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इब्रानियों 7:25 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

25 यही कारण है कि जो लोग उनके द्वारा परमेश्‍वर की शरण लेते हैं, वह उन्‍हें पूर्णत: बचाने में समर्थ हैं; क्‍योंकि वह उनकी ओर से निवेदन करने के लिए सदा जीवित हैं।

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पवित्र बाइबल

25 अतः जो उसके द्वारा परमेश्वर तक पहुँचते हैं, वह उनका सर्वदा के लिए उद्धार करने में समर्थ है क्योंकि वह उनकी मध्यस्थता के लिए ही सदा जीता है।

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Hindi Holy Bible

25 इसी लिये जो उसके द्वारा परमेश्वर के पास आते हैं, वह उन का पूरा पूरा उद्धार कर सकता है, क्योंकि वह उन के लिये बिनती करने को सर्वदा जीवित है॥

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

25 इसी लिये जो उसके द्वारा परमेश्‍वर के पास आते हैं, वह उनका पूरा पूरा उद्धार कर सकता है, क्योंकि वह उनके लिये विनती करने को सर्वदा जीवित है।

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नवीन हिंदी बाइबल

25 अतः जो उसके द्वारा परमेश्‍वर के पास आते हैं, वह उनका सदा के लिए उद्धार करने में समर्थ है, क्योंकि वह उनकी ओर से विनती करने के लिए सर्वदा जीवित है।

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सरल हिन्दी बाइबल

25 इसलिये वह उनके उद्धार के लिए सामर्थ्यी हैं, जो उनके माध्यम से परमेश्वर के पास आते हैं क्योंकि वह अपने विनती करनेवालों के पक्ष में पिता के सामने निवेदन प्रस्तुत करने के लिए सदा-सर्वदा जीवित हैं.

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इब्रानियों 7:25
44 क्रॉस रेफरेंस  

उन्‍हें कौन दोषी ठहरायेगा? क्‍या येशु मसीह ऐसा करेंगे? वह तो मर गये, बल्‍कि जी उठे और परमेश्‍वर के दाहिने हाथ विराजमान हो कर हमारे लिए निवेदन करते रहते हैं।


केवल एक ही परमेश्‍वर है और परमेश्‍वर तथा मनुष्‍यों के बीच केवल एक ही मध्‍यस्‍थ हैं, अर्थात् येशु मसीह, जो स्‍वयं मनुष्‍य हैं


जो आप को पतन से सुरक्षित रखने में और आप को दोषरहित और आनन्‍दित बना कर अपनी महिमा में प्रस्‍तुत करने में समर्थ है,


येशु ने कहा, “मार्ग, सत्‍य और जीवन मैं हूँ। मुझ से हो कर गये बिना कोई पिता के पास नहीं आ सकता।


क्‍योंकि उनके द्वारा हम दोनों एक ही आत्‍मा से प्रेरित हो कर पिता के पास पहुँच सकते हैं।


मसीह ने हमारे लिए उस अनुग्रह तक पहुँचने का द्वार भी खोला है, जो हमें विश्‍वास से प्राप्‍त होता है और जिसमें हम स्‍थित हैं। हम इस बात पर गौरव करते हैं कि हमें परमेश्‍वर की महिमा के भागी बनने की आशा है।


और विश्‍वास के बिना परमेश्‍वर को प्रसन्न करना, असंभव है। अत: जो परमेश्‍वर के निकट पहुँचना चाहता है, उसे विश्‍वास करना आवश्‍यक है कि परमेश्‍वर है और वह उन लोगों को प्रतिफल देता है, जो उसकी खोज में लगे रहते हैं।


जिसका सामर्थ्य हम में क्रियाशील है और जो वे सब कार्य सम्‍पन्न कर सकता है, जो हमारी प्रार्थना और कल्‍पना से अत्‍यधिक परे हैं,


ओ पृथ्‍वी के सीमान्‍तों तक रहनेवालो, मेरी ओर मुड़ो और मैं तुम्‍हें बचाऊंगा; क्‍योंकि मैं परमेश्‍वर हूं, और मुझे छोड़ दूसरा कोई नहीं है।


मसीह ने हाथ के बने हुए उस पवित्र-स्‍थान में प्रवेश नहीं किया, जो वास्‍तविक “पवित्र-स्‍थान” का प्रतिरूप मात्र हैं। उन्‍होंने स्‍वर्ग में ही प्रवेश किया है, जिससे वह अब हमारी ओर से परमेश्‍वर के सामने उपस्‍थित हो सकें।


क्‍योंकि व्‍यवस्‍था कुछ भी पूर्णता तक नहीं पहुँचा सकी। हमें इस से श्रेष्‍ठ आशा प्रदान की गयी है और इसके माध्‍यम से हम परमेश्‍वर के निकट पहुँचते हैं।


उसने देखा कि किसी में भी पुरुषार्थ नहीं रहा। यह देखकर उसे अचरज हुआ कि कोई भी ऐसा मनुष्‍य नहीं है, जो बुराई से संघर्ष करे। अत: उसने अपने भुजबल से विजय प्राप्‍त की, और उसकी धार्मिकता ने उसका साथ दिया।


जो कुछ तुम मेरे नाम से माँगोंगे, मैं उसे पूरा करूँगा, जिससे पुत्र के द्वारा पिता की महिमा प्रकट हो।


वह मांद के पास पहुँचा, जहां दानिएल बन्‍द थे। उसने दु:ख भरी आवाज में दानिएल को पुकारा, ‘ओ दानिएल, जीवित परमेश्‍वर के सेवक! क्‍या तुम्‍हारे परमेश्‍वर ने जिसकी तुम निरन्‍तर सेवा करते हो, तुम्‍हें सिंहों के मुंह से बचा लिया?’


यदि हमारे साथ ऐसा व्‍यवहार किया जाएगा, तो हम जिस परमेश्‍वर की सेवा-आराधना करते हैं, वह हमें धधकती हुइ अग्‍नि की भट्ठी में से भी छुड़ा लेगा। महाराज, वह हमें आपके हाथ से भी छुड़ा सकता है।


काश! मैं जानता कि परमेश्‍वर मुझे कहाँ मिलेगा? तब मैं उसके सिंहासन के समीप आता।


मसीह ने इस पृथ्‍वी पर रहते समय पुकार-पुकार कर और आँसू बहा-बहा कर परमेश्‍वर से, जो उन्‍हें मृत्‍यु से बचा सकता था, प्रार्थना और अनुनय-विनय की। श्रद्धाभक्‍ति के कारण उनकी प्रार्थना सुनी गयी।


अत: मैं महान व्यक्‍तियों के साथ उसका भाग बांटूंगा, और वह बलवानों के साथ “लूट” बांटेगा। उसने मृत्‍यु की वेदी पर अपना प्राण अर्पित कर दिया; और वह अपराधियों के साथ गिना गया। फिर भी उसने अनेक लोगों के पाप का बोझ उठाया, और अपराधियों के लिए प्रार्थना की।’


हम येशु के द्वारा परमेश्‍वर को स्‍तुति-रूपी बलि-अर्थात् उसके नाम की महिमा करने वाले होंठों का फल-निरन्‍तर चढ़ाया करें।


यह कौन है जो एदोम देश से, लाल वस्‍त्र पहिने हुए बोसरा नगर से आ रहा है? उसका पहनावा फूला हुआ है, वह अति बलवान है। वह झूमता हुआ चला आ रहा है। ‘यह मैं हूं, मैं विजय की घोषणा करता हूं, मैं मुक्‍त करने में समर्थ हूं।’


जो वंश-परम्‍परा पर आधारित किसी व्‍यवस्‍था के आदेशानुसार नहीं, बल्‍कि अविनाशी जीवन के सामर्थ्य से पुरोहित बन गये हैं।


येशु की परीक्षा ली गयी है और उन्‍होंने स्‍वयं दु:ख भोगा है इसलिए वह परीक्षा में पड़े हुए लोगों की सहायता कर सकते हैं।


वह जिस सामर्थ्य द्वारा सब कुछ अपने अधीन कर सकते हैं, उसी के द्वारा वह हमारे तुच्‍छ शरीर का रूपान्‍तरण करेंगे और उसे अपने महिमामय शरीर के अनुरूप बना देंगे।


मैं पिता से प्रार्थना करूँगा और वह तुम्‍हें एक दूसरा सहायक प्रदान करेगा, जो सदा तुम्‍हारे साथ रहेगा।


प्रभु ने उनसे कहा था, ‘ओ विश्‍वासघाती सन्‍तान, लौट आ! मैं तेरे विश्‍वासघात के घाव को भर दूंगा।’ वे बोले, ‘देख, हम तेरे पास लौट आए हैं; क्‍योंकि तू ही हमारा प्रभु परमेश्‍वर है


लोग मेरे विषय में यह कहेंगे: ‘केवल प्रभु में ही धार्मिकता और सामर्थ्य है। जो उसके विरोधी हैं, वे सब उसके पास आएंगे, और लज्‍जित होंगे।


इस कारण मैं यहाँ यह कष्‍ट सह रहा हूँ, किन्‍तु मैं इस से लज्‍जित नहीं हूँ; क्‍योंकि मैं जानता हूँ कि मैंने किस पर भरोसा रखा है। मुझे निश्‍चय है कि वह मुझे सौंपी हुई निधि को उस दिन तक सुरक्षित रखने में समर्थ है।


इसलिए मैं यह राजाज्ञा प्रसारित करता हूं : यदि किसी भी कौम, राष्‍ट्र और भाषा का व्यक्‍ति शद्रक, मेशक और अबेदनगो के परमेश्‍वर के विरुद्ध कुछ कहेगा, तो उसके शरीर के टुकड़े-टुकड़े किए जाएंगे, और उसका घर खण्‍डहर बना दिया जाएगा; क्‍योंकि उनके परमेश्‍वर के अतिरिक्‍त और कोई ईश्‍वर नहीं है जो इस ढंग से अपने सेवकों को बचा सके।’


किन्‍तु येशु सदा बने रहते हैं, इसलिए उनका पुरोहितत्‍व अद्वितीय एवं चिरस्‍थायी है।


स्‍वामी, अपने धर्ममय आचरण के अनुरूप अपना क्रोध और प्रकोप यरूशलेम से हटा ले। प्रभु, यरूशलेम नगर तेरा ही पवित्र पहाड़ी नगर है। हमारे पूर्वजों के पापमय और हमारे ही अधर्ममय आचरण के कारण यरूशलेम नगर और तेरे निज लोग आसपास के राष्‍ट्रों में बदनाम हो गए हैं।


अब यदि तुम नरसिंगे, बांसुरी, वीणा, सारंगी, सितार, शहनाई और अन्‍य सब प्रकार के वाद्यों का स्‍वर सुनकर मेरे द्वारा स्‍थापित मूर्ति के सम्‍मुख गिरकर उसका सम्‍मान करने को तैयार हो, तो ठीक है; तुम्‍हारा अनिष्‍ट न होगा। पर यदि तुम मूर्ति के प्रति सम्‍मान प्रकट नहीं करोगे, तो तुम अविलम्‍ब धधकती हुई अग्‍नि की भट्ठी में फेंक दिए जाओगे। तब मैं देखूंगा कि कौन-सा ईश्‍वर तुम्‍हें मेरे हाथ से बचाएगा?’


हम मसीह में विश्‍वास करते हैं, और इस कारण हम पूरे भरोसे के साथ निर्भय हो कर परमेश्‍वर के पास जाते हैं।


इसके अतिरिक्‍त दशमांश पाने वाले लेवी-वंशी मरणशील मनुष्‍य हैं, जब कि मलकीसेदेक के विषय में धर्मग्रन्‍थ कहता है कि वह जीवित बने रहते हैं।


उन्‍होंने परमेश्‍वर से कहा था, “हम से दूर हो! सर्वशक्‍तिमान परमेश्‍वर हमारा क्‍या कर सकता है?”


हम शत्रु ही थे, जब परमेश्‍वर के साथ हमारा मेल उसके पुत्र की मृत्‍यु द्वारा हो गया था; और परमेश्‍वर के साथ मेल हो जाने के बाद उसके पुत्र के जीवन द्वारा निश्‍चय ही हमारा उद्धार होगा।


परमेश्‍वर की प्रज्ञ का विधान ऐसा था कि संसार अपने ज्ञान द्वारा परमेश्‍वर को नहीं पहचान सका। इसलिए परमेश्‍वर ने शुभ समाचार के प्रचार की ‘मूर्खता’ द्वारा विश्‍वासियों को बचाना चाहा।


परन्‍तु हम यह देखते हैं कि येशु कुछ काल के लिए स्‍वर्गदूतों से छोटे बनाए गए थे, किन्‍तु मृत्‍यु की यन्‍त्रणा सहने के कारण येशु को महिमा और सम्‍मान का मुकुट पहनाया गया है। इस प्रकार वह परमेश्‍वर की कृपा से प्रत्‍येक मनुष्‍य के लिए मृत्‍यु का स्‍वाद चख सके।


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