तूने लेन-देन और व्यापार में धोखा-धड़ी की थी, और अधर्म के कामों को दोगुना-चौगुना बढ़ा दिया था। धोखा-धड़ी और अधर्म के कामों के कारण तूने अपने पवित्र स्थान को अपवित्र कर दिया। अत: मैंने तेरे मध्य में विद्रोह की आग भड़काई, जिसने तुझको भस्म कर दिया। तेरे सब दर्शकों के सामने मैंने तुझको भूमि पर राख कर दिया।
वे तेरे विषय में शोक-गीत रचेंगे, और वे तुझसे यह कहेंगे : ओ विख्यात महानगर! महा सागर के तट से तू लोप हो गया! समुद्र पर तेरा और तेरे निवासियों का एकछत्र अधिकार था। तेरे निवासियों के आतंक से भूमि-तट के निवासी कांप उठते थे।
मैं तुम्हारे पुत्रों और पुत्रियों को यहूदा प्रदेश के निवासियों के हाथ में बेचूंगा और वे उनको सुदूर राष्ट्र के हाथ में, शबाई राष्ट्र के हाथ में बेच देंगे, मुझ-प्रभु का यह सन्देश है।’
जब तेरा व्यापार बढ़ा, तब तुझ में हिंसावृत्ति भर गई, और तू पाप करने लगा। मैंने तुझको अपवित्र प्राणी के सदृश परमेश्वर के पर्वत से हटा दिया। तेरे अंगरक्षक करूब ने भी अग्नि सदृश चमकनेवाली मणियों के मध्य से तुझ को निकाल दिया।
‘ओ मानव-सन्तान, तू सोर नगर-राज्य के शासक से यों कह : स्वामी-प्रभु यों कहता है : “तेरा हृदय अहंकार से भरा है। तू कहता है कि तू ईश्वर है, और समुद्र के मध्य में, देवताओं के दरबार में उच्चासन पर बैठता है। नहीं, तू ईश्वर नहीं, बल्कि केवल मनुष्य है। तू अपने को ईश्वर के सदृश बुद्धिमान समझता है।
अश्कलोन नगर-राज्य यह देख कर भयभीत होगा, गाजा नगर भी पीड़ा से छटपटाएगा, और एक्रोन भी, क्योंकि उसकी आशाएं धूल में मिल गई हैं। गाजा नगर का राजवंश समाप्त हो जाएगा। अश्कलोन नगर उजड़ जाएगा।