29 पूरीम के बारे में सुनिश्चित करने के लिये महारानी एस्तेर और यहूदी मोर्दकै ने यह दूसरा पत्र लिखा। एस्तेर अबीहैल की पुत्री थी। वह पत्र सच्चा था, इसे प्रमाणित करने के लिये उन्होंने इसे राजा के सम्पूर्ण अधिकार के साथ लिखा।
एस्तर मोरदकय के चाचा अबीहइल की बेटी थी। मोरदकय ने उसको गोद लिया था और उसको अपनी बेटी की तरह पाला था। जब उसकी बारी आई तब उसने अपनी ओर से रनिवास से कुछ भी ले जाना अस्वीकार कर दिया। वह केवल वे ही वस्तुएं ले गई जिनको ले जाने की सलाह राज-खोजा हेगय ने दी थी। जिस-जिस व्यक्ति ने एस्तर को देखा उसने उसको पसन्द किया।
हरकारे सम्राट की आज्ञा से शीघ्र ही आदेश-पत्र लेकर चले गए। राजाज्ञा की घोषणा शूशन नगर में भी की गई। तब सम्राट और हामान शराब पीने के लिए बैठे, पर शूशन नगर में घबराहट फैल गई।
यह राजाज्ञा सम्राट क्षयर्ष के नाम से लिखी गई, और उस पर सम्राट क्षयर्ष की अंगूठी की मुहर लगाई गई। तत्पश्चात् राजाज्ञा के पत्रों को राजकीय अश्वशाला के तेज घोड़ों पर सवार हरकारों द्वारा भेज दिया गया। ये उत्तम नस्ल के घोड़े सम्राट की सेवा में थे।
प्रत्येक पीढ़ी में हर एक परिवार में, ये दिन सब देशों और नगरों में स्मरण किए जाएंगे, और मनाए जाएंगे। पूरीम के दिन यहूदियों में कभी भुलाए न जाएंगे, और उनके वंशजों में उनका स्मरण सदा सुरक्षित रहेगा।