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दानिय्येल 11:45 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

45 वह समुद्र और तेजोमय पवित्र पर्वत के मध्‍य अपने राजसी तम्‍बू गाड़ेगा। तो भी उसका अन्‍त होगा ही। उसको बचाने वाला कोई न होगा।

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पवित्र बाइबल

45 वह अपने राजकीय तम्बू समुद्र और सुन्दर पवित्र पर्वत के बीच लगवायेगा। किन्तु आखिरकार वह बुरा राजा मर जायेगा। जब उसका अंत आयेगा तो उसे सहारा देने वाला वहाँ कोई नहीं होगा।

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Hindi Holy Bible

45 और वह दोनों समुद्रों के बीच पवित्र शिरोमणि पर्वत के पास अपना राजकीय तम्बू खड़ा कराएगा; इतना करने पर भी उसका अन्त जा जाएगा, और कोई उसका सहायक न रहेगा॥

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

45 वह दोनों समुद्रों के बीच पवित्र शिरोमणि पर्वत के पास अपना राजकीय तम्बू खड़ा कराएगा; इतना करने पर भी उसका अन्त आ जाएगा, और कोई उसका सहायक न रहेगा।

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सरल हिन्दी बाइबल

45 वह अपना राजकीय तंबू समुद्र और सुंदर पवित्र पर्वत के बीच खड़ा करेगा. तो भी उसका अंत हो जाएगा, और कोई भी उसकी सहायता करने नहीं आएगा.

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इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019

45 और वह दोनों समुद्रों के बीच पवित्र शिरोमणि पर्वत के पास अपना राजकीय तम्बू खड़ा कराएगा; इतना करने पर भी उसका अन्त आ जाएगा, और कोई उसका सहायक न रहेगा।

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दानिय्येल 11:45
29 क्रॉस रेफरेंस  

वह अपने घमण्‍ड में उन सब का विरोध करता और उन से अपने को बड़ा मानता है, जो देवता कहलाते या पूज्‍य समझे जाते हैं, यहाँ तक कि वह परमेश्‍वर के मन्‍दिर में विराजमान हो कर स्‍वयं ईश्‍वर होने का दावा करता है।


वह अपनी धूर्तता में अपने हरएक कपटपूर्ण कार्य में सफल होगा। अपनी सफलता से वह मन ही मन फूल कर कुप्‍पा हो जाएगा। वह बिना चेतावनी दिए ही अनेक लोगों का वध कर देगा। यहाँ तक कि वह “शासकों के शासक” का भी विरोध करेगा। किन्‍तु वह अन्‍त में बिना किसी व्यक्‍ति के हाथ लगाए ही टूट जाएगा।


वे सारी पृथ्‍वी पर फैल गये। उन्‍होंने सन्‍तों के शिविर और परमेश्‍वर के प्रिय नगर को घेर लिया, लेकिन आग आकाश से उतरी और उसने उन्‍हें भस्‍म कर दिया।


उसने पंखदार सर्प को, उस पुराने साँप अर्थात् दोष लगानेवाले शैतान को, पकड़ कर एक हजार वर्ष के लिए बाँधा


जिसे बन्‍दी बनना है, वह बन्‍दी बनाया जायेगा। जिसे तलवार से मरना है, वह तलवार से मारा जायेगा। अब सन्‍तों के धैर्य और विश्‍वास का समय है।


तब वह “अधर्मी” प्रकट होगा, जिसे प्रभु येशु अपने मुख के निश्‍वास से नष्‍ट करेंगे और अपने आगमन के प्रताप से भस्‍म कर देंगे।


उस दिन जीवन का जल यरूशलेम से बाहर बहेगा: उसका आधा जल पूर्वी सागर की ओर और आधा जल पश्‍चिमी सागर की ओर बहेगा। जैसे वह शीत ऋतु में बहता है वैसे ही ग्रीष्‍म ऋतु में भी निरन्‍तर बहता रहेगा।


वे आकर यह कहेंगे, ‘आओ, हम प्रभु के पर्वत पर चढ़ें, याकूब के परमेश्‍वर के भवन में जाएं, ताकि वह हमें अपने मार्ग की शिक्षा दे; और हम उसके पथ पर चलें।’ सियोन पर्वत से व्‍यवस्‍था प्रकट होगी, यरूशलेम से ही प्रभु का शब्‍द सुनाई देगा।


‘मैं उत्तर दिशा से आई हुई सेना को तुम्‍हारे पास से हटा दूंगा; उसे शुष्‍क और निर्जन प्रदेश में भगा दूंगा। उसके अग्र दस्‍ते को मृत सागर में, और पश्‍च दस्‍ते को भूमध्‍यसागर में डुबा दूंगा। उससे दुर्गन्‍ध और सड़ायंध उठेगी; क्‍योंकि मैं-प्रभु ने महाकार्य किए हैं।


वह हमारे ‘वैभव-सम्‍पन्न देश’ में भी आएगा। हमारे देश के लाखों निवासी मौत के घाट उतारे जाएंगे। किन्‍तु एदोम और मोआब तथा अम्‍मोन देश का मुख्‍य भाग उसके विनाशकारी हाथ से बच जाएंगे।


इसलिए उत्तर देश का आक्रमणकारी राजा अपनी इच्‍छा के अनुसार सब राज्‍यों के साथ व्‍यवहार करेगा; उसका सामना करनेवाला कोई न होगा। वह हमारे “वैभव-सम्‍पन्न देश’ में पैर जमा लेगा, और समस्‍त देश पर उसका अधिकार हो जाएगा।


तब सर्वोच्‍च परमेश्‍वर का दरबार न्‍याय के लिए बैठेगा; और उस राजा के हाथ से उसकी राज्‍य-सत्ता छीन ली जाएगी, उसका शासन पूर्णत: नष्‍ट हो जाएगा, उसका पूर्ण अन्‍त हो जाएगा।


तत्‍पश्‍चात् लोहा, मिट्टी, पीतल, चांदी और सोना भी एक साथ चूर-चूर हो गए, और वे ग्रीष्‍म ऋतु के खलियान के भूसे के समान कण-कण हो गए। पवन ने उनको उड़ा दिया, और वे लुप्‍त हो गए, उनका चिह्‍न भी शेष न रहा। “परन्‍तु जिस पत्‍थर ने मूर्ति के पांवों पर प्रहार किया था, वह एक विशाल पर्वत के रूप में बदल गया, और सम्‍पूर्ण पृथ्‍वी में फैल गया।


मैं तुझे लगाम डालकर घुमा ले जाऊंगा। तुझ को उत्तरी सीमांत से लाऊंगा, और तुझ से इस्राएल देश के पहाड़ी क्षेत्रों पर चढ़ाई कराऊंगा।


तूने अपने हृदय में सोचा था, “मैं आकाश पर चढ़ूंगा, परमेश्‍वर के तारों के ऊपर, ऊंचे से ऊंचे स्‍थान पर मैं अपना सिंहासन प्रतिष्‍ठित करूंगा। मैं दूरस्‍थ उत्तर में स्‍थित ‘देवताओं के पर्वत’ पर विराजूंगा।


आनेवाले दिनों में यह होगा : जिस पर्वत पर प्रभु का भवन निर्मित है, वह विश्‍व के पर्वतों में उच्‍चतम स्‍थान पर, गौरवमय स्‍थान पर प्रतिष्‍ठित होगा। वह पहाड़ियों के मध्‍य उच्‍चतम स्‍थान ग्रहण करेगा; विश्‍व के राष्‍ट्र जलधारा के समान उसकी ओर बहेंगे।


उसका पवित्र पर्वत, जिसकी उठान सुन्‍दर है, समस्‍त पृथ्‍वी के हर्ष का कारण है। सियोन पर्वत श्रेष्‍ठ पर्वत है, और वह राजाधिराज का नगर है।


मेरे समस्‍त पवित्र पर्वत पर वे न किसी को दु:ख देंगे, और न किसी का अनिष्‍ट करेंगे; क्‍योंकि मुझ-प्रभु के ज्ञान से पृथ्‍वी परिपूर्ण हो जाएगी, जैसे जल से समुद्र भरा रहता है।


उस दिन महा नरसिंगा फूंका जाएगा। तब जो इस्राएली असीरिया देश में खो गए थे, और जो मिस्र देश को खदेड़ दिए गए थे, वे सब आएंगे, और यरूशलेम नगर में, पवित्र पर्वत पर प्रभु की आराधना करेंगे।


भेड़िया और मेमना एक-साथ चरेंगे सिंह बैल के समान भूसा खाएगा, सांप मिट्टी खाकर पेट भरेगा। वे मेरे पवित्र पर्वत पर किसी को हानि नहीं पहुँचाएंगे, और न किसी का अनिष्‍ट करेंगे।’ प्रभु की यह वाणी है।


प्रभु की यह वाणी है : ‘जैसे इस्राएली आराधक अन्नबलि को शुद्ध पात्र में रखकर प्रभु-गृह में लाते हैं, वैसे ही वे सभी राष्‍ट्रों में से तुम्‍हारे जाति-भाई-बन्‍धुओं को घोड़ों, रथों, पालकियों, खच्‍चरों और ऊंटनियों पर बैठा कर पवित्र पर्वत यरूशलेम में लाएंगे, और मुझे भेंट के रूप में अर्पित करेंगे।


स्‍वामी, अपने धर्ममय आचरण के अनुरूप अपना क्रोध और प्रकोप यरूशलेम से हटा ले। प्रभु, यरूशलेम नगर तेरा ही पवित्र पहाड़ी नगर है। हमारे पूर्वजों के पापमय और हमारे ही अधर्ममय आचरण के कारण यरूशलेम नगर और तेरे निज लोग आसपास के राष्‍ट्रों में बदनाम हो गए हैं।


“इस प्रकार मैं बोल रहा था। मैं प्रार्थना कर रहा था। मैं अपने और अपनी इस्राएली कौम के पाप को स्‍वीकार कर रहा था। जब मैं अपने प्रभु परमेश्‍वर के सम्‍मुख उसके पवित्र पहाड़ी नगर के लिए याचना प्रस्‍तुत कर रहा था;


किन्‍तु पूर्व और उत्तर से समाचार आएगा, जिसे सुनकर वह व्‍याकुल हो जाएगा और क्रोध में भरा हुआ अनेक लोगों का नाश करने और उनको निर्वंश करने के लिए वहां से निकलेगा।


तुम्‍हारी सीमा-रेखा असमोन से मिस्र की बरसाती नदी की ओर जाएगी, और भूमध्‍यसागर में समाप्‍त होगी।


जब स्‍वामी सियोन पर्वत पर तथा यरूशलेम नगर में अपने सब कार्य समाप्‍त कर लेगा, तब वह असीरिया राष्‍ट्र को उसके अहंकारपूर्ण हृदय तथा घमण्‍ड से चढ़ी आंखों के लिए दण्‍ड देगा।


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