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उत्पत्ति 22:12 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

12 दूत ने कहा, ‘बालक की ओर अपना हाथ मत बढ़ा और न उसे कुछ हानि पहुँचा। अब मैं जान गया हूँ कि तू परमेश्‍वर का सच्‍चा भक्‍त है। क्‍योंकि तूने मेरे लिए अपने पुत्र, अपने एकलौते पुत्र को भी नहीं रख छोड़ा।’

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पवित्र बाइबल

12 दूत ने कहा, “तुम अपने पुत्र को मत मारो अथवा उसे किसी प्रकार की चोट न पहुँचाओ। मैंने अब देख लिया कि तुम परमेश्वर का आदर करते हो और उसकी आज्ञा मानते हो। मैं देखता हूँ कि तुम अपने एक लौते पुत्र को मेरे लिए मारने के लिए तैयार हो।”

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Hindi Holy Bible

12 उसने कहा, उस लड़के पर हाथ मत बढ़ा, और न उससे कुछ कर: क्योंकि तू ने जो मुझ से अपने पुत्र, वरन अपने एकलौते पुत्र को भी, नहीं रख छोड़ा; इस से मैं अब जान गया कि तू परमेश्वर का भय मानता है।

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

12 उसने कहा, “उस लड़के पर हाथ मत बढ़ा, और न उससे कुछ कर; क्योंकि तू ने जो मुझ से अपने पुत्र, वरन् अपने एकलौते पुत्र को भी नहीं रख छोड़ा; इससे मैं अब जान गया कि तू परमेश्‍वर का भय मानता है।”

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नवीन हिंदी बाइबल

12 उसने कहा, “लड़के पर हाथ मत बढ़ा, और न ही उसे कोई हानि पहुँचा। मैं अब जान गया हूँ कि तू परमेश्‍वर का भय मानता है, क्योंकि तूने अपने पुत्र अर्थात् अपने एकलौते पुत्र को भी मुझे देने से इनकार नहीं किया।”

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सरल हिन्दी बाइबल

12 याहवेह ने कहा, “उस लड़के पर हाथ मत उठाओ; उसे कुछ मत करो. अब मुझे यह मालूम हो चुका है कि तुम परमेश्वर का भय मानते हो, क्योंकि तुम मेरे लिये अपने एकलौते पुत्र तक को बलिदान करने के लिये तैयार हो गये.”

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उत्पत्ति 22:12
42 क्रॉस रेफरेंस  

अब्राहम ने उत्तर दिया, ‘मैंने यह कार्य इसलिए किया : मैं सोचता था कि इस स्‍थान में परमेश्‍वर का भय किसी को नहीं है। इसलिए वे मुझे मेरी पत्‍नी के कारण मार डालेंगे।


अब्राहम ने अपनी आंखें ऊपर उठाईं तो देखा कि उनके पीछे एक मेढ़ा है।’ वह अपने सींगों से एक झाड़ी में फंसा हुआ है। अब्राहम गए। उन्‍होंने उस मेढ़े को पकड़ा और अपने पुत्र के स्‍थान पर उसकी अग्‍नि-बलि चढ़ाई।


‘प्रभु कहता है : तूने यह कार्य किया है; तूने मेरे लिए अपने पुत्र, अपने एकलौते पुत्र को भी नहीं रख छोड़ा। इसलिए मैं स्‍वयं अपनी शपथ खाता हूँ कि


परमेश्‍वर ने कहा, ‘तू अपने पुत्र, अपने एकलौते पुत्र इसहाक को प्‍यार करता है। तू उसको लेकर मोरियाह देश जा। वहाँ उस पहाड़ पर जिसे मैं तुझे बताऊंगा, तू अपने पुत्र को अग्‍नि-बलि में चढ़ाना।’


क्‍योंकि अब्राहम ने मेरी वाणी सुनी और उसने मेरे आदेश, मेरी आज्ञाएं, मेरी संविधि और व्‍यवस्‍था का पालन किया था।’


यूसुफ ने तीसरे दिन उनसे कहा, ‘यह कार्य करो तो तुम जीवित रहोगे, क्‍योंकि मैं परमेश्‍वर से डरता हूँ।


मुझसे पहले के राज्‍यपालों ने जनता पर भारी बोझ डाला था। वे जनता से प्रति व्यक्‍ति कर के रूप में चांदी के चालीस सिक्‍कों के अतिरिक्‍त भोजन-वस्‍तु और अंगूररस भी लेते थे। इतना ही नहीं, उनके सरकारी कर्मचारी भी जनता पर अधिकार जताया करते थे। परन्‍तु मैं ऐसा नहीं करता था, क्‍योंकि मैं परमेश्‍वर से डरता था।


ऊत्‍स देश में एक मनुष्‍य रहता था। उसका नाम अय्‍यूब था। वह प्रत्‍येक दृष्‍टि से सिद्ध और निष्‍कपट था। वह परमेश्‍वर से डरता और बुराई से दूर रहता था।


परमेश्‍वर ने मनुष्‍य से कहा, “देखो, मुझ-प्रभु की भक्‍ति करना ही बुद्धिमानी है; और बुराई से दूर रहना ही समझदारी है!” ’


वह तुम्‍हें छ: विपत्तियों से बचाएगा, और सातवीं विपत्ति में भी तुम्‍हारी कुछ हानि न होगी।


प्रभु धार्मिकों का आचरण जानता है। परन्‍तु अधार्मिक अपने आचरण के कारण नष्‍ट हो जाएंगे।


प्रभु की भक्‍ति करना बुद्धि का आरम्‍भ है; जो उसका पालन करते हैं, उनको उत्तम समझ प्राप्‍त होती है। प्रभु की स्‍तुति सदा की जाएगी!


पर वह अपने भक्‍तों से, उसकी करुणा की प्रतीक्षा करनेवालों से प्रसन्न होता है।


भयभाव से प्रभु की सेवा करो, कांपते हुए उसके चरण चूमो।


वह कौन है, जो प्रभु से डरता है? उसको ही प्रभु वह मार्ग सिखाएगा, जो उसे चुनना चाहिए।


प्रभु अपने भक्‍तों पर अपने भेद प्रकट करता है। प्रभु उन्‍हें अपना विधान सिखाता है।


मूसा लोगों से बोले। ‘मत डरो; क्‍योंकि परमेश्‍वर तुम्‍हें परखने आया है कि उसका भय तुम्‍हारी आंखों के सम्‍मुख बना रहे और तुम पाप न करो।’


प्रभु के प्रति भय-भाव ही बुद्धि का मूल है, जो मूर्ख हैं; वे ही बुद्धि और शिक्षा को तुच्‍छ समझते हैं।


जो कुछ तुमने सुना, उसका सार यह है : तुम परमेश्‍वर पर श्रद्धा रखो, और उसकी आज्ञाओं का पालन करो; क्‍योंकि मनुष्‍य का सम्‍पूर्ण धर्म यही है।


तुम ने बअल देवता के लिए ऊंचे टीलों पर वेदियाँ बनायी हैं ताकि तुम अपने बच्‍चों को अग्‍नि में बअल देवता को अर्पित करो, उसको अग्‍नि-बलि चढ़ाओ। ऐसा घृणित कार्य करने का न मैंने तुम्‍हें आदेश दिया और न ही अनुमति दी; और न कभी यह घृणित बात मेरे मन में आयी ही थी।


‘मैं उन के साथ शाश्‍वत विधान स्‍थापित करूंगा ताकि मैं उनकी भलाई निरन्‍तर करता रहूं। मैं उनके हृदय में अपने लिए भक्‍ति की भावना डालूंगा जिससे वे मेरी ओर से मुंह न मोड़ लें।


पर तुम मेरे नाम के प्रति श्रद्धा-भक्‍ति रखते हो, इसलिए तुम पर धार्मिकता का सूर्य उदय होगा, उसके पंखों में रोग-निवारण की किरणें होंगी, जिनके स्‍पर्श से तुम स्‍वस्‍थ होगे। जैसे पशुशाला से छूटकर बछड़ा आनन्‍द से कूदता-फांदता है, वैसे ही तुम मुक्‍त होकर आनन्‍द से विचरण करोगे।


इसके पश्‍चात् येशु ने अपने शिष्‍यों से कहा, “जो मेरा अनुसरण करना चाहता है, वह आत्‍मत्‍याग करे और अपना क्रूस उठा कर मेरे पीछे हो ले;


और जिस किसी ने मेरे नाम के लिए घरबार, भाइयों, बहिनों, पिता, माता, बाल-बच्‍चों अथवा खेतों को छोड़ दिया है, वह सौ गुना पाएगा और शाश्‍वत जीवन का अधिकारी होगा।


इसी प्रकार तुम्‍हारी ज्‍योति मनुष्‍यों के सामने चमकती रहे, जिस से वह तुम्‍हारे भले कामों को देख कर तुम्‍हारे स्‍वर्गिक पिता की महिमा करें।


“परमेश्‍वर ने संसार से इतना प्रेम किया कि उसने उसके लिए अपने एकलौते पुत्र को अर्पित कर दिया, जिससे जो कोई उस में विश्‍वास करता है, वह नष्‍ट न हो, बल्‍कि शाश्‍वत जीवन प्राप्‍त करे।


अब समस्‍त यहूदा, गलील तथा सामरी प्रदेशों में कलीसिया को शान्‍ति मिली और उसका निर्माण होता रहा। वह प्रभु के भय में आचरण करती हुई और पवित्र आत्‍मा की सान्‍त्‍वना प्राप्‍त कर वृद्धि करती गई।


किन्‍तु हम पापी ही थे, जब मसीह हमारे लिए मरे। इससे परमेश्‍वर ने हमारे प्रति अपने प्रेम का प्रमाण दिया है।


उसने अपने निजी पुत्र को भी नहीं बचाया, उसने हम सब के लिए उसे समर्पित कर दिया। तो, इतना देने के बाद, क्‍या वह हमें अपने पुत्र के साथ सब कुछ नहीं देगा?


आप को अब तक ऐसा प्रलोभन नहीं दिया गया है, जो मनुष्‍य की शक्‍ति से परे हो। परमेश्‍वर सत्‍यप्रतिज्ञ है। वह आप को ऐसे प्रलोभन में पड़ने नहीं देगा, जो आपकी शक्‍ति से परे हो। वह प्रलोभन के समय आप को उससे निकलने का मार्ग दिखायेगा, जिससे आप उसे सहन कर सकें।


यदि दान देने की उत्‍सुकता है, तो सामर्थ्य के अनुसार जो कुछ भी दिया जाए, वह परमेश्‍वर को ग्राह्य है। किसी से यह आशा नहीं की जाती है कि वह अपने सामर्थ्य से अधिक दान दे।


अब्राहम यह मानते थे कि परमेश्‍वर मृतकों को भी जिला सकता है। और एक प्रकार से प्रतीक रूप में उन्‍होंने अपने पुत्र को फिर प्राप्‍त किया।


हमें जो राज्‍य मिला है, वह नहीं हिलाया जा सकता, इसलिए हम परमेश्‍वर को धन्‍यवाद देते रहें और उसकी इच्‍छानुसार भक्‍ति एवं श्रद्धा के साथ उसकी आराधना करते रहें,


और ऐसे मनुष्‍य से कोई कह सकता है, “तुम विश्‍वास करते हो, किन्‍तु मैं उसके अनुसार आचरण करता हूँ। मुझे अपना विश्‍वास दिखाओ जिस पर तुम नहीं चलते और मैं अपने आचरण द्वारा तुम्‍हें अपने विश्‍वास का प्रमाण दूँगा।”


इसके बाद सिंहासन से एक वाणी यह कहते सुनाई पड़ी, “तुम सब, जो परमेश्‍वर की सेवा करते हो, और तुम छोटे-बड़े जो उस पर श्रद्धा रखते हो, हमारे परमेश्‍वर की स्‍तुति करो।”


किन्‍तु शमूएल ने यह कहा : ‘जैसे प्रभु अपनी आज्ञा का पालन किये जाने पर प्रसन्न होता है, क्‍या वैसे वह अग्‍नि-बलि और पशुओं की बलि से प्रसन्न होता है? देख, प्रभु की आज्ञा मानना पशु की बलि चढ़ाने से श्रेष्‍ठ है! उसकी बात पर ध्‍यान देना मेढ़े की चर्बी चढ़ाने से उत्तम है।


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