4 हमारा विनाश करने के लिए, हमारा वध करने के लिए, हमारा नामोनिशान मिटा डालने के लिए मुझे और मेरी कौम को बेच दिया गया है। अगर हमें केवल गुलाम के रूप में बेचा जाता तो मैं चुप रहती। उस स्थिति में हमारी बिक्री से महाराज को हानि के स्थान पर लाभ ही होता।’
4 ऐसा मैं इसलिये चाहती हूँ कि मुझे और मेरे लोगों को विनाश, हत्या और पूरी तरह से नष्ट कर डालने के लिए बेच डाला गया है। यदि हमें दासों के रूप में बेचा जाता, तो मैं कुछ नहीं कहती क्योंकि वह कोई इतनी बड़ी समस्या नहीं होती जिसके लिये राजा को कष्ट दिया जाता।”
4 क्योंकि मैं और मेरी जाति के लोग बेच डाले गए हैं, और हम सब विध्वंसघात और नाश किए जाने वाले हैं। यदि हम केवल दास-दासी हो जाने के लिये बेच डाले जाते, तो मैं चुप रहती; चाहे उस दशा में भी वह विरोधी राजा की हानि भर न सकता।
4 क्योंकि मैं और मेरी जाति के लोग बेच डाले गए हैं, और हम सब घात और नष्ट किए जानेवाले हैं। यदि हम केवल दास–दासी हो जाने के लिये बेच डाले जाते, तो मैं चुप रहती; चाहे उस दशा में वह विरोधी राजा की हानि भर न सकता।”
4 क्योंकि मुझे तथा मेरे सहजातियों को बेच दिया गया है, कि हम नष्ट कर दिए जाएं, कि हमारा वध कर दिया जाए. यदि हमें मात्र दास-दासियों सदृश ही बेच दिया जाता तो मैं मौन रह जाती क्योंकि तब मुझे महाराज को कष्ट देने की ज़िद नहीं करनी पड़ती.”
4 क्योंकि मैं और मेरी जाति के लोग बेच डाले गए हैं, और हम सब घात और नाश किए जानेवाले हैं। यदि हम केवल दास-दासी हो जाने के लिये बेच डाले जाते, तो मैं चुप रहती; चाहे उस दशा में भी वह विरोधी राजा की हानि भर न सकता।”
हम तो उन धनी यहूदी-भाइयों के ही रक्त-मांस हैं और हमारे बाल-बच्चे उनके ही बाल-बच्चों के समान हैं। फिर भी हम विवश किए जा रहे हैं कि अपने बाल-बच्चों को उनके पास गुलाम बनाकर रखें। सच पूछो तो हमारी अनेक कन्याएँ उनकी गुलाम बन भी चुकी हैं। हम यह शोषण रोकने में असमर्थ हैं; क्योंकि हमारे खेत और अंगूर-उद्यान उनके हाथों में जा चुके हैं।’
आदेश-पत्र साम्राज्य के सब प्रदेशों में हरकारों के द्वारा भेज दिए गए। पत्र में यह लिखा था: ‘अदार नामक बारहवें महीने के तेरहवें दिन सब यहूदियों का, जवान और बूढ़ों, बच्चों और स्त्रियों का वध कर दिया जाए और उनकी धन-सम्पत्ति को लूट लिया जाए।’
अत: यदि महाराज उचित समझें तो राजाज्ञा प्रसारित की जाए, और उन्हें नष्ट कर दिया जाए। कार्य की समाप्ति पर मैं महाराज के कोषाधिकारियों के हाथ में दस हजार चान्दी के सिक्के दूंगा ताकि वे उसको महाराज के खजाने में जमा कर दें।’
इन पत्रों के द्वारा सम्राट ने सब नगरों में रहने वाले यहूदियों को यह अनुमति दी कि वे अपने प्राणों की रक्षा के लिए परस्पर एकत्र होकर सुरक्षा-दल बना सकते हैं। यदि कोई जाति अथवा प्रदेश की सशस्त्र-सेना उन पर आक्रमण करेगी तो वे बच्चों और स्त्रियों सहित उनको नष्ट कर सकते हैं, उनका वध और सर्वनाश कर सकते हैं, और उनकी धन-सम्पत्ति लूट सकते हैं।
पर जब एस्तर सम्राट क्षयर्ष के सम्मुख प्रस्तुत हुई तब सम्राट ने यह लिखित राजाज्ञा प्रसारित की : “जो अनिष्टकारी षड्यन्त्र हामान ने यहूदियों के विरुद्ध रचा है, उसका प्रतिफल स्वयं हामान के सिर पर पड़े। हामान और उसके पुत्र फांसी-स्तम्भों पर लटका दिए जाएं” ।’
उसने इन एक सौ बीस क्षत्रपों के ऊपर तीन अध्यक्ष नियुक्त किए, जिनमें से एक अध्यक्ष दानिएल थे। क्षत्रप उन अध्यक्षों को लेखा-जोखा देते थे। इस प्रकार सम्राट को शासन कार्य में किसी प्रकार की आर्थिक हानि नहीं होती थी।
तुमने यहूदा प्रदेश और यरूशलेम नगर के निवासियों को यूनान देश के लोगों के हाथ में बेच दिया। तुमने उनके सीमा-क्षेत्र से उखाड़कर उन्हें बहुत दूर फेंक दिया।
प्रभु यों कहता है : मैं इस्राएल प्रदेश के तीन अपराधों, नहीं, उसके चार अपराधों के लिए निस्सन्देह उसको दण्ड दूंगा; मैं उसको नहीं छोड़ूंगा। इस्राएल प्रदेश के निवासी चांदी के सिक्कों में निरपराध व्यक्ति को, केवल एक जोड़ी जूती के बदले गरीब को बेच देते हैं!
प्रभु तुझ को जलयानों में मिस्र देश वापस ले जाएगा, यद्यपि मैंने कहा था कि तू फिर कभी उस मार्ग पर नहीं लौटेगा। वहाँ तू स्वयं को गुलाम स्त्री-पुरुष के रूप में अपने शत्रुओं के हाथ बेचना चाहेगा, किन्तु तुझे खरीदने वाला कोई नहीं होगा।’
इसलिए तुम प्रभु की ओर से अभिशप्त हो! तुममें से कुछ व्यक्ति मेरे परमेश्वर के भवन के निमित्त सदा सेवा करेंगे। वे लकड़ी काटने वाले लकड़हारे, और पानी भरनेवाले भिश्ती होंगे।’