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एस्तेर 2:17 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

17 सम्राट ने अन्‍य स्‍त्रियों से अधिक एस्‍तर को प्‍यार किया; और एस्‍तर ने सब कन्‍याओं से अधिक सम्राट की कृपा-दृष्‍टि प्राप्‍त की। सम्राट उससे यहाँ तक प्रसन्न हो गया कि उसने उसके सिर पर राजमुकुट पहिना दिया, और उसको वशती के स्‍थान पर रानी बना दिया।

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पवित्र बाइबल

17 राजा ने एस्तेर को किसी भी और लड़की से अधिक प्रेम किया और वह उसकी कृपा पायी। किसी भी दूसरी लड़की से अधिक, राजा को वह भा गयी। सो राजा क्षयर्ष ने एस्तेर के सिर पर मुकुट पहना कर वशती के स्थान पर नयी महारानी बना लिया।

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Hindi Holy Bible

17 और राजा ने एस्तेर को और सब स्त्रियों से अधिक प्यार किया, और और सब कुंवारियों से अधिक उसके अनुग्रह और कृपा की दृष्टि उसी पर हुई, इस कारण उसने उसके सिर पर राजमुकुट रखा और उसको वशती के स्थान पर रानी बनाया।

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

17 राजा ने एस्तेर को और सब स्त्रियों से अधिक प्यार किया, और अन्य सब कुँवारियों से अधिक उसके अनुग्रह और कृपा की दृष्‍टि उसी पर हुई, इस कारण उसने उसके सिर पर राजमुकुट रखा और उसको वशती के स्थान पर पटरानी बनाया।

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सरल हिन्दी बाइबल

17 एस्तेर सभी अन्य युवतियों की अपेक्षा में राजा को प्रिय लगी, उसे अन्य सभी कुंवारियों की अपेक्षा राजा की अधिक कृपा एवं अनुग्रह प्राप्‍त हो गया, इतना, कि राजा ने उसके सिर पर राजकीय मुकुट रखकर उसे वश्ती के स्थान पर रानी घोषित कर दिया.

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इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019

17 और राजा ने एस्तेर को और सब स्त्रियों से अधिक प्यार किया, और अन्य सब कुँवारियों से अधिक उसके अनुग्रह और कृपा की दृष्टि उसी पर हुई, इस कारण उसने उसके सिर पर राजमुकुट रखा और उसको वशती के स्थान पर रानी बनाया।

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एस्तेर 2:17
10 क्रॉस रेफरेंस  

कि वे रानी वशती को राजमुकुट के साथ सम्राट के सम्‍मुख पेश करें ताकि वह लोगों और दरबारियों को उसकी सुन्‍दरता के दर्शन करा सके; क्‍योंकि रानी वशती देखने में सुन्‍दर थी।


एस्‍तर को सम्राट क्षयर्ष के शासन-काल के सातवें वर्ष के दसवें महीने, अर्थात् तेबेट माह में, सम्राट के पास महल में लाया गया।


यदि तू ऐसे संकट के समय में चुप रहेगी तो भी कहीं न कहीं से यहूदियों को सहायता प्राप्‍त हो जाएगी, और वे इस संकट से मुक्‍त हो जाएंगे, पर तू और तेरा पितृकुल नष्‍ट हो जाएगा। कौन जानता है, ऐसे ही संकट के समय अपनी कौम को बचाने के लिए तुझे यह राजपद प्राप्‍त हुआ है?’


वह राजसी पोशाक लाई जाए, जिसको महाराज स्‍वयं पहनते हैं। उसकी सवारी के लिए वह राजमुकुट धारण करनेवाला घोड़ा लाया जाए, जिस पर महाराज स्‍वयं बैठते हैं; तथा


राजा का हृदय नहर के सदृश है, जो प्रभु के हाथ में है; जहां वह चाहता है वहां वह उसको मोड़ देता है।


तब विश्‍व के सब वृक्षों को ज्ञात होगा कि मैं-प्रभु छोटे वृक्ष को बड़ा बनाता हूं, और बड़े वृक्ष को छोटा! मैं हरे वृक्ष को सुखा डालता हूं और सूखे हुए वृक्ष को हरा-भरा कर देता हूं। मेरी यही वाणी है। मैं-प्रभु जो कहता हूं, उसको पूरा करता हूं।’


वह दुर्बलों को धूल से उठाकर खड़ा करता है, दरिद्रों को राख के ढेर से निकालकर उठाता है। वह उन्‍हें शासकों के साथ बैठाता है; वह उन्‍हें सम्‍मानित आसन का उत्तराधिकारी बनाता है; क्‍योंकि पृथ्‍वी के आधार-स्‍तम्‍भ प्रभु के ही हैं, इन पर ही उसने जगत को खड़ा किया है।


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