18 किन्तु शूशन नगर के यहूदियों ने तेरहवें और चौदहवें दिन एकत्र होकर सुरक्षा-दल बनाए थे और पन्द्रहवें दिन विश्राम किया था। अत: उन्होंने पन्द्रहवें दिन सामूहिक भोज और आनन्द-उत्सव मनाया।
18 आदार महीने की तेरहवीं तारीख को शूशन में यहूदी परस्पर एकत्र हुए। फिर पन्द्रहवीं तारीख को उन्होंने विश्राम किया। उन्होंने पन्द्रहवीं तारीख को फिर एक खुशी भरी छुट्टी का दिन बना दिया।
18 परन्तु शूशन के यहूदी अदार महीने के तेरहवें दिन को, और उसी महीने के चौदहवें दिन को इकट्ठे हुए, और उसी महीने के पन्द्रहवें दिन को उन्होंने विश्राम कर के जेवनार का और आनन्द का दिन ठहराया।
18 परन्तु शूशन के यहूदी अदार महीने के तेरहवें दिन को, और उसी महीने के चौदहवें दिन को इकट्ठा हुए, और उसी महीने के पन्द्रहवें दिन को उन्होंने विश्राम करके भोज का और आनन्द का दिन ठहराया।
18 किंतु वे यहूदी, जो शूशनवासी थे, इसी माह की तेरहवीं तथा चौदहवीं तिथि पर जमा हुए थे और उन्होंने पन्द्रहवीं तारीख खुशी भरी छुट्टी करते हुए उत्सव मनाया.
18 परन्तु शूशन के यहूदी अदार महीने के तेरहवें दिन को, और उसी महीने के चौदहवें दिन को इकट्ठा हुए, और उसी महीने के पन्द्रहवें दिन को उन्होंने विश्राम करके भोज का और आनन्द का दिन ठहराया।
इन पत्रों के द्वारा सम्राट ने सब नगरों में रहने वाले यहूदियों को यह अनुमति दी कि वे अपने प्राणों की रक्षा के लिए परस्पर एकत्र होकर सुरक्षा-दल बना सकते हैं। यदि कोई जाति अथवा प्रदेश की सशस्त्र-सेना उन पर आक्रमण करेगी तो वे बच्चों और स्त्रियों सहित उनको नष्ट कर सकते हैं, उनका वध और सर्वनाश कर सकते हैं, और उनकी धन-सम्पत्ति लूट सकते हैं।
अदार नामक बारहवें महीने का तेरहवां दिन आया। इस दिन सम्राट क्षयर्ष की राजाज्ञा और आदेश-पत्र के अनुसार कार्य होना था। यहूदी कौम के शत्रु आशा कर रहे थे कि वे आज यहूदियों पर अधिकार कर लेंगे। लेकिन पासा पलट गया था, और स्वयं यहूदी अपने विरोधियों पर अधिकार जमा लेने वाले थे।
एस्तर ने कहा, ‘यदि महाराज को यह उचित प्रतीत हो, तो शूशन नगर के यहूदियों को अनुमति दी जाए कि वे आज के समान कल भी अपने शत्रुओं का वध कर सकें। हामान के दस पुत्रों के शवों को फांसी के खम्भों पर लटकाया जाए।’
शूशन नगर में रहने वाले यहूदियों ने अदार महीने के चौदहवें दिन भी एकत्र होकर सुरक्षा-दल बनाए, और शूशन नगर में तीन सौ पुरुषों का वध कर दिया, पर उन्होंने उनकी धन-सम्पत्ति नहीं लूटी।
सम्राट क्षयर्ष के अधीन समस्त प्रदेशों के नगरों में रहने वाले यहूदी एकत्र हुए, और उन्होंने अनिष्ट करनेवालों पर आक्रमण करने के लिए दल बनाए। कोई भी शत्रु उनके सामने ठहर न सका; क्योंकि सब जातियों पर उनका भय छा गया था।