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एस्तेर 9:26 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

26 यहूदियों ने ‘पूर’ शब्‍द के अनुसार इन दिनों का नाम ‘पूरीम’ रखा। इस पत्र की बातों के कारण और इसके अतिरिक्‍त यहूदियों ने स्‍वयं अपनी आंखों से जो देखा था, उसके कारण, एवं यहूदियों को जो अनुभव हुआ था, उसके कारण

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पवित्र बाइबल

26-27 इसलिये ये दिन “पूरीम” कहलाये। “पूरीम” नाम “पूर” शब्द से बना है (जिसका अर्थ है लाटरी) और इसलिए यहूदियों ने हर वर्ष इन दो दिनों को उत्सव के रूप में मनाने की शुरुआत करने का निश्चय किया। उन्होंने यह इसलिए किया ताकि अपने साथ होते हुए जो बातें उन्होंने देखी थीं, उन्हें याद रखने में उनको मदद मिले। यहूदियों और उन दूसरे सभी लोगों को, जो यहूदियों में आ मिले थे, हर साल इन दो दिनों को ठीक उसी रीति और उसी समय मनाना था जिसका निर्देश मोर्दकै ने अपने आदेशपत्र में किया था।

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Hindi Holy Bible

26 इस कारण उन दिनों का नाम पूर शब्द से पूरीम रखा गया। इस चिट्ठी की सब बातों के कारण, और जो कुछ उन्होंने इस विषय में देखा और जो कुछ उन पर बीता था, उसके कारण भी

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

26 इस कारण उन दिनों का नाम पूर शब्द से पूरीम रखा गया। इस चिट्ठी की सब बातों के कारण, और जो कुछ उन्होंने इस विषय में देखा और जो कुछ उन पर बीता था, उसके कारण भी

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सरल हिन्दी बाइबल

26 यही कारण है कि इन दो दिनों को पुर शब्द के आधार पर पुरीम कहना प्रचलित हो गया. इस राजाज्ञा के कारण तथा इसके अलावा संपूर्ण घटना में उनके साथ जो कुछ घटित हुआ तथा जो कुछ स्वयं उन्होंने देखा,

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इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019

26 इस कारण उन दिनों का नाम पूर शब्द से पूरीम रखा गया। इस चिट्ठी की सब बातों के कारण, और जो कुछ उन्होंने इस विषय में देखा और जो कुछ उन पर बीता था, उसके कारण भी

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एस्तेर 9:26
5 क्रॉस रेफरेंस  

सम्राट क्षयर्ष के शासन-काल के बारहवें वर्ष के प्रथम महीने में, अर्थात् नीसान महीने में, हामान ने अपने सम्‍मुख ‘पूर’ − जिसका अर्थ है ‘चिट्ठी’ − प्रत्‍येक दिन तथा प्रत्‍येक महीने के नाम पर निकलवायी। शकुन विचार करने वालों ने चिट्ठी डाली तो वह बारहवें महीने−अदार के नाम पर और उसके तेरहवें दिन पर निकली।


मोरदकय ने इन घटनाओं का विवरण लिखा, और सम्राट क्षयर्ष के अधीन, दूर और पास के प्रदेशों में रहने वाले सब यहूदियों को पत्र भेज दिए।


यों रानी एस्‍तर ने भी ‘पूरीम पर्व’ की धार्मिक विधियों को निश्‍चित कर दिया और उन्‍हें पुस्‍तक में लिख लिया गया।


‘उस दिन मैं गोग को उसकी कबर के लिए इस्राएल देश में एक स्‍थान दूंगा : “यात्रियों की घाटी” जो सागर के पूर्व में है। वहीं गोग और उसके असंख्‍य सैनिक गाड़े जाएंगे। अत: यात्रियों के लिए उसका मार्ग बन्‍द हो जाएगा। वह “हमोन-गोग की घाटी” कहलाएगी।


ताकि वे इस्राएली समाज के लिए स्‍मारक-चिह्‍न बनें, जिससे कोई अपुरोहित व्यक्‍ति, जो हारून के वंश का नहीं है, धूप चढ़ाने के अभिप्राय से प्रभु के सम्‍मुख नहीं आए, और कोरह तथा उसके दल के सदृश नष्‍ट न हो, जैसा प्रभु ने मूसा के द्वारा एलआजर से कहा था।


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