23 इस प्रकार मोर्दकै ने यहूदियों को जो लिखा था, वे उसे मानने को तैयार हो गये। वे इस बात पर सहमत हो गये कि उन्होंने जिस उत्सव का आरम्भ किया है, वे उसे मनाते रहेंगे।
क्योंकि इन दिवसों पर यहूदियों ने अपने शत्रुओं से छुटकारा पाकर चैन की सांस ली थी। इस महीने में उनका दु:ख, सुख में; और उनका शोक, हर्ष में बदल गया था। अत: यहूदियों को चाहिए कि वे इन दिनों को सामूहिक भोज और आनन्द-उत्सव के दिन मानें। वे इन दिनों में अपने सर्वोत्तम भोजन का कुछ अंश एक-दूसरे को भेजें तथा गरीबों को दान दें।
‘अगाग वंशीय हामान बेन-हम्मदाता ने, जो यहूदियों का शत्रु था, यहूदियों का विनाश करने के लिए एक षड्यन्त्र रचा था, और “पूर” अर्थात् चिट्ठी डाली थी ताकि वह उनको पूर्णत: कुचल दे, उनका पूर्ण विनाश कर दे।