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एस्तेर 5:1 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

1 तीसरे दिन एस्‍तर ने अपने राजसी वस्‍त्र पहिने और सम्राट क्षयर्ष के भवन के सम्‍मुख महल के अन्‍त:पुर में उपस्‍थित हुई। सम्राट महल में प्रवेश-द्वार के सामने अपने सिंहासन पर बैठा था।

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पवित्र बाइबल

1 तीसरे दिन एस्तेर ने अपने विशेष वस्त्र पहने और राज महल के भीतरी भाग में जा खड़ी हुई। यह स्थान राजा की बैठक के सामने था। राजा दरबार में अपने सिंहासन पर बैठा था। राजा उसी ओर मुँह किये बैठा था जहाँ से लोग सिंहासन के कक्ष की ओर प्रवेश करते थे।

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Hindi Holy Bible

1 तीसरे दिन एस्तेर अपने राजकीय वस्त्र पहिनकर राजभवन के भीतरी आंगन में जा कर, राजभवन के साम्हने खड़ी हो गई। राजा तो राजभवन में राजगद्दी पर भवन के द्वार के साम्हने विराजमान था;

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

1 तीसरे दिन एस्तेर अपने राजकीय वस्त्र पहिनकर राजभवन के भीतरी आँगन में जाकर, राजभवन के सामने खड़ी हो गई। राजा राजभवन में राजगद्दी पर भवन के द्वार के सामने विराजमान था;

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सरल हिन्दी बाइबल

1 तब घटनाक्रम इस प्रकार है: उपवास के तृतीय दिन एस्तेर अपने राजकीय राजसी पोशाक धारण कर राजा के राजमहल के आंगन में राजा के कक्षों के सामने जा खड़ी हुई. राजा इस समय सिंहासन कक्ष में, जो राजमहल के प्रवेश के सम्मुख है, सिंहासन पर बैठा था.

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इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019

1 तीसरे दिन एस्तेर अपने राजकीय वस्त्र पहनकर राजभवन के भीतरी आँगन में जाकर, राजभवन के सामने खड़ी हो गई। राजा तो राजभवन में राजगद्दी पर भवन के द्वार के सामने विराजमान था;

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एस्तेर 5:1
14 क्रॉस रेफरेंस  

“जो विजय प्राप्‍त करता है, उसको मैं उसी तरह अपने साथ अपने सिंहासन पर विराजमान होने का अधिकार दूँगा, जिस तरह मैं विजय प्राप्‍त कर अपने पिता के साथ उसके सिंहासन पर विराजमन हूँ।


इसी समय हामान राजभवन के बाहरी आंगन में आया। वह सम्राट क्षयर्ष से यह निवेदन करने आया था कि वह मोरदकय को फांसी के खम्‍भे पर टांगने का आदेश दे, जो उसने मोरदकय के लिए बनवाया था। सम्राट ने अपने सेवकों से पूछा, ‘आंगन में कौन है?’


‘जाओ, और शूशन नगर के सब यहूदियों को एकत्र करो, और मेरे लिए सामूहिक उपवास करो। तीन दिन और रात न भोजन करना, और न पानी पीना। तुम्‍हारे समान मैं भी अपनी सखियों के साथ उपवास करूंगी। तब मैं महाराज के पास जाऊंगी, यद्यपि ऐसा करना नियम के विरुद्ध होगा। यदि मुझे मरना ही पड़ेगा तो मैं मर जाऊंगी।’


‘महाराज के सब सेवक तथा साम्राज्‍य के सब प्रदेशों के निवासी यह बात जानते हैं कि जो स्‍त्री या पुरुष बिना बुलाए महल के अन्‍त:पुर में प्रवेश करेगा, उसके लिए केवल एक नियम है : प्राणदण्‍ड! यह नियम सब पर लागू है और केवल वह व्यक्‍ति प्राणदण्‍ड से बच सकता है जिसकी ओर महाराज अपने स्‍वर्ण राजदण्‍ड से संकेत करते हैं। मैं तीस दिन से महाराज के पास नहीं बुलाई गई हूँ।’


मोरदकय सम्राट के दरबार से बाहर निकला। वह नीले और सफेद रंग की राजकीय पोशाक पहिने हुए था। उसके सिर पर सोने का बड़ा मुकुट था। वह महीन और बैंजनी रंग की चादर ओढ़े हुए था। शूशन नगर के नागरिक उसको देखकर जयजयकार करने लगे।


कि तुम मेरे राज्‍य में मेरी मेज पर खाओ-पियो और सिंहासनों पर बैठ कर इस्राएल के बारह कुलों का न्‍याय करो।


इसलिए तीसरे दिन तक कबर की सुरक्षा का आदेश दिया जाए। कहीं ऐसा न हो कि उसके शिष्‍य उसे चुरा कर ले जाएँ और जनता से कहें कि वह मृतकों में से जी उठा है। यह पिछला धोखा तो पहले से भी बुरा होगा।”


तो, तुम क्‍या देखने गये थे? बढ़िया कपड़े पहने मनुष्‍य को? नहीं! बढ़िया कपड़े पहनने वाले राजमहलों में रहते हैं।


“देखो, मैं तुम्‍हें भेड़ियों के बीच भेड़ों की तरह भेज रहा हूँ। इसलिए साँप की तरह चतुर और कपोत की तरह निष्‍कपट बनो।


कि वे रानी वशती को राजमुकुट के साथ सम्राट के सम्‍मुख पेश करें ताकि वह लोगों और दरबारियों को उसकी सुन्‍दरता के दर्शन करा सके; क्‍योंकि रानी वशती देखने में सुन्‍दर थी।


यह सन्‍देश सुनकर मोरदकय चला गया, और उसने वैसा ही किया जैसा करने का आदेश एस्‍तर ने दिया था।


शूशनगढ़ नगर में एक यहूदी था। उसका नाम मोरदकय था। वह बिन्‍यामिन कुल का था। उसके परदादा का नाम कीश, दादा का नाम शिमई, और पिता का नाम याईर था।


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