4 तब इस्राएली कौम के परमेश्वर की धर्म-व्यवस्था से श्रद्धा-भक्ति करने वाले लोग मेरे चारों ओर एकत्र हो गए; क्योंकि उन्होंने निष्कासन से लौटे यहूदियों के विश्वासघात की खबर सुनी थी। मैं सन्ध्या-बलि के समय तक आतंकित-सा बैठा रहा।
4 तब हर एक व्यक्ति जो इस्राएल के परमेश्वर के नियमों का आदर करता था, भय से काँप उठा। वे डर गए क्योंकि जो इस्राएल के लोग बन्धुवाई से लौटे, वे परमेश्वर के भक्त नहीं थे। मुझे धक्का लगा और मैं घबरा गया। मैं वहाँ सन्ध्या की बलि भेंट के समय तक बैठा रहा और वे लोग मेरे चारों ओर इकट्ठे रहे।
4 तब जितने लोग इस्राएल के परमेश्वर के वचन सुनकर बन्धुआई से आए हुए लोगों के विश्वासघात के कारण थरथराते थे, सब मेरे पास इकट्ठे हुए, और मैं सांझ की भेंट के समय तक विस्मित हो कर बैठा रहा।
4 तब जितने लोग इस्राएल के परमेश्वर के वचन सुनकर बँधुआई से आए हुए लोगों के विश्वासघात के कारण थरथराते थे, सब मेरे पास इकट्ठे हुए, और मैं साँझ की भेंट के समय तक विस्मित होकर बैठा रहा।
4 तब जितने लोग इस्राएल के परमेश्वर के वचन सुनकर बँधुआई से आए हुए लोगों के विश्वासघात के कारण थरथराते थे, सब मेरे पास इकट्ठे हुए, और मैं साँझ की भेंट के समय तक विस्मित होकर बैठा रहा।
तूने हृदय से पश्चात्ताप किया। तूने मेरे सम्मुख, अपने परमेश्वर के सम्मुख, स्वयं को विनम्र बनाया। तूने इस स्थान के विरुद्ध, इसके निवासियों के विरुद्ध मेरी वाणी सुनी और मेरे सम्मुख स्वयं को दीन बनाया। तूने पश्चात्ताप प्रकट करने के लिए अपने वस्त्र फाड़े, और मेरे सम्मुख रोया। सुन, मैं-प्रभु यह कहता हूँ : मैंने तेरी प्रार्थना सुनी।
इसलिए आइए, हम अपने परमेश्वर से प्रतिज्ञा करें और आपके तथा परमेश्वर की आज्ञा के प्रति श्रद्धा-भक्ति रखने वालों के परामर्श के अनुसार इन विदेशी पत्नियों और उनकी सन्तान को अपने समाज से निकाल दें। यह कार्य व्यवस्था के अनुसार किया जाए।
अत: यहूदा और बिन्यामिन कुलों के सब पुरुष तीन दिन की अवधि में यरूशलेम में एकत्र हो गए। यह नौवां महीना और महीने की बीसवीं तारीख थी। सब लोग परमेश्वर के भवन के सामने चौक में बैठे हुए थे। घनघोर वर्षा हो रही थी। प्रस्तुत मामले के डर के कारण तथा मूसलाधार वर्षा के कारण सब कांप रहे थे।
तू दूसरा मेमना सन्ध्या समय चढ़ाना। उसके साथ सबेरे के समान अन्न-बलि और पेय-बलि चढ़ाना, जिससे वह प्रभु के लिए सुखद सुगन्ध और अग्नि में अर्पित बलि हो सके।
प्रभु कहता है : ‘इन सबको स्वयं मेरे हाथों ने बनाया है, अत: ये सब वस्तुएँ मेरी ही हैं। पर मैं उस मनुष्य पर ध्यान दूंगा, जो विनम्र है जो आत्मा में पीड़ित है जो मेरे वचन में श्रद्धा रखता है।
प्रभु के वचन से डरनेवाले लोगो, प्रभु का यह वचन सुनो : ‘तुम्हारे जाति-भाई जो तुमसे घृणा करते हैं, जो तुम्हें मेरे नाम के कारण सभागृह से बहिष्कृत करते हैं, और यह कहते हैं : “प्रभु की महिमा हो, कि हम भी तुम्हारे आनन्द को देखें।” तुम्हारे ये जाति-भाई ही लज्जित होंगे।
प्रभु ने उससे कहा, ‘यरूशलेम नगर में जाओ, और उन-सब मनुष्यों के माथे पर चिह्न लगाओ, जो नगर में किए जा रहे घृणित कार्यों के लिए दु:ख मनाते और शोक करते हैं।’
वस्तुत: जब मैं प्रार्थना के शब्दों को बोल ही रहा था, तब वही गब्रिएल स्वर्गदूत द्रुतगति से मेरे पास आया, जिसको मैंने प्रथम दर्शन में देखा था। संध्या-बलि का समय था।
जब इस्राएली समाज मिलन-शिविर के द्वार पर शोक मना रहा था, एक इस्राएली पुरुष आया। वह मूसा तथा समस्त मंडली की आंखों के सामने अपने परिवार में एक मिद्यानी स्त्री को ले आया।