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उत्पत्ति 17:17 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

17 अब्राहम ने मुँह के बल गिर कर प्रणाम किया। पर वह हंस पड़े। उन्‍होंने अपने हृदय में कहा, ‘क्‍या सौ वर्ष के बूढ़े को भी सन्‍तान हो सकती है? क्‍या नब्‍बे वर्ष की सारा गर्भवती होगी?’

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पवित्र बाइबल

17 इब्राहीम ने अपना सिर परमेश्वर को भक्ति दिखाने के लिए जमीन तक झुकाया। लेकिन वह हँसा और अपने से बोला, “मैं सौ वर्ष का बूढ़ा हूँ। मैं पुत्र पैदा नहीं कर सकता और सारा नब्बे वर्ष की बुढ़िया है। वह बच्चों को जन्म नहीं दे सकती।”

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Hindi Holy Bible

17 तब इब्राहीम मुंह के बल गिर पड़ा और हंसा, और अपने मन ही मन कहने लगा, क्या सौ वर्ष के पुरूष के भी सन्तान होगा और क्या सारा जो नब्बे वर्ष की है पुत्र जनेगी?

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

17 तब अब्राहम मुँह के बल गिर पड़ा और हँसा, और मन ही मन कहने लगा, “क्या सौ वर्ष के पुरुष के भी सन्तान होगी और क्या सारा जो नब्बे वर्ष की है पुत्र जनेगी?”

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नवीन हिंदी बाइबल

17 तब अब्राहम मुँह के बल गिरा और मन ही मन यह सोचकर हँसा, “क्या सौ वर्ष का पुरुष भी संतान उत्पन्‍न कर सकता है? और क्या नब्बे वर्ष की सारा संतान को जन्म दे सकती है?”

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सरल हिन्दी बाइबल

17 यह सुनकर अब्राहाम ने झुककर प्रणाम किया; वह हंसने लगा और मन में कहने लगा, “क्या सौ साल के व्यक्ति से बेटा पैदा हो सकता है? साराह, जो नब्बे साल की है, क्या वह बेटा जन्म दे सकती है?”

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उत्पत्ति 17:17
26 क्रॉस रेफरेंस  

अब्राहम ने परमेश्‍वर से कहा, ‘स्‍वामी, यिश्‍माएल तेरी दृष्‍टि में बना रहे, यही बहुत है।’


अब्राम ने मुँह के बल गिरकर प्रणाम किया। परमेश्‍वर ने उनसे कहा,


अब्राहम और सारा वृद्ध थे। उनकी आयु पक चुकी थी। सारा का मासिक धर्म बन्‍द हो गया था।


अतएव सारा अपने मन में हंसकर बोली, ‘मैं बूढ़ी हो गयी हूँ। मेरे स्‍वामी वृद्ध हैं। क्‍या इसके पश्‍चात् भी मुझे सहवास का आनन्‍द प्राप्‍त होगा?’


अपने पुत्र इसहाक के जन्‍म के समय अब्राहम सौ वर्ष के थे।


सारा बोली, ‘परमेश्‍वर ने मुझे हंसाया है; इसलिए सब सुनने वाले भी मेरे साथ हंसेंगे!


अब्राहम से कौन यह कह सकता था कि सारा बच्‍चों को कभी दूध पिलाएगी। फिर भी मैंने अब्राहम की वृद्धावस्‍था में पुत्र को जन्‍म दिया।’


दाऊद ने अपनी आंखें ऊपर उठाईं। उसने यह देखा, ‘लोगों का संहार करनेवाला दूत आकाश और पृथ्‍वी के मध्‍य खड़ा है। उसके हाथ में तलवार है, जो यरूशलेम नगर से ऊपर उठी हुई है।’ तब दाऊद और धर्मवृद्धों ने पश्‍चात्ताप प्रकट करने के लिए टाट के वस्‍त्र पहिने। वे मुँह के बल भूमि पर गिरे।


तब अय्‍यूब उठा। उसने शोक प्रकट करने के लिए अपना अंगरखा फाड़ा और अपना सिर मुंड़ाया। वह भूमि पर गिरा, और उसने प्रभु की साष्‍टांग वन्‍दना की।


जैसे वर्षा के दिन बादलों में धनुष दिखाई पड़ता है, वैसे ही उसके चारों ओर का प्रभा-मण्‍डल दिखाई दे रहा था। प्रभु के तेज का रूप मानो ऐसा ही दिखाई दे रहा था। जब मैंने प्रभु के तेज के दर्शन किए, तब मैं श्रद्धा और भक्‍ति से नतमस्‍तक हो गया, और मैंने किसी की आवाज सुनी। कोई व्यक्‍ति मुझसे कह रहा था:


अत: गब्रिएल मेरे समीप आया, जहाँ मैं खड़ा था। जब वह मेरे समीप आया तब मैं डर गया और भूमि पर मुंह के बल गिर पड़ा। उसने मुझसे कहा, “ओ मानव, जो दर्शन तूने देखा है उसका अर्थ समझ। यह दर्शन युगान्‍त के विषय में है।”


प्रभु के सम्‍मुख से आग निकली और उसने अग्‍निबलि एवं वेदी की चर्बी को भस्‍म कर दिया। यह देखकर लोगों ने जय-जयकार किया। उन्‍होंने मुँह के बल गिरकर वन्‍दना की।


मूसा और हारून समस्‍त इस्राएली मंडली की धर्म-सभा के सम्‍मुख मुंह के बल गिर पड़े।


किन्‍तु मूसा और हारून अपने मुंह के बल गिरकर प्रभु से कहने लगे, ‘हे परमेश्‍वर, समस्‍त प्राणियों की आत्‍माओं के ईश्‍वर! एक मनुष्‍य के पाप करने पर क्‍या तू समस्‍त मंडली पर क्रोध करेगा?’


‘मंडली के इस जन-समुदाय के मध्‍य से अलग हो जाओ, ताकि मैं इन्‍हें क्षण भर में भस्‍म कर दूं।’ परन्‍तु मूसा और हारून मुंह के बल गिर पड़े।


घर में प्रवेश कर उन्‍होंने बालक को उसकी माता मरियम के साथ देखा और उसे साष्‍टांग प्रणाम किया। फिर अपना-अपना सन्‍दूक खोल कर उन्‍होंने उसे सोना, लोबान और गन्‍धरस की भेंट चढ़ायी।


जकर्याह ने स्‍वर्गदूत से कहा, “मैं यह कैसे जानूँ? क्‍योंकि मैं तो बूढ़ा हूँ और मेरी पत्‍नी भी बूढ़ी हो चली है।”


तुम्‍हारे पूर्वज अब्राहम यह जान कर उल्‍लसित हुए कि वह मेरा दिन देखेंगे और वह उसे देख कर आनन्‍दविभोर हुए।”


मैं पहले के समान चालीस दिन और चालीस रात प्रभु के सम्‍मुख पड़ा रहा। मैंने न रोटी खाई, और न पानी पिया, क्‍योंकि जो कार्य प्रभु की दृष्‍टि में बुरा था, उसको करके तुमने पाप किया था और इस प्रकार तुमने प्रभु को चिढ़ाया था।


‘अत: मैं प्रभु के सम्‍मुख चालीस दिन और चालीस रात पड़ा रहा, क्‍योंकि प्रभु ने कहा था कि वह तुम्‍हें नष्‍ट कर देगा।


व्यक्‍ति ने उत्तर दिया, ‘मैं किसी भी पक्ष का नहीं हूँ। मैं प्रभु की सेना का सेनाध्‍यक्ष हूँ और अब यहाँ आया हूँ।’ यहोशुअ ने तुरन्‍त भूमि पर गिरकर उसकी वन्‍दना की और उससे पूछा, ‘स्‍वामी, मुझ-सेवक के लिए आपका क्‍या आदेश है?’


यहोशुअ ने पराजय का शोक प्रकट करने के लिए अपने वस्‍त्र फाड़े। वह सन्‍ध्‍या होने तक प्रभु की मंजूषा के सम्‍मुख भूमि पर औंधे मुंह पड़ा रहा। ऐसा ही इस्राएलियों के धर्मवृद्धों ने भी किया। उन्‍होंने दु:ख प्रकट करने के लिए अपने सिर पर धूल डाली।


चौबीस धर्मवृद्ध, जो परमेश्‍वर के सामने अपने आसनों पर विराजमान हैं, मुँह के बल गिर पड़े और यह कहते हुए परमेश्‍वर की आराधना करने लगे :


जब मेमना पुस्‍तक ले चुका, तब चार प्राणी तथा चौबीस धर्मवृद्ध मेमने के सामने गिर पड़े। प्रत्‍येक धर्मवृद्ध के हाथ में वीणा थी और धूप से भरे स्‍वर्ण पात्र भी-ये सन्‍तों की प्रार्थनाएँ हैं।


जब अग्‍नि की लपट वेदी से निकलकर आकाश की ओर उठी, तब प्रभु का दूत उस वेदी की लपट में होकर ऊपर चला गया। मानोह और उसकी पत्‍नी यह देखते रहे। उन्‍होंने भय से भूमि पर गिरकर वन्‍दना की।


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