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एस्तेर 5:9 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

9 उस दिन हामान आनन्‍द में डूबा, प्रसन्नचित्त रानी एस्‍तर के महल से बाहर निकला। मोरदकय राजमहल के प्रवेश-द्वार पर बैठा हुआ था। जब हामान ने देखा कि मोरदकय न तो उसके सम्‍मान में खड़ा हुआ और न वह उससे डरा, तब वह मोरदकय के प्रति क्रोध से भर गया।

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पवित्र बाइबल

9 उस दिन हामान राजमहल से अत्यधिक प्रसन्नचित्त हो कर विदा हुआ। किन्तु जब उसने राजा के द्वार पर मोर्दकै को देखा तो उसे मोर्दकै पर बहुत क्रोध आया। हामान मोर्दकै को देखते ही क्रोध से पागल हो उठा क्योंकि जब हामान वहाँ से गुजरा तो मोर्दकै ने उसके प्रति कोई आदर भाव नहीं दिखाया। मोर्दकै को हामान का कोई भय नहीं था, और इसी से हामान क्रोधित हो उठा था।

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Hindi Holy Bible

9 उस दिन हामान आनन्दित ओर मन में प्रसन्न हो कर बाहर गया। परन्तु जब उसने मोर्दकै को राजभवन के फाटक में देखा, कि वह उसके साम्हने न तो खड़ा हुआ, और न हटा, तब वह मोर्दकै के विरुद्ध क्रोध से भर गया।

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

9 उस दिन हामान आनन्दित और मन में प्रसन्न होकर बाहर गया। परन्तु जब उसने मोर्दकै को राजभवन के फाटक में देखा, कि वह उसके सामने न तो खड़ा हुआ, और न हटा, तब वह मोर्दकै के विरुद्ध क्रोध से भर गया।

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सरल हिन्दी बाइबल

9 उस दिन हामान बहुत आनंदित हृदय के साथ लौटा; किंतु जैसे ही हामान की दृष्टि मोरदकय पर पड़ी, जो उस समय राजमहल के द्वार पर ही था, जिसने उसके सामने खड़ा होकर अभिनंदन करना उचित न समझा और न ही उसे सम्मान देना उचित समझा, हामान मोरदकय के प्रति क्रोध से भर उठा.

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इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019

9 उस दिन हामान आनन्दित और मन में प्रसन्न होकर बाहर गया। परन्तु जब उसने मोर्दकै को राजभवन के फाटक में देखा, कि वह उसके सामनेन तो खड़ा हुआ, और न हटा, तब वह मोर्दकै के विरुद्ध क्रोध से भर गया।

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एस्तेर 5:9
19 क्रॉस रेफरेंस  

जब हामान ने यह देखा कि मोरदकय न सिर झुकाकर और न भूमि पर लेटकर उसको प्रणाम करता है, तब वह क्रोध से भर गया।


हेरोदेस को यह देख कर बहुत क्रोध आया कि ज्‍योतिषियों ने मुझे धोखा दिया है। उसने सिपाहियों को भेजा और बेतलेहम तथा उसके आसपास के गाँवों में उन सभी बालकों को मरवा डाला, जो ज्‍योतिषियों से पता लगाए समय के अनुसार दो वर्ष के या उससे कम आयु के थे।


अपनी दुर्गति पहचान कर शोक मनाओ और आंसू बहाओ। अपनी हंसी शोक में और अपना आनन्‍द विषाद में बदल डालो।


मैं तुम से सच-सच कहता हूँ : तुम रोओगे और विलाप करोगे, परन्‍तु संसार आनन्‍द मनाएगा। तुम शोक करोगे, किन्‍तु तुम्‍हारा शोक आनन्‍द में बदल जाएगा।


धिक्‍कार है तुम्‍हें, जो अभी तृप्‍त हो; क्‍योंकि तुम भूखे रहोगे। धिक्‍कार है तुम्‍हें, जो अभी हँसते हो; क्‍योंकि तुम शोक मनाओगे और रोओगे।


यह सुनते ही नबूकदनेस्‍सर का क्रोध भड़क उठा। उसने रोष में आकर आदेश दिया कि शद्रक, मेशक और अबेदनगो को पेश किया जाए। सैनिकों ने तीनों व्यक्‍तियों को राजा के सम्‍मुख प्रस्‍तुत किया।


यद्यपि सेना ने मुझे घेरा है, तोभी मेरा हृदय आतंकित न होगा; यद्यपि मेरे विरुद्ध युद्ध छिड़ा है; फिर भी मैं आश्‍वस्‍त रहूँगा।


जिसकी दृष्‍टि में अधार्मिक मनुष्‍य तुच्‍छ है, पर जो प्रभु के भक्‍तों का आदर करता है, जो हानि उठाकर भी अपने वचन से नहीं फिरता,


सच तो यह है कि मेरे तम्‍बू में रहनेवाला प्रत्‍येक व्यक्‍ति यह कहता है : “कौन है वह मनुष्‍य जो अय्‍यूब के घर का भोजन खाकर तृप्‍त नहीं हुआ?”


कि दुर्जन की विजय अल्‍पकालीन होती है, अधर्मी का आनन्‍द क्षणिक होता है,


अत: राजभवन के द्वारपाल, सम्राट के सब सेवक, हामान के सम्‍मुख सिर झुकाकर और भूमि पर लेटकर उसको साष्‍टांग प्रणाम करते थे; क्‍योंकि सम्राट ने उन्‍हें ऐसा ही आदेश दिया था। किन्‍तु मोरदकय न तो सिर झुकाकर और न भूमि पर लेटकर उसको साष्‍टांग प्रणाम करता था।


जब कन्‍याएं दूसरी बार एकत्र हुईं, उस समय मोरदकय राजमहल के प्रवेश-द्वार पर बैठा हुआ था।


अहाब उदास और अप्रसन्न हो गया; क्‍योंकि यिज्रएल-निवासी नाबोत ने उससे यह कहा था, ‘मैं अपने पूर्वजों की पैतृक भूमि आपको नहीं दूंगा।’ अहाब अपने महल में आया। वह अपने पलंग पर लेट गया। उसने अपना मुंह ढक लिया। उसने भोजन नहीं किया।


स्‍तीफनुस की बातें सुन कर लोग आगबबूला हो गये और उस पर दांत पीसने लगे।


“उन से नहीं डरो, जो शरीर को मार डालते हैं, किन्‍तु आत्‍मा को नहीं मार सकते; बल्‍कि उससे डरो, जो शरीर और आत्‍मा, दोनों को नरक में नष्‍ट कर सकता है।


पर जब मैं राजभवन के प्रवेश-द्वार पर उस यहूदी मोरदकय को बैठा हुआ देखता हूँ तब यह सब आदर-सम्‍मान व्‍यर्थ लगने लगता है।’


अहाब ने उसको बताया, ‘मैंने यिज्रएल-निवासी नाबोत से उसके अंगूर-उद्यान के विषय में बात की थी। मैंने उससे कहा, “तुम चांदी के सिक्‍के के बदले में अपना अंगूर का उद्यान मुझे दे दो। अथवा यदि तुम इस बात से प्रसन्न हो तो मैं तुम्‍हें उसके बदले में दूसरा अंगूर उद्यान दे दूंगा।” परन्‍तु उसने मुझे यह उत्तर दिया, “मैं आपको अपना अंगूर-उद्यान नहीं दूंगा।” ’


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