी समझा सकते हो। अध्याय देखेंपवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)9 इसलिये यदि तुम मुझे स्वप्न न बताओ तो तुम्हारे लिये एक ही आज्ञा है। क्योंकि तुम ने गोष्ठी की होगी कि जब तक समय न बदले, तब तक हम राजा के सामने झूठी और गपशप की बातें कहा करेंगे। इसलिये तुम मुझे स्वप्न बताओ, तब मैं जानूँगा कि तुम उसका फल भी समझा सकते हो।” अध्याय देखेंसरल हिन्दी बाइबल9 यदि तुम मुझे स्वप्न नहीं बताते हो, तो तुम्हारे लिये सिर्फ एक ही दंड है. यह आशा करते हुए कि परिस्थिति बदलेगी, तुम लोगों ने मुझसे झूठी और बुरी बातें कहने का षड़्यंत्र रचा है. इसलिये अब, तुम मुझे मेरा स्वप्न बताओ, और तब मैं जान लूंगा कि तुम मुझे उस स्वप्न का अर्थ भी बता सकते हो.” अध्याय देखेंइंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 20199 इसलिए यदि तुम मुझे स्वप्न न बताओ तो तुम्हारे लिये एक ही आज्ञा है। क्योंकि तुम ने गोष्ठी की होगी कि जब तक समय न बदले, तब तक हम राजा के सामने झूठी और गपशप की बातें कहा करेंगे। इसलिए तुम मुझे स्वप्न बताओ, तब मैं जानूँगा कि तुम उसका अर्थ भी समझा सकते हो।” अध्याय देखें |
‘महाराज के सब सेवक तथा साम्राज्य के सब प्रदेशों के निवासी यह बात जानते हैं कि जो स्त्री या पुरुष बिना बुलाए महल के अन्त:पुर में प्रवेश करेगा, उसके लिए केवल एक नियम है : प्राणदण्ड! यह नियम सब पर लागू है और केवल वह व्यक्ति प्राणदण्ड से बच सकता है जिसकी ओर महाराज अपने स्वर्ण राजदण्ड से संकेत करते हैं। मैं तीस दिन से महाराज के पास नहीं बुलाई गई हूँ।’
अब यदि तुम नरसिंगे, बांसुरी, वीणा, सारंगी, सितार, शहनाई और अन्य सब प्रकार के वाद्यों का स्वर सुनकर मेरे द्वारा स्थापित मूर्ति के सम्मुख गिरकर उसका सम्मान करने को तैयार हो, तो ठीक है; तुम्हारा अनिष्ट न होगा। पर यदि तुम मूर्ति के प्रति सम्मान प्रकट नहीं करोगे, तो तुम अविलम्ब धधकती हुई अग्नि की भट्ठी में फेंक दिए जाओगे। तब मैं देखूंगा कि कौन-सा ईश्वर तुम्हें मेरे हाथ से बचाएगा?’